07 Aug भारत सरकार द्वारा बासमती चावल की दो गैर-ट्रांसजेनिक किस्मों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ कृषि विपणन , भारत के विभिन्न क्षेत्रों/भागों में प्रमुख फसलें और फसल पैटर्न, सिंचाई के प्रकार और सिंचाई प्रणाली भंडारण, भारत में खाद्य प्रसंस्करण एवं संबंधित उद्योग ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ पूसा बासमती 1979 और पूसा बासमती 1985 की व्यावसायिक खेती की मंजूरी, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR), जनसंशोधित जीव, HT किस्म के बीजों का उपयोग ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक करेंट,अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत सरकार द्वारा बासमती चावल की दो गैर-ट्रांसजेनिक किस्मों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी ’ खंड से संबंधित है। )
खबरों में क्यों ?
- भारत सरकार ने हाल ही में पहली बार शाकनाशी-सहिष्णु (Herbicide-Tolerant: HT) बासमती चावल की दो गैर-ट्रांसजेनिक किस्मों, पूसा बासमती 1979 और पूसा बासमती 1985, की व्यावसायिक खेती की मंजूरी दी है।
- बासमती चावल की ये किस्में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा विकसित की गई हैं।
- इसका मुख्य उद्देश्य धान की धारणीय कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना है, जो जल संरक्षण और कार्बन उत्सर्जन में कमी को प्रोत्साहित करती हैं।
चावल की इस नई किस्मों की मुख्य विशेषताएँ :
चावल की नई किस्मों की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं –
- उत्परिवर्तित ALS जीन : इन किस्मों में एसीटो-लैक्टेट सिंथेज़ (ALS) जीन का उपयोग किया गया है, जो इमेजेथापायर (शाकनाशी) के छिड़काव के माध्यम से खरपतवार नियंत्रण को सक्षम बनाता है।
- एंजाइम बाइंडिंग साइट का अभाव : उत्परिवर्तित ALS जीन के कारण ALS एंजाइमों में इमेजेथापायर के लिए बाइंडिंग साइट का अभाव होता है, जिससे अमीनो एसिड संश्लेषण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
- अमीनो एसिड संश्लेषण : यह जीन चावल की फसल की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक अमीनो एसिड के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार एंजाइम को एनकोड करता है।
- शाकनाशी का प्रभाव : इमेजेथापायर चौड़ी पत्ती वाले, घास वाले और सेज प्रकार के खरपतवारों को लक्षित करता है, लेकिन फसल और खरपतवार में अंतर नहीं कर पाता, जिससे फसल शाकनाशी के प्रति सहिष्णु हो सकती है।
- गैर-आनुवंशिक प्रक्रिया : इस प्रक्रिया में कोई विदेशी जीन शामिल नहीं होते है, जिससे उत्परिवर्तन प्रजनन के माध्यम से शाकनाशी सहिष्णुता प्राप्त की जाती है और ये पौधे गैर-आनुवंशिक तरीके से रूपांतरित (Non-GMO) होते हैं।
जनसंशोधित जीव (Genetically Modified Organism – GMO) क्या होता है ?
- ट्रांसजेनिक जीव (Transgenic Organism) वह जीव होते हैं जिनके जीनोम में कृत्रिम साधनों के माध्यम से किसी अन्य प्रजाति से एक या एक से अधिक बाहरी DNA अनुक्रम या जीन को जोड़ा जाता है, जिससे उसका आनुवंशिक संरचना परिवर्तित हो जाती है। ऐसे जीवों को आमतौर पर जनसंशोधित जीव (Genetically Modified Organism – GMO) कहा जाता है।
- जनसंशोधित जीव (Genetically Modified Organism – GMO) एक ऐसा जीव होता है जिसका आनुवंशिक ढांचा संशोधित होता है। सभी ट्रांसजेनिक जीव जनसंशोधित जीव के अंतर्गत आते हैं, जबकि गैर-ट्रांसजेनिक जीवों में कोई बाहरी DNA सम्मिलित नहीं होता है।
चावल / धान :
- धान एक प्रमुख खरीफ फसल है जिसे उगाने के लिए उच्च तापमान (25 डिग्री सेल्सियस से अधिक) और उच्च आर्द्रता के साथ वार्षिक 100 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा की आवश्यकता होती है।
- भारत के दक्षिणी राज्यों और पश्चिम बंगाल में चावल की दो या तीन फसलों की खेती के लिए जलवायु अनुकूल है।
- पश्चिम बंगाल में, किसान ‘औस’, ‘अमन’, और ‘बोरो’ नामक चावल की तीन प्रमुख फसलें उगाते हैं।
- भारत में कुल कृषि क्षेत्र का लगभग एक-चौथाई हिस्सा चावल की खेती के लिए उपयोग किया जाता है।
- भारत में प्रमुख चावल उत्पादक राज्य पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब हैं।
- उच्च उपज वाले राज्यों में पंजाब, तमिलनाडु, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, और केरल शामिल हैं।
- भारत, चीन के बाद चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
- बासमती चावल भारत का प्रमुख कृषि-निर्यात उत्पाद है क्योंकि 2022-23 में, भारत ने 4.56 मिलियन टन बासमती चावल का निर्यात किया, जिसका मूल्य 4.78 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- बासमती चावल की विशिष्ट सुगंध 2-एसिटाइल-1-पाइरोलाइन (2-AP) यौगिक के कारण होती है, जो चावल की परिपक्वता के दौरान उत्पन्न होता है और इसे विशेष सुगंध और पौष्टिकता प्रदान करता है।
धान की रोपाई बनाम प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) की विधि में मुख्य अंतर :
धान की रोपाई :
- धान की रोपाई के लिए खेत में जल भरकर मृदा को दलदल जैसा बनाया जाता है।
- रोपाई के बाद पहले तीन सप्ताह तक पौधों के लिए 4-5 सेमी. की जल गहनता बनाए रखने के लिए प्रतिदिन सिंचाई की जाती है।
- इस विधि में नर्सरी की तैयारी और रोपाई की प्रक्रिया शामिल होती है।
- फसल के टिलरिंग (तना विकास) अवस्था में आने पर, किसान अगले चार-पाँच सप्ताह तक 2-3 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहते हैं।
- धान की रोपाई में श्रम और जल दोनों की अधिक आवश्यकता होती है।
धन का प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) :
- इस विधि में अंकुरित बीजों को ट्रैक्टर द्वारा संचालित मशीनों के माध्यम से सीधे खेत में डाला जाता है।
- इस विधि में नर्सरी की तैयारी या रोपाई की आवश्यकता नहीं होती।
- किसानों को केवल खेत को समतल करना होता है और बुवाई से पहले एक बार सिंचाई करनी होती है।
- DSR विधि में जल और श्रम दोनों की बचत होती है।
- जल संग्रहण अवधि में कमी और मृदा की असंतुलन में वांछनीय कमी के कारण यह विधि मीथेन उत्सर्जन को भी कम करती है।
महत्व :
चावल की इन HT (हाई-टेक्नोलॉजी) किस्मों से कृषि क्षेत्र में निम्नलिखित लाभ प्राप्त होता है –
- नर्सरी की तैयारी में सहूलियत प्रदान करना : कृषि क्षेत्र में HT किस्में नर्सरी को तैयार करने को सरल और कुशल बनाती हैं, जिससे पौधों की प्रारंभिक वृद्धि और उसके प्रारंभिक विकास में सहायता मिलती है।
- पोखर और जलाशयों में जल संचयन को बेहतर ढंग से प्रबंधित करना : धान की ये किस्में पोखर और अन्य जलाशयों में जल की उपलब्धता को बेहतर ढंग से प्रबंधित करती हैं, जिससे खेतों में होने वाले जल की बर्बादी को कम किया जा सकता है और जल संचयन की आवश्यकता को समाप्त किया जा सकता है।
- धान के प्रत्यक्ष बीजारोपण (DSR) विधि का समर्थन करना : धान के प्रत्यक्ष बीजारोपण विधि को HT किस्में प्रोत्साहित करती हैं, जिससे कृषि की पारंपरिक जुताई की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। कृषि की इस पद्धति से भूमि के स्वास्थ्य या उर्वरता को बनाए रखते हुए प्रमुख ग्रीनहाउस गैस, मीथेन के उत्सर्जन को कम करने में सहायक होती है।
- इस प्रकार, इन HT चावल किस्मों का उपयोग कृषि उत्पादकता को बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरणीय संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
चावल की HT किस्म के उपयोग से जुड़ी मुख्य चिंताएँ :
चावल की HT (हेरबिसाइड-टॉलरेंट) किस्म के उपयोग के संबंध में कई चिंताएँ प्रकट की जा रही हैं। जो निम्नलिखित है –
- फसल सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ना : कृषि पद्धति की वर्तमान विधि के तहत बारंबार HT किस्म के बीजों का उपयोग करने से ‘सुपर वीड्स’ का जोखिम उत्पन्न हो सकता है। ये शाकनाशी प्रतिरोधी होते हैं और इनका नियंत्रण करना अत्यधिक कठिन हो सकता है। इस स्थिति से फसल सुरक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
- शाकनाशी अवशेषों की चिंता : धान की इस किस्म को विकसित करने में HT किस्म से उत्पन्न अनाज शाकनाशी अवशेषों से मुक्त होगा, लेकिन खाद्य उत्पादों में संभावित शाकनाशी अवशेषों के संचय की चिंताएँ अभी भी बनी हुई हैं। यह मानव स्वास्थ्य के लिए संभावित खतरा उत्पन्न कर सकता है।
- अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा मानकों पर प्रभाव पड़ना : भारत इमेजेथापायर जैसे कुछ शाकनाशियों के उपयोग की अनुमति देता है, जबकि यूरोपीय संघ इनमें प्रतिबंध लगाता है। यह अंतरराष्ट्रीय व्यापार और सुरक्षा मानकों पर प्रभाव डाल सकता है, जिससे वैश्विक व्यापार में कठिनाइयाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
- पारिस्थितिकीय तंत्र में दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न होना : शाकनाशियों के लगातार उपयोग से पारिस्थितिक तंत्र में नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं, जिससे पारिस्थितिकीय असंतुलन की संभावना बढ़ सकती है। जिससे HT फसलों की दीर्घकालिक संधारणीयता पर भी प्रश्न चिन्ह उठते हैं।
स्त्रोत – पीआईबी एवं द हिन्दू।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. ट्रांसजेनिक बासमती चावल के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ट्रांसजेनिक बासमती चावल को गोल्डन चावल के नाम से भी जाना जाता है।
- यह एक आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल है।
- इसे विटामिन ए की उच्च पैदावार देने के लिए संशोधित किया गया था।
- धान एक प्रमुख रबी फसल है। असम और त्रिपुरा में, किसान ‘औस’, ‘अमन’, और ‘बोरो’ नामक चावल की तीन प्रमुख फसलें उगाते हैं।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमे से कोई नहीं।
D. उपरोक्त सभी।
उतर – A
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. भारत सरकार ने दो गैर-ट्रांसजेनिक बासमती चावल किस्मों की व्यावसायिक खेती को मंजूरी दी है, इस संदर्भ में क्या आपको लगता है कि भारत में ट्रांसजेनिक खाद्य फसलों के संबंध में वर्त्तमान नीति को संशोधित करने का समय आ गया है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Q.2. ट्रांसजेनिक फसलों के उत्पादन के संबंध में अन्य देशों के अनुभव से यह पता चलता है कि इससे किसानों की आय बढ़ी है , लेकिन चर्चा करें कि क्या भारत में ट्रांसजेनिक खाद्य फसलों के व्यावसायिक से पहले एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है? ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15)
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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