03 Mar ‘वन रैंक वन पेंशन’: सुप्रीम कोर्ट
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हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह विश्लेषण करने के लिए कहा है कि सशस्त्र बलों में कितने लोगों को ‘वन रैंक वन पेंशन’ (ओआरओपी) नीति से लाभ हुआ है।
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न्यायालय ने यह भी देखा कि ‘वन रैंक वन पेंशन’ पर केंद्र का रुख सशस्त्र बलों के पेंशनभोगियों को वास्तव में दी जाने वाली सुविधाओं की तुलना में बहुत बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है।
‘वन रैंक वन पेंशन‘ (OROP) नीति
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‘वन रैंक, वन पेंशन’ (OROP) का अर्थ है कि सेवानिवृत्ति की तारीख के अलावा समान रैंक और समान अवधि की सेवा के लिए सेवानिवृत्त होने वाले सशस्त्र सैनिकों को समान पेंशन दी जाएगी।
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‘वन रैंक, वन पेंशन’ से पहले, पूर्व सैनिकों को वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार पेंशन मिलती थी।
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उत्तर प्रदेश और पंजाब में ओआरओपी लाभार्थियों की संख्या सबसे अधिक है।
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सशस्त्र बल के कार्मिक, जो 30 जून, 2014 को सेवानिवृत्त हुए हैं, इसके अंतर्गत आते हैं।
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इस योजना का कार्यान्वयन भगत सिंह कोश्यारी की अध्यक्षता वाले 10 सदस्यीय सर्वदलीय संसदीय पैनल कोश्यारी समिति की सिफारिश पर आधारित था।
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