वन सर्वेक्षण रिपोर्ट व उसकी सत्यता

वन सर्वेक्षण रिपोर्ट व उसकी सत्यता

वन सर्वेक्षण रिपोर्ट व उसकी सत्यता

संदर्भ – इण्डियन एक्सप्रैस की रिसर्च के अनुसार देश की राजधानी दिल्ली के अधिकांश आधिकारिक भवन संरक्षित वन क्षेत्र में निर्मित हैं, इन्हें आज भी संरक्षित वनों की श्रेणी में रखा गया है जबकि इन सघन व प्राकृतिक वनों का शहरीकरण हो चुका है।

वन- वह क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व सामान्य से अधिक होता है उसे वन कहा जा सकता है। 

  • वैश्विक मानक संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) के अनुसार 1 हेक्टेयर भूमि में कम से कम 10% सघन वन हों तो उस क्षेत्र को वन माना गया है। इसमें कृषि या शहरी उपयोग की भूमि को शामिल नहीं किया गया है।
  • भारत 1 हैक्टेयर के कम से कम 10% सघन वन को वन आवरण के अंतर्गत मानता है इसमें कृषि या शहरी उपयोग सभी तरह की भूमि को शामिल किया गया है।
  •  वर्ल्ड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट के प्लेटफॉर्म ग्लोबल फ़ॉरेस्ट वॉच के अनुसार, भारत ने 2010 और 2021 के बीच 1,270 वर्ग किमी प्राकृतिक वन खो दिए हैं।

वनों का वर्गीकरण

भारतीय वन सर्वेक्षण ने वनों के घनत्व के अनुसार वनों को पाँच भागों में विभाजित किया गया है। 

  • बहुत सघन वन- 70 % या उससे अधिक कैनोपी वाले वृक्षों के आवरण वाली भूमि को अत्यंत सघन वन कहा जाता है।  
  • मध्यम सघन वन- 40-70%  कैनोपी वाले वृक्षों के आवरण वाली भूमि को मध्यम सघन वन कहा जाता है।
  • खुले वन – 10-40% कैनोपी वाले वृक्षों के आवरण वाली भूमि को खुले वन की श्रेणी में रखा जाता है।
  • झाड़ी युक्त वन – 10 % या उसे कम झाड़ियों या छोटे वृक्षों वाली भूमि को झाड़ी युक्त वन कहा जाता है।
  • गैर वन – कोई भी वन उपरोक्त वर्गों में शामिल नहीं है।

वन सर्वेक्षण के लिए डेटा संग्रह

  • उपग्रह से प्राप्त तस्वीरों के माध्यम से
  • वनों का उपयोग के आधार पर जमीनी सत्यापन
  • भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा वृक्ष जनगणना के आधार पर 

भारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट 2021 – 

  • भारत में कुल वन क्षेत्रफल 80.9 मिलियन हेक्टेयर है जो देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.62% है। 
  •  2019 के आकलन की तुलना में 2021 में देश के कुल वन और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 2,261 वर्ग किमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। इसमें से वनावरण में 1,540 वर्ग किमी और वृक्षों से भरे क्षेत्र में 721 वर्ग किमी की वृद्धि पाई गई है।
  • वन आवरण में सबसे ज्यादा वृद्धि खुले जंगल में और उसके बाद यह बहुत घने जंगल में देखी गई है। वन क्षेत्र में वृद्धि दिखाने वाले शीर्ष तीन राज्य आंध्र प्रदेश (647 वर्ग किमी), इसके बाद तेलंगाना (632 वर्ग किमी) और ओडिशा (537 वर्ग किमी) हैं।
  • क्षेत्रफल के अनुसार मध्य प्रदेश में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है। इसके बाद अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र हैं। कुल भौगोलिक क्षेत्र के प्रतिशत के रूप में वन आवरण के मामले में, शीर्ष पांच राज्य मिजोरम (84.53%), अरुणाचल प्रदेश (79.33%), मेघालय (76.00%), मणिपुर (74.34%) और नगालैंड (73.90%) हैं।
  •  देश के जंगलों में कुल कार्बन स्टॉक 7,204 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो 2019 के बाद से 79.4 मिलियन टन की वृद्धि है।
  • 17 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वन आच्छादित है। इन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जैसे लक्षद्वीप, मिजोरम, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश और मेघालय में 75 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं, जबकि 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों अर्थात् मणिपुर, नगालैंड, त्रिपुरा, गोवा, केरल, सिक्किम, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, दादरा एवं नगर हवेली और दमन एवं दीव,असम,ओडिशा में वन क्षेत्र 33 प्रतिशत से 75 प्रतिशत के बीच है।

वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अन्य तथ्य- 

जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंगभारतीय वन सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ एफएसआई ने जलवायु परिवर्तन हॉटस्पॉट की मैपिंग पर आधारित एक अध्ययन किया है। जो 2030, 2050 व 2085 में वर्षा जल व तापमान की अवस्थिति का अनुमान करने के लिए किया गया है।

एफएसआई ने अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी), इसरो, अहमदाबाद के सहयोग से सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) डेटा के एल-बैंड का उपयोग करते हुए अखिल भारतीय स्तर पर जमीन से ऊपर बायोमास (एजीबी) के आकलन के लिए एक विशेष अध्ययन शुरू किया। जमीन के ऊपर बायोमास का अर्थ है किसी निर्धारित क्षेत्र में स्थित पेड़ पौंधों व जीवों का कुल द्रव्यमान है इसका उपयोग अधिकांश रूप से ईंधन के रूप में किया जाता है। बायोमास का आंकलन के द्वारा इस पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को जानने के लिए किया जा रहा है।

भारत के टाइगर रिजर्व, कॉरिडोर – रिपोर्ट में बाघ गलियारे व एशियाई शेरों वाले गिर वन में वनावरण का आंकलन किया गया है। 2011-2021 के बीच बाघ गलियारों में वन क्षेत्र में 37.15 वर्ग किमी (0.32%) की वृद्धि हुई है, लेकिन बाघ अभयारण्यों में 22.6 वर्ग किमी (0.04%) की कमी आई है।

निष्कर्ष-

विशेषज्ञों के अनुसार सर्वेक्षण के परिणाम भ्रामक हो सकते हैं, क्योंकि इसमें वृक्षारोपण – जैसे कि कॉफी, नारियल या आम और अन्य बाग – वन आवरण के अंतर्गत शामिल हैं। ये वृक्षारोपण प्राकृतिक वनों से स्पष्ट रूप से भिन्न हैं जहां एक हेक्टेयर में सैकड़ों प्रजातियों के पेड़, पौधे और जीव-जंतुओं का घर होगा, जबकि ऐसे वृक्षारोपण में केवल एक प्रजाति के पेड़ होते हैं। 

एफएसआई के नवीनतम (एसएफआर 2021) वन कवर डेटा के कुछ हिस्सों के जमीनी सत्यापन के लिए उपग्रह चित्रों की आधिकारिक रूप से प्रयोग कर वन क्षेत्र की मान्यता दी जबकि कई क्षेत्र जो उपग्रहों में वन आवरण जैसे प्रतीत होते हैं वे वास्तव में वनों की क्षेत्र में नहीं आते हैं। अतः वनों का सर्वेक्षण में अधिक सूक्ष्मता व पारदर्शिता की आवश्यकता है। 

वनों की सघनता, कैनोपी के स्थान पर, वृक्षों के मध्य औसत दूरी के आधार पर भी परिभाषित की जा सकती है। या उपग्रह तस्वीरों को प्राथमिक स्रोतों के स्थान पर द्वितीयक स्रोंतों के रूप में स्थान दिया जा सकता है जो प्राथमिक स्रोतों की पुष्टि करते हैं।

स्रोत

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 4th March 2023

No Comments

Post A Comment