25 Nov मुख्य चुनाव आयुक्त : टीएन शेषन
मुख्य चुनाव आयुक्त : टीएन शेषन
संदर्भ- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हर सरकार हां में हां मिलाने वाले चुनाव आयुक्त को नियुक्त करती है, वर्तमान में देश को शेषन जैसे चुनाव आयुक्त की आवश्यकता है।
2018 में चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई। इनमें मांग की गई कि चुनाव आयुक्त व मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी कोई प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। संविधान में यह मामला पाँच जजों वाली पीठ को रेफर किया गया, इसी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का यह बयान सामने आया है।
टीएन शेषन-
- तिरुनेलै नारायण अइयर शेषन, भारत के दसवे मुख्य चुनाव आयुक्त थे। इनका कार्यकाल 12 दिसंबर 1990 से 11 दिसंबर 1996 तक था।
- उन्होंने देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने की दिशा में नियमों का कड़ाई से पालन किया।
- चुनाव आयोग से संबंधित नियमों का कड़ाई से पालन करने व करवाने के लिए वे प्रतिबद्ध थे इसलिए उनके कार्यकाल के दौरान सत्ता पक्ष के साथ उनका कई मुद्दों पर विवाद होता रहा।
- उन्होंने 2 अगस्त 1993 को 17 पेज का आदेश जारी किया जिसमें कहा गया था- जब तक सरकार द्वारा चुनाव आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं मिल जाती तब तक देश में कोई चुनाव नहीं करवाया जाएगा। उन्होंने कई चुनावों को टाल दिया।
- भारत के प्रत्येक बालिग नागरिक के लिए वोटर पहचान पत्र उन्हीं की देन था।
- मुख्य चुनाव आयुक्त के पद से मुक्त होने के बाद उन्होंने देशभक्त ट्रस्ट बनाया।
चुनाव आयोग-
- भारत में चुनाव आयोग एक स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण है, जो संविधान के अनुरूप देश में चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है।
- यह निकाय भारत में लोक सभा, राज्य सभा, राज्य विधान सभाओं, देश में राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का संचालन करता है।
- आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गई। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।
- इस आयोग के प्रभारी को मुख्य चुनाव आयुक्त कहा जाता है, वर्तमान में मुख्य चुनाव आयुक्त के अतिरिक्त इसमें दो अन्य चुनाव आयुक्त को शामिल किया गया है।
- आयोग अपने कार्यो का निष्पादन नियमित बैठकों के माध्यम से करता है,
मुख्य चुनाव आयुक्त-
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त व दो अन्य आयुक्तों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- इनका कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, तक होता है।
- उनका दर्जा भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान होता है। उन्हें उनके समतुल्य वेतन व सम्मान दिया जाता है।
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पद से केवल संसद द्वारा महाभियोग के माध्यम से हटाया जा सकता था।
- भारत के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त सुकुमार सेन थे, वर्तमान में इस पद का कार्यभार राजीव कुमार के पास है।
- आयोग द्वारा निर्णय लेने की प्रक्रिया में सभी आयुक्तों को समान अधिकार होता है।
राजनीतिक दल व आयोग-
- राजनीतिक दल विधि के अधीन निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत होते हैं।
- आयोग उन पर सामयिक अंतरालों पर संगठन संबंधी निर्वाचन करवाने हेतु जोर देकर उनके कामकाज में आंतरिक दलीय लोकतंत्र सुनिश्चित करता है।
- निर्वाचन आयोग के साथ पंजीकृत राजनैतिक दलों को निर्वाचन आयोग, अपने द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार, साधारण निर्वाचनों में राजनैतिक दलों के मतदान प्रदर्शन के आधार पर राज्यीय एवं राष्ट्रीय स्तर की मान्यता प्रदान करता है।
- आयोग, अपने अर्ध-न्यायिक अधिकार क्षेत्र के भाग के रूप में, ऐसे मान्यता प्राप्त दलों से अलग हुए दलों के बीच के विवादों का भी निपटान करता है।
- निर्वाचन आयोग राजनीतिक दलों की सहमति से निर्मित की गई आचार संहिता को वास्तविकता में दलों द्वारा कड़ाई से पालन करवाकर सभी दलों के लिए समान अवसर सुनिश्चित करता है।
स्रोत
https://www.bbc.com/hindi/articles/c6p9kx54xk2o
https://hindi.eci.gov.in/about/about-eci/%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B0%E0%A4%9A%E0%A4%A8%E0%A4%BE-r1/
Yojna IAS Daily current affairs hindi med 25th November
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