14 Oct महाकालेश्वर : 12 ज्योतिर्लिंग में विशेष
महाकालेश्वर : 12 ज्योतिर्लिंग में विशेष
संदर्भ- हाल ही में प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश के उज्जैन में श्री महाकाल लोक कॉरिडोर के प्रथम चरण का उद्घाटन किया। उत्तराखण्ड के केदारनाथ, काशी के विश्वनाथ मंदिर के बाद मध्यप्रदेश के उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर, कॉरिडोर निर्माण में तीसरे स्थान पर है। महाकालेश्वर कॉरिडोर काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का चार गुना है। अब इस परियोजना का नाम महाकाल लोक कर दिया गया है।
महाकाल लोक- उज्जैन जिले में महाकालेश्वर मंदिर और उसके आसपास के क्षेत्र के विस्तार, सौंदर्यीकरण और भीड़भाड़ को कम करने की एक योजना है। योजना के तहत लगभग 2.82 हेक्टेयर के महाकालेश्वर मंदिर परिसर को बढ़ाकर 47 हेक्टेयर किया जा रहा है, जिसे उज्जैन जिला प्रशासन द्वारा दो चरणों में विकसित किया जाएगा। इसमें 17 हेक्टेयर की रुद्रसागर झील शामिल होगी। इस परियोजना से शहर में वार्षिक ग्राहकों की संख्या मौजूदा 1.50 करोड़ से बढ़कर लगभग तीन करोड़ होने की उम्मीद है। महाकाल कॉरिडोर को दो चरणों में निर्मित किया जाएगा।
प्रथम चरण- शहर में आगंतुकों के प्रवेश और मंदिर तक उनकी आवाजाही को ध्यान में रखते हुए भीड़भाड़ को कम करने के लिए एक संचलन योजना विकसित की गई है। इसके लिए विभिन्न प्रवेश बिंदुओं में नंदी द्वार व पिनाकी द्वार प्रमुख हैं।
द्वितीय चरण- इसमें उज्जैन शहर के विभिन्न क्षेत्रों का विकास भी शामिल है, जैसे महाराजवाड़ा, महल गेट, हरि फाटक ब्रिज, रामघाट अग्रभाग और बेगम बाग रोड।
ज्योतिर्लिंग व महाकालेश्वर मंदिर-
उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है।
- हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मंदिर का निर्माण भगवान ब्रह्मा द्वारा किया गया था और वर्तमान में यह पवित्र क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित है।
- पुराणों के अनुसार यह भी मान्यता है कि भगवान शिव ने अंतहीन प्रकाशपुंज से पृथ्वी को भेद दिया था। जिससे 12 ज्योतिर्लिंगों का निर्माण हुआ जिन्हें शिव का ही रूप माना जाता है।
- एक अन्य किवदंती के अनुसार चंद्रसेन नामक राजा जो शिव का भक्त था पर उसके प्रतिद्वंदियों ने आक्रमण कर दिया। निःसहाय चंद्रसेन की शिव ने महाकाल स्वरूप में रक्षा की। चंद्रसेन के अनुरोध पर महाकाल ने उज्जैन में रहना स्वीकार किया।
- उज्जैन के महाकालेश्वर के अतिरिक्त गुजरात में सोमनाथ व नागेश्वर, आंध्र प्रदेश में मल्लिकार्जुन, मध्य प्रदेश में ओंकारेश्वर, उत्तराखण्ड में केदारनाथ, महाराष्ट्र में भीमाशंकर, त्रयम्बकेश्वर व ग्रिश्नेश्वर, वाराणसी में विश्वनाथ, झारखण्ड में बैद्यनाथ, तमिलनाडु में रामेश्वरम आदि भारत में शिव के 12 ज्योतिर्लिंग स्थित हैं।
- महाकालेश्वर दक्षिण की मुख वाला एकमात्र ज्योतिर्लिंग हैं जबकि अन्य सभी पूर्व मुखी हैं। हिंदु धर्म में दक्षिण दिशा में मुख होना मृत्यु का प्रतीक माना जाता है। अर्थात महाकालेश्वर को मृत्यु के देवता के रूप में पूजा जाता है और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए शिव के महाकालेश्वर स्वरूप की आराधना करने की परंपरा है।
महाकालेश्वर मंदिर की ऐतिहासिकता
- कालिदास के मेघदूत में वर्णित महाकालेश्वर मंदिर का स्थापत्य, पत्थरों की नीव पर लकड़ी के स्तम्भों वाला मंदिर था, इससे मंदिर के गुप्त काल से पूर्व की प्राचीनता प्रमाणित होती है।
- उज्जैन का वैभव 12वी शताब्दी तक भिन्न भिन्न राजवंशों के शासन में बना रहा।
- इल्तुतमिश ने उज्जैन पर आक्रमण कर राज्य को बुरी तरह लूटा व महाकालेश्वर मंदिर समेत उज्जैन के सभी मंदिरों के वैभव को नष्ट कर दिया।
- 1737 ई. में उज्जैन सिंधिया वंश ने जीत लिया और राणोजी सिंधिया ने महाकालेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण कर उज्जैन के वैभव को पुनः स्थापित किया।
- आजादी से पूर्व मंदिर का प्रशासन देवस्थान ट्रस्ट देखता था।
- स्वतंत्रता के पश्चात उज्जैन जिले का कलैक्ट्रेट कार्यालय मंदिर का प्रशासन संभालता है।
महाकालेश्वर मंदिर की स्थापत्य कला
- वर्तमान मंदिर भूमिजा, चालुक्य व मराठा वास्तुकला का मिश्रण है।
- मंदिर के मार्ग संगमरमर द्वारा निर्मित हैं जिन्हें 19 वी शताब्दी में सिंधियों द्वारा बनवाया गया था।
- महाकाल के मंदिर के ऊपर गर्भगृह में ओंकारेश्वर शिव की मूर्ति प्रतिष्ठित है। इसके ऊपर नागेस्वर की मूर्ति विराजमान है। गर्भगृह के पश्चिम, उत्तर व पूर्व में गणेश, पार्वती व कार्तिकेय के चित्र स्थापित हैं। तथा दक्षिण में नंदी की मूर्ति विद्यमान है।
- मंदिर से लगा एक जल स्रोत है जिसे कोटतीर्थ कहा जाता है।
- हाल ही में मंदिर के शिखर पर 16 किलो स्वर्ण की परत चढ़ाई गई है।
उज्जैन का सांस्कृतिक महत्व-
- उज्जैन के अवंतिका क्षेत्र इतिहास में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता था। ब्रह्मगुप्त व भास्कराचार्य जैसे खगोलविद व गणितज्ञों की कर्मस्थली बनता जा रहा था।
- सूर्य सिद्धांत के अनुसार उज्जैन में कर्क रेखा, देशांतर रेखा को प्रतिच्छेदित करती है, इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए उज्जैन के कई मंदिर बनाए गए हैं।
- 1733 ई. में महाराजा जयसिंह द्वारा वेधशाला का निर्माण किया गया। जो खगोलीय घटनाओं से संबंधित एक अनुसंधान केंद्र है। जिसमें खगोलीय घटनाओं को मापने हेतु यंत्र आज भी सटीक गणना करते हैं। इसे जंतर मंतर के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर के सौंदर्यीकरण के लाभ-
- यातायात की सुविधायुक्त इस गलियारे से मध्य प्रदेश को आर्थिक रूप से लाभ होगा।
- व्यापार संबंधी गतिविधियों को बल मिल सकता है।
- क्षेत्रीय कला व सांस्कृतिक उद्योगों को बढ़ावा मिल सकता है।
- भारतीय स्ठापत्य कला को प्रोत्साहित कर सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्धि।
स्रोत-
https://indianexpress.com/article/explained/explained-culture/mahakal-temple-in-ujjain-why-it-holds-special-significance-in-hinduism-8202228/
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