राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन

( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र – 3 के अंतर्गत ‘ जैव विविधता, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी, पर्यावरण संरक्षण,, राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन और उससे संबंधित चुनौतियाँ ’ खंड से और यूपीएससी के प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत जीवाश्म ईंधन, जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण प्रदूषण, नवीकरणीय ऊर्जा ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैंयह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन ’ से संबंधित है।)

 

खबरों में क्यों ?

 

 

  • हाल ही में, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (MNRE) ने भारत में उर्वरक क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ग्रीन अमोनिया का वार्षिक आवंटन 550,000 टन से बढ़ाकर 750,000 टन कर दिया है। 
  • नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के इस पहल से भारत में ग्रीन हाइड्रोजन के समर्थन में वृद्धि हुई है।

 

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) का परिचय : 

 

  • भारत में हरित हाइड्रोजन के व्यावसायिक उत्पादन को प्रोत्साहित करने और भारत को ईंधन का शुद्ध निर्यातक बनाने के लिए राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन (NGHM) एक महत्वपूर्ण पहल है जो भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए एक रोडमैप तैयार करता है। 
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य भारत में हरित हाइड्रोजन की मांग में वृद्धि लाने के साथ – साथ इसके उत्पादन, उपयोग और निर्यात को बढ़ावा देना है।

भारत में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत कुछ महत्वपूर्ण पहल निम्नलिखित है – 

  • हरित हाइड्रोजन संक्रमण कार्यक्रम (SIGHT) : इसका उद्देश्य हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप प्रदान करना है।
  • इलेक्ट्रोलाइजर के विनिर्माण : इसके तहत इलेक्ट्रोलाइजरों के विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा, जो पानी को हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में विभाजित करने के लिए बिजली का इस्तेमाल करते हैं।
  • ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को प्रोत्साहन देना : राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को भी प्रोत्साहित करेगा, जो स्टील और सीमेंट के उत्पादन में उपयोग में आता है।
  • एक समर्पित पोर्टल को लॉन्च करना : राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत एक समर्पित पोर्टल लॉन्च किया गया है जो भारत में हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र के मिशन और कदमों के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  • अन्य क्षेत्रों में योजनाएं : भारत ने इस्पात, परिवहन और शिपिंग क्षेत्रों में ग्रीन हाइड्रोजन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए इससे संबंधित अन्य पहलों की भी शुरूआत की है। 

 

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा से संबंधित शुरू की गई अन्य पहल : 

 

  • राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति।
  • जवाहर लाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (JNNSM)।
  • पीएम-कुसुम ।
  • अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन ।
  • रूफटॉप सोलर योजना । 

 

ग्रीन अमोनिया का परिचय एवं महत्व : 

 

 

  • अमोनिया एक तीक्ष्म गंध वाली रंगहीन गैस है। 
  • यह हवा से हल्की होती है और इसका वाष्प घनत्व 8.5 होता है। 
  • जल में अत्यधिक विलेय होने के कारण, इसे अमोनिया कहा जाता है। 
  • अमोनिया का उपयोग मुख्य रूप से यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट जैसे नाइट्रोजन-युक्त उर्वरकों के निर्माण में किया जाता है। 
  • इसके अलावा, इंजन संचालन और अन्य उपयोगों के लिए भी अमोनिया का उपयोग किया जा सकता है।
  • ग्रीन अमोनिया उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का 100% उपयोग किया जाता है, जिससे यह कार्बन-मुक्त होता है।
  • इसके उत्पादन की विधि में जल के इलेक्ट्रोलिसिस का उपयोग होता है, जिसमें हाइड्रोजन और वायु को अलग किया जाता है। 
  • इसके बाद, हेबर प्रक्रिया में इन दोनों तत्वों को उच्च तापमान और दबाव पर एक साथ प्रतिक्रिया करके अमोनिया (NH₃) का उत्पादन किया जाता है।

 

भारत में ग्रीन अमोनिया का उपयोग : 

भारत में ग्रीन अमोनिया के उपयोग के कुछ उदाहरण निम्नलिखित है – 

  • ऊर्जा भंडारण को संग्रहित करने में : अमोनिया को तरल रूप में आसानी से मध्यम दबाव (10-15 बार) पर या -33 डिग्री सेल्सियस पर रेफ्रिजरेट करके बड़ी मात्रा में संग्रहित किया जा सकता है। यह इसे अक्षय ऊर्जा के लिए एक आदर्श रासायनिक भंडार बनाता है।
  • शून्य कार्बन ईंधन के रूप में : अमोनिया को इंजन में जलाया जा सकता है या विद्युत उत्पादन के लिए ईंधन के रूप में किया जा सकता है। जब इसका उपयोग किया जाता है, तब अमोनिया के केवल उप-उत्पाद जल एवं नाइट्रोजन होते हैं।
  • समुद्री उद्योग में ईंधन तेल के उपयोग को प्रतिस्थापित करने में : समुद्री उद्योग के माध्यम से समुद्री इंजनों में ईंधन तेल के उपयोग को प्रतिस्थापित करने की संभावना है। इसके साथ ही, हरित अमोनिया का महत्व भी बढ़ रहा है। 

 

हरित ( ग्रीन ) अमोनिया का महत्व : 

 

  • भविष्य में हरित अमोनिया जलवायु-तटस्थ परिवहन के लिए ईंधन बनने की क्षमता रखता है और इसका उपयोग कार्बन-तटस्थ उर्वरकों के उत्पादन में किया जाएगा। 
  • यह उर्वरक खाद्य आपूर्ति शृंखला को कार्बन-मुक्त बनाने में मदद करेगा।
  • विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए CO2 मुक्त बिजली और पर्याप्त भोजन उत्पादन की तत्काल आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हरित अमोनिया का उपयोग आवश्यक होगा।

 

राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से संबंधित मुख्य चुनौतियाँ : 

 

 

  • जीवाश्म ईंधन से हाइड्रोजन बनाने की तुलना में नवीकरणीय स्रोतों से हाइड्रोजन का उत्पादन अपेक्षाकृत महंगा है। नवीकरणीय स्रोतों से उत्पादन की उच्च लागत के कारण, यह वैश्विक हाइड्रोजन उत्पादन का 1% से भी कम हिस्सा है।
  • उच्च प्रौद्योगिकी विनिर्माण केंद्र का लक्ष्य प्राप्त करने के बारे में संदेह है, क्योंकि विभिन्न सहायक नीतियों के बावजूद भारत सौर सेल , अर्धचालक या पवन ऊर्जा घटकों का शुद्ध निर्यातक बनने में कामयाब नहीं हो पाया है। 
  • भारत में बुनियादी विनिर्माण आधार लगातार कमज़ोर बना हुआ है। इसमें वैश्विक पूंजी को उचित रूप से अवशोषित करने और उसका उपयोग करने की क्षमता का भी अभाव है।

 

समाधान / आगे की राह : 

 

 

भारत में राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के तहत समाधान की राह निम्नलिखित है – 

उत्पादन और उपयोग की उच्च लागत : 

 

  • वर्तमान में, हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत पारंपरिक हाइड्रोजन, जो जीवाश्म ईंधन या अन्य निम्न-कार्बन स्रोतों (जैसे परमाणु या ब्लू हाइड्रोजन) से उत्पादित होती है, से अधिक है। इस समस्या के समाधान के लिए कुशल प्रौद्योगिकियों का विकास करना आवश्यक है, जो हरित हाइड्रोजन की उत्पादन लागत को कम कर सकें।
  • एक संभावित उपाय यह हो सकता है कि अधिक कुशल विद्युत-अपघटन प्रणालियों का उपयोग किया जाए, जिनमें समान मात्रा में हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता हो। यह उन्नत सामग्री या अधिक कुशल उत्प्रेरक के उपयोग से संभव हो सकता है। 
  • दूसरा उपाय यह हो सकता है कि हरित हाइड्रोजन के उत्पादन को अन्य नवीकरणीय ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, जैसे पवन या सौर ऊर्जा फार्म के साथ एकीकृत किया जाए। इससे विद्युत-अपघटन प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली बिजली की लागत को कम किया जा सकता है, जिससे हरित हाइड्रोजन पारंपरिक हाइड्रोजन के मुकाबले अधिक प्रतिस्पर्धी हो सकता है।

 

विनियामक स्तर पर प्रोत्साहन को लागू करना : 

 

  • सरकार टैक्स क्रेडिट और सब्सिडी जैसे नियामक प्रोत्साहनों को लागू करके हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग को प्रोत्साहित कर सकती है। 
  • इससे भारत में हरित हाइड्रोजन की इस प्रौद्योगिकी को अपनाने में तेजी आएगी और इसके विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जा सकेगी।

 

पर्याप्त अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला का अभाव : 

 

  • हरित हाइड्रोजन के उत्पादन, भंडारण, परिवहन और वितरण के लिए समर्पित अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला की आवश्यकता है। 
  • पारंपरिक हाइड्रोजन के लिए मौजूदा अवसंरचना और आपूर्ति शृंखला हरित हाइड्रोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त या संगत नहीं है। 
  • इसलिए, भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए कुशल और लागत-प्रभावी आपूर्ति शृंखला विकसित की जानी चाहिए।

 

विभिन्न हितधारकों और संबंधित क्षेत्रों के बीच समन्वय स्थापित करना : 

 

  • भारत में हरित हाइड्रोजन के विकास में नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादक, इलेक्ट्रोलाइज़र निर्माता, हाइड्रोजन उत्पादक, ट्रांसपोर्टर, वितरक और अंतिम उपयोगकर्ता जैसे कई हितधारक और क्षेत्र शामिल होते हैं। 
  • इस प्रौद्योगिकी के लिए नीतियों, मानकों, विनियमों, प्रोत्साहनों और बाजारों के संरेखण को सुनिश्चित करने के लिए इन सभी के बीच आपस में समन्वय बनाने की आवश्यकता है।

 

संभावित उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों के बीच जागरूकता प्रसार और क्षमता निर्माण, आवश्यक कौशल और दक्षता विकसित करने की आवश्यकता :  

 

  • हरित हाइड्रोजन अभी भी एक विकासशील प्रौद्योगिकी है, जिसके लिए संभावित उपयोगकर्ताओं और उत्पादकों के बीच जागरूकता प्रसार और क्षमता निर्माण की आवश्यकता है। 
  • भरात में हरित हाइड्रोजन के विकास के लिए विभिन्न अनुप्रयोगों और विभिन्न क्षेत्रों में हरित हाइड्रोजन के लाभ, सुरक्षा और व्यवहार्यता को प्रदर्शित करने की जरूरत है। 
  • इसके अलावा, हरित हाइड्रोजन के उत्पादन और उपयोग के लिए आवश्यक कौशल और दक्षता विकसित करने की भी आवश्यकता है।

 

स्रोत- द हिन्दू एवं पीआईबी। 

 

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।

  1. यह उर्वरक खाद्य आपूर्ति शृंखला को कार्बन-मुक्त बनाने में मदद करता है।
  2. इसका उपयोग कार्बन-तटस्थ उर्वरकों के उत्पादन के रूप में किया जा सकता है।
  3. अमोनिया का उपयोग मुख्य रूप से यूरिया और अमोनियम नाइट्रेट जैसे नाइट्रोजन-युक्त उर्वरकों के निर्माण में किया जाता है।
  4. हरित हाइड्रोजन के उत्पादन में नवीकरणीय ऊर्जा का 100% उपयोग किया जाता है, जिससे यह कार्बन-मुक्त होता है। 

उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

A. केवल 1, 2 और 3

B. केवल 2, 3 और 4 

C. इनमें से कोई नहीं।

D. उपरोक्त सभी।

उत्तर – D

 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

 

Q.1. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के प्रमुख उद्देश्यों और महत्व को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में हरित हाइड्रोजन से संबंधित मुख्य चुनौतियाँ क्या है और यह स्वच्छ ईंधन के रूप में कितना कारगर है ? तर्कसंगत चर्चा कीजिए ( UPSC CSE – 2021 शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )

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