06 Aug भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच डोनर समझौता पर हस्ताक्षर
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ स्वास्थ्य, पारंपरिक औषधि, ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) और इसका महत्त्व, नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन से उत्पन्न मुद्दे ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ पारंपरिक चिकित्सा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं का प्रबंधन ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच डोनर समझौता पर हस्ताक्षर ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में 31 जुलाई, 2024 को विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुख्यालय जिनेवा में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक दाता समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
- यह समझौता गुजरात के जामनगर में WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (GTMC) की गतिविधियों के लिए वित्तीय शर्तों की रूपरेखा प्रस्तुत करता है।
- ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (GTMC) को साक्ष्य-आधारित परंपरागत पूरक और एकीकृत चिकित्सा (Traditional Complementary and Integrative Medicine- TCIM) के लिए ज्ञान के प्रमुख स्रोत के रूप में स्वीकार किया गया है, जिसका उद्देश्य व्यक्तियों और धरती के स्वास्थ्य तथा कल्याण को बढ़ावा देना है।
इस हस्ताक्षर समारोह में प्रमुख हस्ताक्षरकर्ता और उपस्थित लोग :
हाल ही में आयोजित इस हस्ताक्षर समारोह में कई उच्च पदस्थ अधिकारियों ने अपनी उपस्थिति से इस अवसर को महत्वपूर्ण बना दिया। इस समारोह में प्रमुख रूप से निम्न लोग शामिल थे:
महामहिम श्री अरिंदम बागची : संयुक्त राष्ट्र, जिनेवा में भारत के स्थायी प्रतिनिधि, जिन्होंने आयुष मंत्रालय की ओर से दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए।
डॉ. ब्रूस आइलवर्ड : सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और जीवन पाठ्यक्रम के सहायक महानिदेशक, जिन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से हस्ताक्षर किए।
वैद्य राजेश कोटेचा : आयुष सचिव, जिन्होंने वर्चुअली इस समारोह में भाग लिया।
डॉ. श्यामा कुरुविल्ला : डब्ल्यूएचओ जीटीएमसी की निदेशक, जिन्होंने इस इवेंट का संचालन किया।
डॉ. रजिया पेंडसे : शेफ डी कैबिनेट, जिन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक का प्रतिनिधित्व करते हुए इस समारोह में धन्यवाद ज्ञापन प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
वर्तमान समझौते का महत्व :
- भारत और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के बीच सहयोग की इस नई पहल के तहत, भारत के गुजरात राज्य के जामनगर में स्थित WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (GTMC) के संचालन के लिए 10 वर्षों (2022-2032) की अवधि में 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर का दान प्रदान करेगा।
- यह कदम पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और विश्व स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने की भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- गुजरात के जामनगर में WHO ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर की स्थापना, समग्र विश्व में पारंपरिक चिकित्सा का पहला और एकमात्र वैश्विक आउट-पोस्ट सेंटर (कार्यालय) स्थापित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
- पारंपरिक चिकित्सा में स्वास्थ्य बनाए रखने और शारीरिक एवं मानसिक रोगों के उपचार के लिए विभिन्न संस्कृतियों के ज्ञान, कौशल, और अभ्यास शामिल होते हैं।
- भारत में पारंपरिक चिकित्सा की छह प्रमुख मान्यता प्राप्त पद्धतियाँ हैं: आयुर्वेद, सिद्ध, यूनानी, योग, प्राकृतिक चिकित्सा और होम्योपैथी।
भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी :
- इस समझौते को भारत सरकार की केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वीकृति दे दिया है, जो वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
वर्तमान परिचालन और भविष्य की योजनाएं :
अंतरिम कार्यालय : WHO-जीटीएमसी का अंतरिम कार्यालय पहले से ही कार्यरत है और वर्तमान में यह क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण कार्यक्रमों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम : सेंटर विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों की योजना बना रहा है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
- कैम्पस-आधारित कार्यक्रम
- आवासीय पाठ्यक्रम
- वेब-आधारित प्रशिक्षण
ये प्रशिक्षण कार्यक्रम WHO अकादमी और अन्य रणनीतिक साझेदारों के सहयोग से विकसित किए जाएंगे, जिससे वैश्विक स्तर पर पारंपरिक चिकित्सा के मानकों को स्थापित किया जा सके और सभी संबंधित पक्षों के लिए उच्च गुणवत्ता की शिक्षा और प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जा सके।
आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच सहयोगात्मक प्रयास :
आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच सहयोगात्मक प्रयास पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति को दर्शाते हैं। यह साझेदारी निम्नलिखित मुख्य पहलुओं पर केंद्रित है:
- मानक दस्तावेजों का विकास : आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ मिलकर आयुर्वेद, यूनानी, और सिद्ध प्रणालियों के प्रशिक्षण और अभ्यास के लिए मानक दस्तावेज तैयार कर रहे हैं। इन दस्तावेजों का उद्देश्य इन पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों की मानकीकरण और विश्वसनीयता को सुनिश्चित करना है।
- डब्ल्यूएचओ शब्दावली का निर्माण : पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए एक विशिष्ट शब्दावली विकसित की जा रही है, जो डब्ल्यूएचओ द्वारा मान्यता प्राप्त होगी। यह शब्दावली पारंपरिक चिकित्सा के सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुसार स्पष्ट और समझने योग्य बनाएगी।
- रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण में सुधार : पारंपरिक चिकित्सा को अंतर्राष्ट्रीय रोग वर्गीकरण (ICD) में एक नई श्रेणी के रूप में शामिल करने के लिए एक दूसरा मॉड्यूल पेश किया जा रहा है। यह मॉड्यूल पारंपरिक चिकित्सा के उपचार और तकनीकों को वैश्विक स्तर पर मान्यता देगा।
- एम-योगा ऐप्स का विकास : योग और अन्य पारंपरिक चिकित्सा विधियों को डिजिटल माध्यम से प्रचारित करने के लिए एम-योगा जैसे मोबाइल ऐप्स का निर्माण किया जा रहा है। ये ऐप्स उपयोगकर्ताओं को योग के अभ्यास और अन्य स्वास्थ्य सुझाव प्रदान करेंगे।
- इन प्रयासों के माध्यम से, जिसमें डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्रडिशनल मेडिसिन सेंटर (जीटीएमसी) भी शामिल है, भारतीय पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन पहलों से पारंपरिक चिकित्सा को अंतर्राष्ट्रीय – स्तर पर मान्यता मिलेगी और इसके लाभों को वैश्विक स्तर पर फैलाने में मदद मिलेगी।
वैश्विक प्रभाव और भविष्य की संभावनाएं :
आयुष मंत्रालय, भारत सरकार और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के संयुक्त प्रयासों से कई दूरगामी और सकारात्मक परिणाम सामने आने की संभावना है। जो निम्नलिखित है –
- भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय मान्यता और वैश्विक समर्थन मिलना : भारत की समृद्ध पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों जैसे आयुर्वेद, योग, होम्योपैथी और सिद्धा को वैश्विक मान्यता और समर्थन प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आयुष मंत्रालय और WHO के सहयोग से इन पद्धतियों की विधियों, लाभों और वैज्ञानिक प्रमाणों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिल सकती है। इससे वैश्विक मंच पर इन पद्धतियों की स्वीकार्यता बढ़ेगी और उनकी प्रभावशीलता को प्रमाणित करने में मदद मिलेगी। इससे भारतीय पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को न केवल आंतरिक लाभ मिलेगा, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय में इसका महत्व भी बढ़ेगा।
- वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में योगदान सुनिश्चित करना : पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को वैश्विक स्वास्थ्य रणनीतियों में शामिल करने से विभिन्न देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता और प्रभावशीलता में सुधार होगा। इससे महामारी प्रबंधन, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य सुधार को समर्थन मिलेगा। वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका को मान्यता देने से गुणवत्तापूर्ण और सस्ती स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच सुनिश्चित की जा सकती है।
- पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करना : सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के विभिन्न पहलुओं, जैसे स्वास्थ्य और कल्याण (लक्ष्य 3), और गुणवत्ता शिक्षा (लक्ष्य 4) के संदर्भ में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है। आयुष मंत्रालय और WHO के संयुक्त प्रयासों से इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। पारंपरिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच को बढ़ाना, स्वास्थ्य शिक्षा को प्रोत्साहित करना और सतत विकास के लक्ष्यों को साकार करने के लिए वैश्विक स्तर पर एक मजबूत प्रतिबद्धता बनाई जा सकती है। यह पारंपरिक चिकित्सा के विकास को सुदृढ़ करेगा और सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक नई दिशा प्रदान करेगा।
- इन सभी पहलुओं के माध्यम से, आयुष मंत्रालय और WHO के संयुक्त प्रयास न केवल भारत के पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को सशक्त करेंगे, बल्कि वैश्विक स्वास्थ्य सुधार और सतत विकास के लिए भी एक नई दिशा प्रदान करेंगे। जो भारतीय पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में सहायक होगी।
स्त्रोत – पीआईबी एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download yojna daily current affairs hindi med 6th August 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच डोनर समझौता पर हुए हस्ताक्षर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसके तहत ग्लोबल ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर (GTMC) के संचालन के लिए 10 वर्षों की अवधि में 85 मिलियन अमेरिकी डॉलर दिया जायेगा।
- यह भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली के माध्यम से सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने की प्रतिबद्धता से संबंधित है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1
B. केवल 2
C. न तो 1 और न ही 2
D. 1 और 2 दोनों।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. हाल ही में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पारंपरिक औषधियों के अंतर्राष्ट्रीयकरण से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किया है। इस संदर्भ में पारंपरिक औषधि से संबंधित चुनौतियों और मुद्दों का उल्लेख करें तथा इस संबंध में भारत सरकार द्वारा की गई पहलों पर चर्चा करें। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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