भारत में चुनावी बॉन्ड योजना और भारतीय स्टेट बैंक

भारत में चुनावी बॉन्ड योजना और भारतीय स्टेट बैंक

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी। 

सामान्य अध्ययन  – भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था,  चुनावी बॉण्ड योजना, राजनीतिक दल, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951, चुनाव प्रक्रिया पर चुनावी बॉण्ड का प्रभाव, चुनावी पारदर्शिता और जवाबदेही, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे।

 

खबरों में क्यों ?

 

  • हाल ही में 15 फरवरी, 2024 को भारत के उच्चतम न्यायालय ने भारतीय स्टेट बैंक द्वारा चलाई जा रही चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक मानते हुए उसे रद्द कर दिया था । 
  • भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायधीशों की एक खंडपीठ द्वारा दिए गए इस निर्णय के अनेक कारण हैं, जो न केवल भारत के राजनीतिक दलों के लिए बल्कि आम भारतीय नागरिकों के लिए भी चुनावी पारदर्शिता के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

भारतीय स्टेट बैंक की प्रतिक्रिया : 

  • भारत के उच्चतम न्यायालय के द्वारा चुनावी बांड योजना के संदर्भ में दिए गए हालिया निरनय में भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को 6 मार्च 2024 तक, चुनावी बांड को खरीदने के  ब्योरे, जिसमें खरीद की तारीख और मूल्यवर्ग (डिनॉमिनेशन) दोनों ही शामिल था के अतिरिक्त बॉन्ड प्राप्त करने वाले भारतीय राजनीतिक दलों का ब्योरा भी भारत के उच्चतम न्यायालय को उपलब्ध कराना था। एसबीआई को ऐसा करने के लिए कहे जाने के पीछे भारत की चुनाव प्रणाली में राजनीतिक दलों के वित्तपोषण में पारदर्शिता सुनिश्चित करना था।
  • भारत के उच्चतम न्यायालय को दिए गए अपने जवाब में, एसबीआई ने डेटा जारी करने के लिए, अपने एक अधिकारी के जरिए, जून 2024 के अंत तक का समय मांगा है, जो भारत में लोकसभा के आम चुनाव 2024 की प्रत्याशित तारीख के काफी बाद का समय है।
  • भारतीय स्टेट बैंक ने अपने जवाब में चुनावी बांड को खरीदने  में होने वाली कठिनाईयों का सामना करते हुए बताया कि वह अपने अधिकारी के माध्यम से डेटा जारी करने के लिए अगले तीन महीनों में मांग कर रही है।
  • भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वाले भारतीय राजनीतिक दलों के ब्योरे की प्रक्रिया को सुधारने के लिए भी कदम उठाने की बात की है।

डेटा की गोपनीयता और प्रक्रिया : 

  • भारत के उच्चतम न्यायालय ने स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से सिर्फ चुनावी बॉन्ड की खरीद और उसे जारी किए जाने से जुड़ी सूचना को प्रकाशित करने का निर्देश दिया है, जिससे दानदाताओं और राजनीतिक दलों के रूप में  प्राप्तकर्ता  व्यक्ति या दलों के बीच के संबंधों का सटीक निर्धारण नहीं किया जा सकता है।

भारत में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से किए गए दान का विवरण :  

  • भारत में हुए हालिया आम चुनावों में होने वाले खर्चों के संदर्भ में भारत में चुनावी बॉन्ड के माध्यम से किए गए दानों का वर्तमान डेटा यह दिखाता है कि भारतीय जनता पार्टी ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल 57% धन प्राप्त किया था, जबकि कांग्रेस ने चुनावों के दौरान तकरीबन 10% हिस्सा ही चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट का दृष्टिकोण :

  • 15 फरवरी, 2024 को भारत के उच्चतम न्यायालय ने चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द करते हुए सर्वसम्मति से यह फैसला सुनाया था कि –  “ यह भारतीय संविधान द्वारा भारतीय नागरिकों को प्रदत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के संवैधानिक अधिकार के साथ-साथ संविधान के अनुच्छेद 19(1)(A) के तहत सूचना के अधिकार का भी उल्लंघन करता है।”

 

चुनावी बॉन्ड योजना का परिचय : 

भारत में चुनावी बॉन्ड योजना विभिन्न राजनीतिक दलों को चुनाव में धन प्राप्ति या चंदा के रूप में फंडिंग करने का एक तरीका है। चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय की पांच – न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी 2024  को इसे रद्द करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है

  • भारत में वर्ष 2017 में  वित्त विधेयक के माध्यम से संसद में चुनावी बॉन्ड योजना पेश की गई थी।
  • 14 सितंबर, 2017 को ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (ADR) नामक एनजीओ ने मुख्य याचिकाकर्ता के रूप में इस योजना के विरूद्ध उच्चतम न्यायालय में चुनौती पेश किया।
  • 03 अक्टूबर, 2017 को उच्चतम न्यायालय ने उस एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर केंद्र सरकार  और भारतीय चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया।
  • 2 जनवरी, 2018 को  केंद्र सरकार ने चुनावी बॉन्ड योजना को भारत में अधिसूचित किया।
  • 7 नवंबर, 2022को  चुनावी बॉन्ड योजना में एक वर्ष में बिक्री के दिनों को 70 से बढ़ाकर 85 करने के लिए संशोधन किया गया, जहां कोई भी विधानसभा चुनाव निर्धारित हो सकता है।
  • 6 अक्टूबर, 2023 को भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली उच्चतम न्यायालय के बेंच ने इस योजना के खिलाफ याचिकाओं को पांच – न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा।
  • 31 अक्टूबर, 2023 को भारत के उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने योजना के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई शुरू की।
  • 2 नवंबर, 2023 को उच्चतम न्यायालय ने इस योजना में अपना  फैसला सुरक्षित रखा।
  • भारत में चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता से संबंधित मामले में उच्चतम न्यायालय की पांच – न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी 2024  को इसे रद्द करते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था।

चुनावी बॉन्ड योजना का इतिहास : 

  • भारत में सन् 2008 में अधिसूचित की गयी इस योजना ने गुप्त रूप से राजनीतिक दलों को चुनाव में होने वाले खर्चों के लिए चंदा के रूप में दिए जाने वाले धन की राह को सुगम बनाया था, लेकिन शुरुआत में यह भारत में केवल एक समयबद्ध योजना के रूप में थी जो वर्तमान समय में अब बेहद अप्रासंगिक हो गई है।
  • भारत के सुप्रीम कोर्ट का वर्तमान निर्णय इसे अब उत्तरदाताओं के सामने की वर्तमान स्थिति को स्थापित करने का प्रयास करता है।

चुनावी बॉण्ड योजना की पृष्ठभूमि :

  • भारत में चुनावी बॉण्ड प्रणाली को वर्ष 2017 में एक वित्त विधेयक के माध्यम से संसद में पेश किया गया था और इसे वर्ष 2018 में लागू भी कर दिया गया था।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड योजना के तहत राजनीतिक दलों को दिए जाने वाले दानदाताओं की नाम को गुप्त रखते हुए या सार्वजानिक किए बिना पंजीकृत राजनीतिक दलों को दान देने के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए एक साधन के रूप में कार्य करते हैं।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड ब्याज मुक्त होता है और धारक द्वारा मांगे जाने पर देय होता है।

 

भारत में चुनावी बॉण्ड खरीदने के राजनीतिक दलों की पात्रता :

  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत भारत में केवल वही पंजीकृत राजनीतिक दल ही, जिन्होंने पिछले आम चुनाव में लोकसभा अथवा विधानसभा के लिए डाले गए वोटों में से कम – से – कम 1% वोट हासिल किया हो, वही इस चुनावी बॉण्ड को खरीदने के लिए पात्र होते हैं।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड डिजिटल माध्यम अथवा चेक के माध्यम से ही खरीदे जा सकते हैं।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड का नकदीकरण केवल राजनीतिक दल के अधिकृत बैंक खाते के माध्यम से ही किया जा सकता है।

 

भारत में चुनावी बॉण्ड के लिए अधिकृत जारीकर्त्ता बैंक :

 

  • भारत में चुनावी बॉण्ड के लिए अधिकृत जारीकर्त्ता बैंक भारतीय स्टेट बैंक है।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड नामित भारतीय स्टेट बैंक शाखाओं के माध्यम से ही जारी किए जाते हैं।

 

घोर पूंजीवाद (क्रोनी कैपिटलिज़्म)  को बढ़ावा देने का समर्थक होना :

  • भारत में चुनावी बॉण्ड योजना राजनीतिक रूप से प्राप्त चंदे पर पूर्व में मौजूद सभी सीमाओं को हटा देती है और प्रभावी संसाधन वाले निगमों को चुनावों को वित्तपोषित करने की अनुमति देती है। परिणामस्वरूप  क्रोनी कैपिटलिज़्म का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • घोर पूंजीवाद/ साठगांठ वाला पूंजीवाद / क्रोनी कैपिटलिज़्म में व्यापारियों और सरकारी अधिकारियों के बीच घनिष्ठ, पारस्परिक रूप से लाभप्रद और साठगांठ वाला पूंजीवादीआर्थिक प्रणाली है। जिससे भारत के लोकतंत्रात्मक व्यवस्था के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है।

निष्कर्ष / समाधान की राह : 

  • भारत के उच्चतम न्यायालय को भी एसबीआई के द्वारा दिए गए जवाब के लिए उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका की सुनवाई के दौरान और स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया को और अधिक लगन से काम करने और चुनावी बॉन्ड योजना संबंधी सूचना को भारत में  वर्ष  2024 में होने वाले आगामी लोकसभा चुनाव से काफी पहले उपलब्ध कराने के लिए बाध्य करना चाहिए।
  • भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए इस समयबद्ध निर्णय से यह साफ है कि भारत में निष्पक्ष , न्यायसंगत और लोकतांत्रिक तरीके से होने वाले चुनाव संपन्न होने के लिए वर्तमान चुनावी बॉन्ड योजना में सुधार की अत्यंत आवश्यकता है और सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए ही सर्वसम्मति से रद्द कर दिया है। 
  • भारतीय स्टेट बैंक को भी चुनावी बॉण्ड प्रणाली के प्रति पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने  और इसमें सुधार करने के साथ – ही – साथ सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उचित अनुपालन करने का मौका मिला है। अतः भारतीय स्टेट बैंक को भी चुनावी बॉण्ड प्रणाली के प्रति अब गंभीरतापूर्वक विचार करने की जरूरत है ताकि भारत में चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय को सुनिश्चित किया जा सके। 
  • भारत में होने वाले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करने के लिए सरकार को भी अब गंभीरता से इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड योजना में पारदर्शिता बढ़ाने के उपाय को लागू करने करने की अत्यंत जरूरत है ।
  • भारत में राजनीतिक दलों के लिए चंदा प्राप्त करने के संबंध में चुनाव आयोग के समक्ष स्पष्टीकरण संबंधी सख्त नियम लागू होना चाहिए और भारत निर्वाचन आयोग को किसी भी प्रकार के दान की जाँच करने तथा चुनावी बॉण्ड एवं चुनाव एवं चुनाव में व्यय होने वाले धन दोनों ही के संबंध में स्पष्टीकरण देने का सख्त प्रावधान होना चाहिए ।
  • भारत में चुनावी बॉण्ड योजना से प्राप्त धन के संबंध में संभावित दुरुपयोग, दान सीमा के उल्लंघन और क्रोनी पूंजीवाद तथा काले धन के प्रवाह जैसे जोखिमों को रोकने के लिए  चुनावी बॉण्ड में वर्तमान में मौजूद कमियों की पहचान करके उसका समाधान करने की अत्यंत जरूरत है।
  • वर्तमान भारत की लोकतंत्रात्मक व्यवस्था में लोकतंत्र के प्रति उभरती चिंताओं को दूर करने, बदलते राजनीतिक परिदृश्यों के अनुकूल ढलने और लोकतंत्र में अधिक समावेशी निर्णय लेने की प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक जाँच, आवधिक समीक्षा तथा सार्वजनिक भागीदारी के माध्यम से चुनावी बॉण्ड योजना की समयबद्ध निगरानी करने को सुनिश्चित करने की अत्यंत जरूरत है।
  • भारत के लोकतंत्र और नौकरशाही में व्याप्त भ्रष्टाचार के दुष्चक्र और लोकतांत्रिक राजनीति की गुणवत्ता में गिरावट को रोकने के लिए  राजनीतिक स्तर पर साहसिक सुधारों के साथ-साथ राजनीतिक वित्तपोषण के प्रभावी विनियमन की अत्यंत आवश्यकता है।
  • भारत के लोकतंत्र में संपूर्ण शासन तंत्र को अधिक जवाबदेह और पारदर्शी बनाने के लिए चुनावी बॉण्ड योजना में व्याप्त मौजूदा कानूनों की खामियों को दूर करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • भारतीय लोकतंत्र में मतदाता जागरूकता अभियानों की शुरुआत कर मौजूदा चुनावी बॉण्ड योजना में महत्त्वपूर्ण बदलाव लाया जा सकता  हैं।
  • भारतीय लोकतंत्र में यदि मतदाता लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के प्रति जागरूक होकर उन उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को अस्वीकार कर देते हैं जो चुनावों में अधिक धन खर्च करते हैं या मतदाताओं को  रिश्वत देते हैं, तो भारतीय लोकतंत्र अपने मूल उद्देश्य के प्रति एक कदम आगे बढ़ जाएगा। जो भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश के लोकतंत्र के प्रति उज्जवल भविष्य के संकेत है। 

Download yojna daily current affairs hindi med 9th March 2024

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1.भारत में चुनावी पारदर्शिता के संदर्भ में चुनावी बॉण्ड प्रणाली के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. चुनावी बॉण्ड डिजिटल माध्यम अथवा चेक के माध्यम से ही खरीदे जा सकते हैं।
  2. भारत में चुनावी बॉण्ड का नकदीकरण केवल राजनीतिक दल के अधिकृत बैंक खाते के माध्यम से ही किया जा सकता है।
  3. चुनावी बॉण्ड का नकदीकरण केवल रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा ही किया जा सकता है।
  4. भारत में चुनावी बॉण्ड योजना पर दानदाताओं को ब्याज देना पड़ता  है क्योंकि यह आयकर रिटर्न के दायरें में नही आता है।

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

(A) केवल 1 और 3

(B)  केवल 2 और 4

(C) केवल 3 और 4 

(D) केवल 1 और 2 

उत्तर – (D)  

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. चर्चा कीजिए कि भारत में निष्पक्ष एवं स्वच्छ चुनाव प्रणाली के संदर्भ में चुनावी बॉन्ड योजना किस तरह सूचना के अधिकार का विरोधाभाषी और घोर पूंजीवादी व्यवस्था का समर्थक है ?  

 

No Comments

Post A Comment