20 Oct लोथल : एक सभ्यता
लोथल : एक सभ्यता
संदर्भ- हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिषद की समीक्षा की। पीएम ने कहा कि हमारे इतिहास के कई ऐसे हिस्से हैं जिन्हें भुला दिया गया है।
लोथल-
- लोथल विश्व का प्राचीनतम ज्ञात गोदीबाड़ा के लिए प्रसिद्ध क्षेत्र है।
- लोथल का शाब्दिक अर्थ मृतकों का घाव होता है। माना जाता है कि 2200 ई.पू. में साबरमती के तट पर यह शहर मिट्टी के बर्तन बनाने वालों का निवास स्थान रहा होगा। वर्तमान में यह अहमदाबाद के निकट भोगवा नदी के तट पर स्थित है।
- 1954-63 में डॉ एस आर राव के नेतृत्व में लोथल की खोज की गई।
- मार्च 2019 में केंद्र सरकार ने लोथल के इतिहास को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिषद परियोजना को सहमति दी।
लोथल की विशेषताएं-
- गोदीबाड़ा- लोथल का गोदीबाड़ा हड़प्पा सभ्यता समेत विश्व की सभी सभ्यताओं के लिए आश्चर्य का विषय है। गोदीबाड़ा जहाजों के निर्माण, मरम्मत, रुकने का स्थान होता है, जहाँ पर नौसैनिक आपूर्ति के भण्डारण के लिए भी गोदीबाड़ा का प्रयोग किया जाता है।
- व्यापारिक केंद्र- लोथल में निर्मित वस्तुएं ईरान, इराक व बहरीन आदि देशों में प्रसिद्ध थी। इस व्यापार को यहां के गोदीबाड़ा ने सुगम बनाया।
- कृषि- यहाँ से धान व बाजरे के साक्ष्य मिले हैं।
- शवाधान- लोथल में युग्म शवाधान प्राप्त हुए हैं। जो उस काल में सती प्रथा जैसी कोई प्रथा की ओर संकेत करते हैं।
- स्वच्छता- शहर में उचित जल निकास प्रणालियाँ, स्नानागृह व शौचालयों के संकेत नगर की स्वच्छता तकनीक को इंगित करती है।
वैश्विक दृष्टि से विशेषताएं-
- लोथल साइट को वर्ष 2014 में विश्व विरासत स्थल के लिए नामित किया गया था। जो अभी यूनेस्को की अस्थायी सूची में सुरक्षित है।
- एक ऊपरी और निचले शहर वाले महानगर के उत्तरी हिस्से में खड़ी दीवार, इनलेट और आउटलेट चैनलों के साथ एक बेसिन था जिसे ज्वारीय गोदी के रूप में पहचाना गया है। यह सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह वाला शहर है।
- उपग्रह छवियों से ज्ञात होता है कि नदी चैनल उच्च ज्वार के दौरान वहां अत्यधिक पानी लाता होगा और बेसिन को पानी से भर देता होगा, और जहाजों को ऊपर की ओर आने में आसानी होती होगी। किंतु अब यह नदी सूख गई है।
- विश्व की अन्य प्राचीन बंदरगाहों में यह भी अपना एक ऐतिहासिक स्ठान रखती है। विश्व के अन्य प्राचीन बंदरगाह जेल हा (पेरु), ऑस्टिया( रोम), कार्थेज(इटली), हेपु(चीन), कैनोपस(मिस्र), बायब्लोस(गैबेल) आदि हैं।
लोथल परियोजना
- यह परियोजना मार्च 2022 से शुरु हुई। इसे 3500 करोड़ रुपये की लागत में बनाया जा रहा है।
- परियोजना को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल का रूप दिया जा रहा है।
- इसमें प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के ऐतिहासिक साक्ष्यों को संजोया जाना है।
- चार थीम पार्क का संयोजन होना है- मेमोरियल थीम पार्क, एम्यूजमेंट थीम पार्क, मैरीटाइम एंड नेवी थीम पार्क, जलवायु थीम पार्क।
- हड़प्पा की संस्कृति को पुनर्जीवित करने के लिए लोथल मिनी रिक्रिएशन बनाया जाना है।
- इसमें दुनिया का सबसे ऊंचा लाइटहाउस संग्रहालय,
- हड़प्पा काल से लेकर आज तक भारत की समुद्री विरासत को उजागर करने वाली 14 दीर्घाएं
- साथ ही भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विविध समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने वाला एक तटीय राज्य मंडप भी होगा।
परियोजना के चरण- चरण 1 व चरण 2 ईपीसी मोड के तहत बनाए जाएंगे और चरण 3 पीपीपी मोड के तहत होना है।
चरण 1A- भारतीय नौसेना व तटरक्षक बल द्वारा उपयोग की जाने वाली दीर्घा, संग्रहालय भवन का एक परिसर व 35 एकड़ भूमि का विकास शामिल है।
चरण 1B- शेष दीर्घा व संग्रहालय का निर्माण होना है। इसमें लाइट हाउस, 5डी डोम थिएटर, बागीचा परिसर व अन्य बुनियादी ढ़ाचों का विकास शामिल है।
चरण 2- राज्य पवेलियन, लोथल सिटी, समुद्री संस्थान, इको रिसॉर्ट्स, मैरीटाइम और नवल थीम पार्क, जलवायु परिवर्तन थीम पार्क, स्मारक थीम पार्क और मनोरंजन पार्क आदि।
परियोजना के लाभ-
- पर्यटन की दृष्टि से विकासात्मक पहल
- रोजगार में वृद्धि
- ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण
स्रोत
https://www.incredibleindia.org/content/incredible-india-v2/hi/destinations/ahmedabad/lothal.html
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1858272
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