भारत में घरेलू कर्मकार 

भारत में घरेलू कर्मकार 

संदर्भ- हाल ही में गुणगांव में पुलिस ने बुधवार को एक नाबालिग लड़की( घरेलू सहायिका) को प्रताड़ित करने से और मारपीट करने से संबंधित मामला दर्ज किया गया है। 

भारत में घरेलू कर्मकार-  

किसी निजी घर य घरों में घरेलू कार्यों से संबंधित रोजगार करने वाले घरेलू कर्मकार/कामगार/सहायक कहलाते हैं। जैसे- बेबी सिटर्स, केयरटेकर, सफाई करने वाले लोग, घरेलू नौकर, ड्राइवर, स्वास्थ्य सहायक, हाउसकीपर, नौकरानियाँ, नैनी, निजी नर्स और यार्ड वर्कर आदि। विश्व के सबसे अधिक घरेलू सहायक विकासशील देशों में होते हैं, भारत भी एक विकासशील देश है।  ई श्रम पोर्टल के अनुसार भारत में 27908706 घरेलू कामगार कार्य करते हैं। जो भारत में द्वितीय रोजगार की श्रेणी में आता है। प्रथम स्थान पर कृषि का स्थान है।

घरेलू कर्मकार की समस्याएं

  • घरेलू कर्मकारों में अधिकतर अशिक्षित महिलाएं कार्य करती हैं, अशिक्षा के कारण उनके अधिकारों का हनन होने की संभावना बढ़ जाती हैं।
  • वेतन सुनिश्चित न होने से कामगारों को कम वेतन में ही कार्य करना पड़ता है, जिसमें कम उम्र की बालिकाएं शामिल होती हैं।
  • बालिकाओं व महिलाओं का शारीरिक व मानसिक शोषण की संभावना बढ़ जाती है।

घरेलू कर्मकारों की सुरक्षा हेतु विधान

घरेलू कामगार बिल,  2004-2007 के मध्य तैयार किया गया था जिसे राष्ट्रीय महिला आयोग की स्वीकृति प्राप्त है। किंतु इसे संसदीय स्वीकृति प्राप्त नहीं है।

राष्ट्रीय घरेलू कामगार कल्याण आयोग विधेयक 2022- घरेलू आयोग के कल्याण हेतु राष्ट्रीय आयोग की स्थापना के लिए विधेयक जारी किया गया है। आयोग में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन सदस्य होंगे। राष्ट्रीय आयोग घऱेलू कामगार व उनके परिवारों के कल्याण हेतु ऐसे कदम उठाए जो उचित समझे जाए। इसके तहत – 

  • कामगारों को घरेलू कामगारों के रूप में मान्यता देना।
  • राष्ट्रीय सर्वेक्षणों में कार्य का नाम व कार्य का स्थान शामिल किया जाए जिससे राष्ट्रीय कामगारों की स्थिति अर्थात स्वनियोजित कामगार व अनुबंधित कामगार के मध्य अंतर को स्पष्ट करना।
  • घरेलू कामगारों का पंजीकरण करना व घरेलू कामगार पहचान संख्या जारी करना।
  • वेतन, सामाजिक सुरक्षा व सामुदायिक स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • घरेलू कामगारों के लिए कौशल आधारित प्रशिक्षण आयोजित करना।

घरेलू कामगार अखिल भारतीय आर्थिक सर्वेक्षण

2021 में भारत सरकार ने श्रम ब्यूरो को घरेलू कामगार आर्थिक सर्वेक्षण का कार्य सौंपा। सर्वेक्षण कुल 37 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 742 जिलों पर आधारित है। जो आगामी रोजगार नीति के लिए एक महत्वपूर्ण डेटा साबित हो सकता है। सर्वेक्षण के उद्देश्य हैं-

  • राष्ट्रीय व राज्य स्तर पर घरेलू कामगारों की संखाय व अनुपात का अनुमान लगाना।
  • लिव इन/लाइव आउट के अनुपात का पता लगाना।
  • विभिन्न प्रकार के घरों में काम पर रखे गए घरेलू कामगारों की औसत संख्या।

असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा अधिनियम 2008

असंगठित क्षेत्र से व्यष्टियों या स्वनियोजित कर्मकारों के स्वामित्वाधीन और किसी प्रकार के उत्पाद के उत्पादन या विक्रय में या सेवा प्रदान करने में लगा हुआ उद्यम अभिप्रेत है और जहां उद्यम कर्मकारों को नियोजित करता है वहां ऐसे कर्मकारों की संख्या दस से कम है।

(1) केन्द्रीय सरकार समय-समय पर असंगठित कर्मकारों के लिए निम्नलिखित से संबंधित विषयों  के संबंध में उपयुक्त कल्याणकारी स्कीमें विरचित और अधिसूचित करेगी-

  • जीवन और नि:शक्तता सुरक्षा
  • स्वास्थ्य और प्रसूति फायदे
  • वृद्धावस्था संरक्षण; और
  • ऐसा कोई अन्य फायदा जो केन्द्रीय सरकार द्वारा अवधारित किया जाए।

(2) राज्य सरकार, समय-समय पर, असंगठित कर्मकारों के लिए निम्नलिखित से संबंधित स्कीमों सहित कल्याणकारी स्कीमें विरचित और अधिसूचित कर सकेगी, – 

  • भविष्य निधि;
  • नियोजन क्षति फायदा;
  • आवासन;
  • बालकों के लिए शिक्षा संबंधी स्कीमें;
  • कर्मकारों के कौशल का उन्नयन;
  • अंत्येष्टि सहायता; और
  • वृद्धाश्रम।

स्रोत

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