राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन

राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 2 के अंतर्गत ‘ सांस्कृतिक मानचित्रण पर राष्ट्रीय मिशन, मेरा गाँव मेरी धरोहर का महत्त्व, भारत की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने में सरकारी नीतियाँ, केंद्र सरकार की योजना ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत मेरा गाँव मेरी धरोहर कार्यक्रम, राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता की योजना, राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’  के अंतर्गत राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ? 

 

  • भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (National Mission on Cultural Mapping- NMCM) की शुरुआत की है। 
  • इस मिशन का उद्देश्य भारत के 6.5 लाख गाँवों के सांस्कृतिक पहलुओं का मानचित्रण करके उनके विकास और पहचान में सांस्कृतिक विरासत की भूमिका को बढ़ावा देना है। 
  • इसके तहत एक राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल (National Cultural Workplace- NCWP) के लिए एक वेब पोर्टल और मोबाइल ऐप भी बनाए जायेंगे।
  • इस मिशन के तहत 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के सभी बसे हुए गाँवों को शामिल किया जाएगा और मानचित्रण प्रक्रिया के लिए बिहार के सभी गाँवों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • इस डेटाबेस को “मेरा गाँव मेरी धरोहर” वेब पोर्टल पर उपलब्ध किया जाएगा, जिसका उपयोग भारत के अन्य  मंत्रालयों और संगठनों द्वारा स्थानीय संस्कृतियों, परंपराओं और कला रूपों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए किया जा सकेगा। 

 

मेरा गाँव, मेरी धरोहर” (MGMD) कार्यक्रम : 

 

  • मेरा गाँव, मेरी धरोहर (MGMD) कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया है, जिसे संस्कृति मंत्रालय के अधीन इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) द्वारा संचालित किया जाता है।
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास और लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करना है। 
  • इसके तहत गाँवों का सांस्कृतिक मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण किया जाता है, जिसे आभासी व वास्तविक समय में आगंतुकों के लिए उपलब्ध कराना है। 
  • मेरा गाँव, मेरी धरोहर (MGMD) कार्यक्रम के तहत एक वेब पोर्टल भी शुरू किया गया है, जो इस जानकारी को साझा करने का माध्यम है। इस कार्यक्रम में सात प्रमुख श्रेणियों के तहत जानकारी एकत्र की जाती है – 

 

  1. कला और शिल्प गाँव : इसमें गाँवों के स्थानीय कलाकारों और शिल्पकर्मियों की जानकारी शामिल होती है।
  2. पारिस्थितिकीय दृष्टि से उन्मुख गाँव : यह गाँवों के पर्यावरण, जलवायु, और जलसंसाधन के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  3. भारतीय पाठ्य और शास्त्रीय परंपराओं से जुड़ा स्कोलास्टिक गाँव : इसमें गाँवों के शैक्षिक और सांस्कृतिक परंपराओं की जानकारी शामिल होती है।
  4. रामायण, महाभारत और/या पौराणिक कथाओं से जुड़ा महाकाव्य गाँव : इसमें गाँवों के पौराणिक कथाओं और महाकाव्यों से संबंधित जानकारी शामिल होती है।
  5. स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गाँव : इसमें गाँवों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व की जानकारी शामिल होती है।
  6. वास्तुकला विरासत गाँव : भारत का वैसा गाँव जहाँ ऐतिहासिक या पारंपरिक वास्तुकला की धरोहर मौजूद है।
  7. विशेषता वाले गाँव : जैसे मछली पकड़ने वाले गाँव, बागवानी वाले गाँव, चरवाहा गाँव आदि।
  • मेरा गाँव, मेरी धरोहर (MGMD) कार्यक्रम राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) का हिस्सा है, जिसे ‘ आज़ादी का अमृत महोत्सव ’ के अवसर पर शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत 6.5 लाख गाँवों का सांस्कृतिक मानचित्रण किया जा रहा है, जिसमें से 2 लाख से अधिक गाँवों का मानचित्रण पूरा हो चुका है और इन्हें मिशन पोर्टल पर अपलोड किया गया है, जो राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करता है।

 

राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) :

 

 

  • भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करना है। 
  • यह मिशन ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इसके रचनात्मक योगदान को पहचानने और दस्तावेज़ बनाने के लिए समर्पित है।

 

राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (NMCM) के मुख्य कार्य : 

NMCM के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं – 

  • कलाकारों और सांस्कृतिक क्षेत्र के लोगों की राष्ट्रीय निर्देशिकाएँ बनाना : यह पहल देशभर के कलाकारों, सांस्कृतिक विशेषज्ञों, और पारंपरिक कला-परंपराओं के प्रवर्तकों की एक विस्तृत राष्ट्रीय निर्देशिका तैयार करेगी। यह निर्देशिका सांस्कृतिक क्षेत्र में कार्यरत व्यक्तियों और समूहों की जानकारी को संकलित करेगी।
  • राष्ट्रीय डिजिटल सूची/रजिस्टर का निर्माण करना : कला अभिव्यक्तियों, कलाकार समुदायों और परंपरा के वाहकों की एक व्यापक राष्ट्रीय डिजिटल सूची या रजिस्टर तैयार किया जाएगा। इस सूची के माध्यम से पारंपरिक कला रूपों और संस्कृति के जीवित परंपराओं को संरक्षित किया जाएगा।
  • संरक्षण नीतियों और कल्याणकारी योजनाओं का विकास करना : इसके तहत कला प्रथाओं के संरक्षण के लिए नीतियाँ तैयार की जाएंगी और इन कला प्रथाओं के अभ्यासकर्ताओं के लिए कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वयन किया जाएगा। इसका उद्देश्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।

 

मिशन का मुख्य उद्देश्य : 

 

  1. राष्ट्रीय डेटाबेस का निर्माण करना : विस्तृत थल सर्वेक्षणों और प्रलेखीकरण के माध्यम से सांस्कृतिक मानचित्रण कर एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इस डेटाबेस में देश की सांस्कृतिक विविधताओं और परंपराओं की सम्पूर्ण जानकारी एकत्रित की जाएगी।
  2. संरक्षण और पुनर्जीवित करना : इस मिशन का उद्देश्य भावी पीढ़ियों के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित, सुरक्षित, पुनर्जीवित और प्रसारित करना है। यह कार्य संस्कृति की धरोहर को आगामी पीढ़ियों तक पहुँचाने में सहायक होगा।
  3. सांस्कृतिक जीवंतता का विकास करना : डिजिटल प्लेटफॉर्म और लोकसंपर्क गतिविधियों के माध्यम से पूरे देश में एक सुदृढ़ “सांस्कृतिक जीवंतता” का परिवेश विकसित किया जाएगा। इसका उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विविधता को बढ़ावा देना और उसे राष्ट्रीय पहचान प्रदान करना है।

 

भारत में कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता की योजना : 

 

  • यह योजना केंद्र सरकार की एक योजना है जिसका उद्देश्य देश भर में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और संगठनों को समर्थन प्रदान करना है। 
  • इसमें कुल 8 घटक शामिल हैं, जिनका प्रत्येक का विशेष उद्देश्य और वित्तपोषण आवंटन है। 
  • इस योजना के तहत विभिन्न सांस्कृतिक पहलुओं को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है।

 

योजना के प्रमुख घटक :

 

  • राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना : इस घटक के तहत कला और संस्कृति के प्रसार के लिए राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह अनुदान उन संगठनों को दिया जाता है जो अखिल भारतीय दृष्टिकोण से पंजीकृत और उचित रूप से गठित प्रबंध निकाय हैं, जिनके पास सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए विगत 5 वर्षों में से किसी 3 वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपए या उससे अधिक व्यय का ट्रैक रिकॉर्ड हो। 
  • अधिकतम अनुदान : 1 करोड़ रुपए।
  • कल्चरल फंक्शन एंड प्रोडक्शन ग्रांट (CFPG) प्रदान करना : इस घटक के अंतर्गत सेमिनार, सम्मेलन, अनुसंधान, कार्यशालाएँ, त्योहार, प्रदर्शनियाँ, और प्रस्तुतियों जैसी सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह अनुदान सांस्कृतिक आयोजनों की गुणवत्ता और पहुँच को बढ़ाने के लिए उपयोगी होता है।
  • अधिकतम अनुदान : 5 लाख से लेकर 20 लाख रुपए तक (विशिष्ट परिस्थितियों में)।
  • हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए वित्तीय सहायता : इस घटक का उद्देश्य हिमालय क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को अनुसंधान, प्रशिक्षण, और प्रसार के माध्यम से संरक्षित और बढ़ावा देना है। यह वित्तीय सहायता ऐसे संगठनों को प्रदान की जाती है जो हिमालय की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।
  • वित्तीय सहायता : प्रति वर्ष 10 लाख से 30 लाख रुपए तक (विशिष्ट परिस्थितियों में)।
  • बौद्ध/तिब्बती संगठन के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना : इस योजना के तहत बौद्ध और तिब्बती सांस्कृतिक परंपराओं के प्रचार-प्रसार और संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान में लगे मठों और स्वैच्छिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं के संरक्षण और विकास के लिए होती है।
  • वित्त पोषण : प्रति वर्ष 30 लाख रुपए तक, असाधारण मामलों में 1 करोड़ रुपए तक।
  • स्टूडियो थियेटर और सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता करना : इस घटक के तहत सांस्कृतिक बुनियादी ढाँचे जैसे स्टूडियो थियेटर, ऑडिटोरियम, और रिहर्सल हॉल के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह सहायता सांस्कृतिक गतिविधियों के बेहतर आयोजन के लिए उपयोगी होती है।
  • अधिकतम अनुदान : मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपए तक और गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपए तक।
  • संबद्ध सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता : इस घटक का उद्देश्य त्योहारों और प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों के दौरान ऑडियो-विजुअल चश्मे जैसे विशेष सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। यह सहायता सांस्कृतिक प्रदर्शनों और कार्यक्रमों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए होती है।
  • अधिकतम अनुदान : ऑडियो के लिए 1 करोड़ रुपए और ऑडियो+वीडियो के लिए 1.50 करोड़ रुपए।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए योजना : इस योजना का उद्देश्य भारत की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं को पुनरोद्धार और प्रचार के माध्यम से सुरक्षित रखना है। इसे संस्कृति मंत्रालय द्वारा 2013 में शुरू किया गया था और इसका लक्ष्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है।
  • घरेलू उत्सव और मेले : इस घटक का उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव’ जैसे घरेलू उत्सवों और मेलों के आयोजन में सहायता प्रदान करना है। यह सहायता सांस्कृतिक महोत्सवों की सफलता और विस्तार को सुनिश्चित करने के लिए होती है।

 

स्त्रोत – द हिन्दू एवं पीआईबी।

 

प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. इसके तहत गाँवों का सांस्कृतिक मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण किया जाता है।
  2. इसका उद्देश्य कला और संस्कृति के क्षेत्र में कार्यरत लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना है।
  3. यह मिशन ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शुरू की गई है। 
  4. इस मिशन के तहत 2011 की जनगणना के अनुसार मानचित्रण प्रक्रिया के लिए केरल के सभी गाँवों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

ऊपर दिए गए कथनों में से कितने कथन सही हैं ? 

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(c ) केवल तीन 

(d) उपरोक्त सभी।  

 

उत्तर – (C ) 

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. क्या आपको लगता है कि राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन भारत की समृद्ध विरासत और संस्कृति को संरक्षित करने में मदद करेगा? उदाहरणों के साथ स्पष्ट करें ( शब्द सीमा – 150 अंक – 10 ) 

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