भारत में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में भर्ती का केंद्रीकरण

भारत में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में भर्ती का केंद्रीकरण

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ भारतीय संविधान और शासन व्यवस्था , शिक्षा ,  भर्ती का केंद्रीकरण , हिंदी में दक्षता की आवश्यकता, अल्पसंख्यकों से संबंधित मुद्दे , सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (EMRS) योजना, जनजातीय क्षेत्र, जनजातीय शिक्षा, स्थानीय भाषा और संस्कृति ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में भर्ती का केंद्रीकरण ’ से संबंधित है।)

  

 

खबरों में क्यों? 

 

  • हाल ही में देश भर में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (Eklavya Model Residential Schools- EMRS) के लिए भर्ती प्रक्रिया का केंद्रीकरण किया गया है, जिसे भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री द्वारा वर्ष 2023 के बजट में पेश किया गया था। 
  • इस केंद्रीकरण में हिंदी दक्षता को अनिवार्य आवश्यक योग्यता के रूप में शामिल किया गया है, जिसके परिणामस्वरूप कई शिक्षकों ने स्थानांतरण के लिए अनुरोध किया है।
  • भारत के केंद्रीय अधिकारी इस बात पर जोर दे रहें हैं कि आवेदकों को देश में कहीं भी नियुक्ति स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि, मुख्य चिंता यह है कि इससे उन आदिवासी छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ेगा जिन्हें ऐसे शिक्षकों द्वारा पढ़ाया जा रहा है जो स्थानीय भाषा और संस्कृति से बिल्कुल ही अपरिचित हैं।

 

एकलव्य आदर्श आवासीय योजना (ईएमआरएस) : 

 

  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) भारत सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा प्रबंधित भारत में मुफ्त आवासीय विद्यालयों की एक श्रृंखला है। 
  • इनकी स्थापना दूरस्थ क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (ST) के छात्रों को कक्षा 6 से कक्षा 12 तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। 
  • ये विद्यालय छात्रों के अकादमिक और सामाजिक विकास के साथ-साथ खेल, कला, संस्कृति, और कौशल विकास पर भी ध्यान केंद्रित करते हैं। 
  • इन स्कूलों में छात्रों की अधिकतम क्षमता 480 छात्रों की होती है और यह नवोदय विद्यालयों के समकक्ष होते हैं। 
  • भारत में एकलव्य आदर्श आवासीय योजना भारत सरकार के केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित होती है और इन विद्यालयों का निर्माण संबंधित राज्यों के वैकल्पिक भवनों या सरकारी भवनों में भी किया जा सकता है। 
  • एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में आदिवासी छात्रों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जाती है।
  • भारत में एकलव्य आदर्श आवासीय योजना अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है जो उन्हें उच्च शिक्षा के अवसरों की ओर अग्रसर करने में मदद करता है।

 

एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों का वित्तपोषण :

 

  • भारत में एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों को केंद्र सरकार द्वारा एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के छात्रावास और स्टाफ क्वार्टर सहित स्कूल परिसर की स्थापना के लिए पूंजीगत लागत प्रदान की जाती है। 
  • इसके तहत भारत के मैदानी क्षेत्रों में यह लागत 37.80 करोड़ रुपये तक बढ़ा दी गई है, जबकि भारत के पूर्वोत्तर राज्यों , पहाड़ी क्षेत्रों और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में यह राशि 48 करोड़ रुपये तक है।
  • एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के संचालन और छात्रों के ऊपर होने वाले व्यय राशि, जैसे यूनिफॉर्म, पुस्तकें और स्टेशनरी, भोजन आदि, के लिए प्रति वर्ष 1.09 लाख रुपये तक की आवर्ती लागत का भुगतान किया जाता है।
  • इस योजना के कार्यान्वयन के लिए भारत के केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक सोसायटी (एनईएसटीएस) को धनराशि जारी की जाती है, जो आगे राज्य समितियों और निर्माण एजेंसियों को उनकी आवश्यकताओं के अनुसार धनराशि वितरित करती है।

 

एकलव्य आदर्श आवासीय योजना में भर्ती से संबंधित हालिया मुद्दा :

 

हिंदी दक्षता की अनिवार्यता :

  • हाल ही में एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के लिए भर्ती प्रक्रिया के केंद्रीकरण में हिंदी दक्षता को अनिवार्य शर्त के रूप में शामिल किया गया है। 
  • इसके परिणामस्वरूप, हिंदी भाषी राज्यों से बड़ी संख्या में भर्ती किए गए कर्मचारियों को दक्षिणी भारतीय राज्यों के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (Eklavya Model Residential Schools- EMRS) में तैनात किया जा रहा है। 
  • फलतः हिन्दी भाषी राज्यों के कर्मचारी दक्षिणी भारतीय राज्यों की भाषा, भोजन और संस्कृति से अपरिचित हैं। 
  • इस भर्ती प्रक्रिया के केंद्रीकरण के संबंध में केंद्र सरकार का यह तर्क है कि बुनियादी हिंदी भाषा दक्षता की आवश्यकता असामान्य नहीं है, क्योंकि यह जवाहर नवोदय विद्यालयों और केंद्रीय विद्यालयों में भर्ती के लिए भी अनिवार्य होता है।

 

आदिवासी छात्रों पर पड़ने वाला प्रभाव :

  • भारत में संचालित एकलव्य विद्यालयों में अधिकांश आदिवासी विद्यार्थी ऐसे शिक्षकों से लाभान्वित होंगे जो उनके स्थानीय सांस्कृतिक पहचान , परंपरा और  विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भों को समझते हैं, क्योंकि इन समुदायों के पास अपना स्थानीय सांस्कृतिक पहचान , परंपरा और विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भ होते हैं जिनके तहत शिक्षण को अनुकूल बनाया जा सकता है।
  • केंद्र सरकार के सरकारी अधिकारियों के अनुसार भर्ती किए गए शिक्षकों से दो वर्ष के भीतर स्थानीय भाषा सीखने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन भर्ती किए गए शिक्षकों में एक नई, पूर्ण रूप से अलग भाषा सीखने को लेकर अभी भी आशंकाएँ व्याप्त हैं। 
  • गैर-स्थानीय शिक्षकों की नियुक्ति से जनजातीय विद्यार्थियों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि वे ऐसे शिक्षकों के साथ तालमेल नहीं बैठा पाएंगे जो उनके सांस्कृतिक संदर्भ से परिचित नहीं हैं।

 

आगे की राह :

 

स्थानीयकृत भर्ती प्रक्रिया को अपनाना :

 

  1. स्थानीय प्राथमिकता को सुनिश्चित करना : शिक्षकों की भर्ती में स्थानीय समुदायों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ताकि वे छात्रों के सांस्कृतिक और भाषाई संदर्भों से परिचित हों।
  2. विविधता सुनिश्चित किया जाना : स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार के शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए ताकि स्थानीय परंपराओं का सम्मान करते हुए शिक्षण विधियों में विविधता लाई जा सके। स्थानीय और गैर-स्थानीय दोनों प्रकार के शिक्षकों की भर्ती से शिक्षण विधियों की विविधता को सुनिश्चित किया जा सकता है।

 

भाषा संबंधी अनुकूल की आवश्यकता का पुनर्मूल्यांकन करना :

 

  1. हिंदी योग्यता का पुनर्मूल्यांकन करना : गैर-हिंदी भाषी क्षेत्रों में भर्ती में अनिवार्य हिंदी योग्यता की आवश्यकता का पुनर्मूल्यांकन करना अत्यंत जरूरी है।
  2. भाषा सहायता कार्यक्रम : शिक्षकों को उनके नियोजित क्षेत्रों की स्थानीय भाषाएँ सीखने के लिए भाषा सहायता कार्यक्रमों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

 

सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण :

 

  1. व्यापक प्रशिक्षण प्रदान करना : सभी शिक्षकों, विशेष रूप से गैर-स्थानीय क्षेत्रों के शिक्षकों को व्यापक सांस्कृतिक संवेदनशीलता प्रशिक्षण प्रदान किया जाना चाहिए ताकि उन्हें उस समुदाय को समझने और उस समुदाय से घुलने – मिलने में मदद मिल सके जहाँ वे शिक्षक और कर्मचारी कार्यरत होंगें।
  2. कार्यक्रमों का उन्नयन करना : स्थानीय विशिष्ट सांस्कृतिक संदर्भों और भाषा कौशल पर ध्यान केंद्रित करते हुए वर्तमान में जारी पेशेवर विकास कार्यक्रमों का उन्नयन किया जाना चाहिए।

 

नीतियों की नियमित समीक्षा :

 

  1. नियमित समीक्षा की आवश्यकता : शिक्षकों और छात्रों दोनों पर इसके प्रभाव का आकलन करने के लिए भर्ती नीति की नियमित समीक्षा की जानी चाहिए ताकि उनके बीच उभरते मुद्दों को संबोधित करने के लिए आवश्यक समायोजन और नीति – निर्माण किया जा सके।
  2. विभिन्न राज्यों के विविध सांस्कृतिक और भाषाई परिदृश्यों के अनुकूल नीतियों का निर्माण करना : एकलव्य आदर्श आवासीय स्कूलों के संदर्भ में नीतियों का निर्माण विभिन्न राज्यों के विविध सांस्कृतिक और भाषाई परिदृश्यों के अनुकूल होना सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

 

स्रोत – द हिंदू एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। 

  1. भारत में इस योजना के लिए नोडल मंत्रालय केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय है।
  2. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के लिए शिक्षकों की भर्ती राज्य सरकारों द्वारा की जाती है।
  3. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों में पूंजीगत लागत केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की जाती है।
  4. इन स्कूलों में छात्रों की अधिकतम क्षमता 480 छात्रों की होती है और यह नवोदय विद्यालयों के समकक्ष होते हैं। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 3 और 4 

B. केवल 2, 3 और 4 

C. केवल 1, 2 और 4 

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – A

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) के मुख्य उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि वर्तमान में इसकी भर्ती प्रक्रिया के केंद्रीकरण करने से किस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है और इसका समाधान कैसे किया जा सकता है? ( UPSC 2019 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 ) 

 

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