31 Dec लिंगायत, वोक्कालिगा और आरक्षण विवाद
लिंगायत, वोक्कालिगा और आरक्षण विवाद
संदर्भ- हाल ही में कर्नाटक मंत्रीमण्डल ने लिंगायत व वोक्कालिगा को पिछड़े श्रेणी से मामूली श्रेणी में शामिल करने का फैसला किया है। जिससे अन्य पिछड़ा वर्ग की श्रेणी में उनकी हिस्सेदारी बढ़ सके।
वर्तमान विवाद
- वीरशैव लिंगायतों को 3B एक विशेष श्रेणी के तहत 5% का आरक्षण प्रदान किया गया है।
- लिंगायत की एक उपश्रेणी पंचमसाली लिंगायत अब श्रेणी 2A की मांग कर रहे हैं। श्रेणी 2A की मांग का अर्थ है 15% आरक्षण की मांग करना।
- कैबिनेट के फैसले के अनुसार, वोक्कालिगा समुदाय, जो वर्तमान में 3A श्रेणी में है, को 4% आरक्षण के साथ नव-निर्मित 2C श्रेणी में ले जाया जाएगा। और लिंगायत समुदाय, जो 3B श्रेणी में है, अब 5% आरक्षण के साथ एक नई 2D श्रेणी में स्थानांतरित किया जाएगा।
- मांग का आधार- कृषि पर आधारित एक बड़ा वर्ग सामाजिक आर्थिक व शैक्षिक रूप से पिछड़ गया है।
लिंगायत
- लिंगायत मत भारत के विभिन्न प्राचीन सम्प्रदायों में से एक शैव सम्प्रदाय की शाखा से संबंधित है।
- लिंगायत मत को 12 वी शताब्दी में समाज सुधारक बसव के द्वारा स्थापित किया गया था।
- लिंगायत शिव के निरंकारी रूप यानि ईष्ट लिंग की पूजा करते हैं।
- बसव के वचनों पर विश्वास करते हैं।
- धार्मिक स्थल बांस से बने हुए मंदिर हैं तथा गले में लिंग का प्रतिरूप धारण करते हैं।
- समाज, जाति प्रथा पर विश्वास नहीं करता है।
गुरु बसवेश्वर
- भारत में 12वी शताब्दी के राजनीतिज्ञ, शैव समाज सुधारक और भक्ति काल के लिंगायत संत थे।
- कल्यानी के चालुक्य वंश के राजा बज्जल प्रथम के प्रधानमंत्री थे।
- अन्य नाम – भक्ति भण्डारी ( भक्ति के कोषाध्यक्ष) और बसवेश्वर (भगवान बसव)।
महत्वपूर्ण कार्य व योगदान-
- बसव के वचन- शत स्थल वचन, कालजनन वचन, मंत्र गोप्य, घटना चक्र वचन आदि वचन।
- अनुभव मंडप को प्रारंभ किया जिसके तहत धार्मिक व सामान्य जीवन से संबंधित खुली सभा होती थी। जो सामाजिक लोकतंत्र की नींव थी।
- शरण आंदोलन के संस्थापक। जिसमें प्रत्येक वर्ग के सामान्य जन को जाति प्रथा के विरुद्ध विद्रोह करने के लिए प्रेरित किया।
वोक्कालिगा
- लिंगायत समुदाय की भांति वोक्कालिगा भी शैव सम्प्रदाय से संबंधित हैं।
- वोक्कालिगा एक कन्नड़ शब्द है जिसका शाब्दिक अर्थ कृषक है। वोक्कालिगा समुदाय दक्षिणी कर्नाटक में स्थित योद्धाओं कृषक समुदाय से संबंधित थे।
- नाथप्रभु कैम्पेगोड़ा विजयनगर साम्राज्य के अधीन एक मुखिया थे। वे वोक्कालिगा समुदाय से थे जिन्होंने 70 से अधिक वर्षों तक येहलकानाडु पर शासन किया था।
- इतिहासकारों के अनुसार राष्ट्रकूट व पश्चिमी गंग और 17वी शताब्दी के शासक, वोक्कालिगा समुदाय से संबंधित थे।
- 20 वी सदी से पहले वोक्कालिगा अधिकतर भूमि के मालिक कृषक व जमींदार थे इसलिए वोक्कालिगा समुदाय के अधिकांश उपसमूहों को अगड़ी जाति के रूप में नामित किया गया है।
- लिंगायतों की तुलना में यह संख्या में कम हैं। लेकिन राजनीतिक व अन्य क्षेत्रों में इनका अत्यधिक प्रभाव है।
- कर्नाटक में भूमि सुधार अधिनियमों 1961 व 1973 के तहत वोक्कालिगा समुदाय से भूमिहीनों को भूमि का वितरण किया गया।
स्रोत
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