27 Aug मेघालय के कोयला खानों में दुर्घटना, एक की मृत्यु और एक घायल।
मेघालय के कोयला खानों में दुर्घटना, एक की मृत्यु और एक घायल।
- मेघालय में केवल दो खनिज कोयला व चूना पत्थर की खान है।
- यह जयन्तिया, गारो पहाड़ी, पूर्वी खासी, पश्चिमी खासी पहाड़ियों में फैली हुई है।
- यह खदानें मुख्यतया स्थानीय आदिवासियों के निजी भूमि में स्थित हैं।
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा मेघालय की कोयला खदानों में अवैध खनन को 2014 में प्रतिबंधित किया गया।
- फिर भी यहाँ दुर्घटना का क्रम जारी है।
रैट होल खनन क्यों प्रतिबंधित है?
1980 से रैट होल खनन मेघालय में कोयला खनन की स्थानीय प्रचलित तकनीक है। अवैध खनन वहां कार्य कर रहे लोगों व पर्यावरण के लिए खतरनाक है। इसलिए NGT द्वारा यह 2014 में प्रतिबंधित किया गया था। इसके बावजूद एन. जी. टी. ने खुदे हुए कोयले के परिवहन को मंजूरी दी है। जो मेघालय की खानों के अवैध खनन को बढ़ावा देता है।
एन. जी. टी. क्या है?
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट 2010 के द्वारा 18 अक्टूबर 2010 को स्थापित हुआ।
- पर्यावरणीय सुरक्षा, वन संरक्षण और प्राकृतिक संपदा से संबंधित प्रभावी व शीघ्र निपटान के लिए इसे प्रारंभ किया गया था।
- नई दिल्ली इस का न्यायाधिकरण स्थल है। इसके साथ भोपाल, पूणे, चेन्नई व कोलकाता इसके अन्य स्थल होंगे।
- एन. जी. टी. की संरचना-
- अध्यक्ष
- न्यायिक सदस्य
- विशेषज्ञ
- यह सिविल प्रक्रिया संहिता 1908 के अंतर्गत प्रतिबंधित नहीं है। पर यह प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत पर उसे गाइड कर सकता है।
- एन. जी. टी. को न्याय के त्वरित निपटान के लिए 6 महीने में निर्णय करना अनिवार्य है।
- एन. जी. टी. के प्रारंभ के समय विश्व को विशेष पर्यावरणीय योगदान देने वाला ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैण्ड के बाद भारत विश्व का तीसरा देश व प्रथम विकासशील देश था।
- एन. जी. टी. में पर्यावरण से संबंधित सिविल केसों के सात कानून शामिल हैं। जिनमें –
- जल (प्रदूषण नियंत्रण और निवारण) अधिनियम, 1974
- जल( प्रदूषण नियंत्रण और निवारण) उपकर अधिनियम, 1977
- वन संरक्षण अधिनियम, 1980
- वायु(प्रदूषण नियंत्रण और निवारण) अधिनियम, 1981
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
- लोक दायित्व बीमा अधिनियम, 1991
- जैव विविदता अधिनियम, 2002
- इन कानूनों के तहत सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों को एन. जी. टी. के समक्ष चुनौती दे सकता है।
मेघालय में किस प्रकार का कोल पाया जाता है।
मेघालय में सामान्यतः मध्यम से उच्च सल्फर, सी.वी. और अन्य खनिज युक्त सब-बिटुमन प्रकार का कोयला प्राप्त होता है। जयन्तिया पहाड़ी में अर्पेटाइट, पूर्वी व पश्चिमी गारो पहाड़ी, जयन्तिया पहाड़ी व पूर्वी खासी पहाड़ी जिले में चायना क्ले, पूर्वी खासी पहाड़ी जिले में कॉपर, लैड जिंक,सिल्वर व टाइटेनियम, पूर्वी गारो पहाड़ी और जयन्तिया पहाड़ी पर फैल्सर व रॉक फॉस्फेट, पूर्वी खासी व पश्चिमी गारो में फायर क्ले, पश्चिमी खासी जिले में ग्रेनाइट, पूर्वी गारो पहाड़ी जिले में आयरन व मेग्नाइट, पूर्वी व पश्चिमी गारो और पूर्वी खासी पहाड़ियों में क्वार्टज व सिलिका सैंड, पश्चिमी खासी पहाड़ी जिले में सिलिमेनाइट प्राप्त होती है।
निष्कर्ष-
सरकार द्वारा पर्यावरण व यीव जंतुओं की भलाई के लिए रैट होल प्रकार के कोयला खदान को प्रतिबंधित करने के बावजूद स्ठानीय निवासियों द्वारा रैट होल प्रकार का उत्खनन किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप पर्यापरण का हनन व स्ठानीय निवासियों की जान माल का नुकसान हो रहा है। न्यायालय द्वारा राज्य सरकार को पुरानी खदानों के कोयले को खत्म करने व वर्तमान में कोई भी नई खदान न करने के निर्देश दिए हैं।
Yojna IAS daily current affairs Hindi med 27thAugust
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