मनरेगा का खजाना खाली

मनरेगा का खजाना खाली

 

  • सरकार के अपने वित्तीय विवरण (financial statement) के अनुसार, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) योजना के लिए राशि, चालू वित्त वर्ष के बीच में ही समाप्त हो गयी है, और योजना को इस संकट से निकालने के लिए ‘अनुपूरक बजटीय आवंटन’ अगला संसदीय सत्र शुरू होने से पहले नहीं किया जा सकता। अगला संसदीय सत्र शुरू होने में अभी कम से कम एक महीने का समय है।

निहितार्थ:

  • इसका मतलब यह है, कि मौजूदा परिस्थिति में यदि राज्यों द्वारा योजना के लिए राशि जारी नहीं की जाती है, तो मनरेगा श्रमिकों के भुगतान और प्रयुक्त सामग्री की लागत में देरी होगी।
  • कार्यकर्ताओं का कहना है, कि केंद्र सरकार आर्थिक संकट के समय मजदूरी भुगतान में देरी करके श्रमिकों को “जबरन श्रम” करने के हालात में धकेल रहा है।

केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया:

  • केंद्र सरकार द्वारा, अब कई राज्यों पर जमीन पर काम संबंधी मांग ‘कृत्रिम रूप से पैदा करने” का आरोप लगाया जा रहा है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ (मनरेगा) के बारे में:

  • मनरेगा (MGNREGA) को भारत सरकार द्वारा वर्ष 2005 में एक सामाजिक उपाय के रूप में प्रस्तुत किया गया था। जिसके अंतर्गत ‘काम करने के अधिकार’ (Right to Work) की गारंटी प्रदान की जाती है।
  • इस सामाजिक उपाय और श्रम कानून का मुख्य सिद्धांत यह है, कि स्थानीय सरकार को ग्रामीण भारत में न्यूनतम 100 दिनों का वैतनिक रोजगार प्रदान करना होगा ताकि ग्रामीण श्रमिकों के जीवन स्तर में वृद्धि की जा सके।

मनरेगा कार्यक्रम के प्रमुख उद्देश्य:

  • मनरेगा कार्यक्रम के तहत प्रत्येक परिवार के अकुशल श्रम करने के इच्छुक वयस्क सदस्यों के लिये न्यूनतम 100 दिन का वैतनिक रोजगार।
  • ग्रामीण निर्धनों की आजीविका के आधार को सशक्त करके सामाजिक समावेशन सुनिश्चित करना।
  • कुओं, तालाबों, सड़कों और नहरों जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थाई परिसंपत्ति का निर्माण करना।
  • ग्रामीण क्षेत्रों से होने वाले शहरी प्रवासन को कम करना।
  • अप्रशिक्षित ग्रामीण श्रम का उपयोग करके ग्रामीण अवसंरचना का निर्माण करना।

मनरेगा योजना के तहत लाभ प्राप्त करने हेतु पात्रता मानदंड:

  • मनरेगा योजना का लाभ लेने के लिए भारत का नागरिक होना चाहिए।
  • कार्य हेतु आवेदन करने के लिए व्यक्ति की आयु 18 वर्ष अथवा इससे अधिक होनी चाहिए।
  • आवेदक के लिए किसी स्थानीय परिवार का हिस्सा होना चाहिए (अर्थात, आवेदन स्थानीय ग्राम पंचायत के माध्यम से किया जाना चाहिए)।
  • आवेदक को स्वेच्छा से अकुशल श्रम के लिए तैयार होना चाहिए।

योजना का कार्यान्वयन:

  • आवेदन जमा करने के 15 दिनों के भीतर या जिस दिन से काम की मांग होती है, उस दिन से आवेदक को वैतनिक रोजगार प्रदान किया जाएगा।
  • रोजगार उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में, आवेदन जमा करने के पंद्रह दिनों के भीतर या काम की मांग करने की तिथि से बेरोजगारी भत्ता पाने का अधिकार होगा।
  • मनरेगा के कार्यों का सामाजिक लेखा-परीक्षण (Social Audit) अनिवार्य है, जिससे कार्यक्रम में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
  • मजदूरी की मांग करने हेतु अपनी आवाज उठाने और शिकायतें दर्ज कराने के लिए ‘ग्राम सभा’ इसका प्रमुख मंच है।
  • मनरेगा के तहत कराए जाने वाले कार्यों को मंजूरी देने और उनकी प्राथमिकता तय करने का दायित्व ‘ग्राम सभा’ और ‘ग्राम पंचायत’ का होता है।
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