03 Jan वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत – मालदीव संबंध
( यह लेख ‘ द हिन्दू’ ,‘ वर्ल्ड फोकस ’, ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’ और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत – मालदीव संबंध ’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत – मालदीव संबंध ’ से संबंधित है। )
सामान्य अध्ययन : अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, वर्तमान परिप्रेक्ष्य में भारत – मालदीव संबंध।
चर्चा में क्यों ?
मालदीव के पानी में संयुक्त हाइड्रोग्राफिक सेवाओं के लिए भारत के साथ एक समझौते को रद्द करने के मालदीव के हालिया निर्णय ने भारतीय मीडिया और सामरिक जगत में काफी निराशा पैदा कर दी है। 2019 में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की द्वीप यात्रा के दौरान जुड़े इस समझौते को भारत-मालदीव रक्षा संबंधों के प्रतीक के रूप में देखा गया था।
हिन्द महासागर में स्थित में मालदीव ,भारत का पड़ोसी और भारत के लक्षद्वीप समूह के दक्षिण में स्थित देश है। मालदीव में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में चीनी समर्थक मोहम्मद मुइज्जू का मालदीव का राष्ट्रपति के रूप में अनंतिम रूप से चुना जाना भारत के लिए चिंता का विषय है। COP28 जलवायु सम्मेलन के दौरान मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मानवीय कार्यों पर काम करने के लिए द्वीपों पर तैनात भारतीय सैनिकों को भारत वापस बुला लेने के मामले में लगभग 75 भारतीय सैन्य कर्मियों को मालदीव में गठित नई सरकार के अनुरोध पर सहमति व्यक्त की है। दुबई में शिखर सम्मेलन में यह बात श्री मुइज्जू ने तब की, जब उन्होंने मालदीव में अपने चुनावी अभियान के दौरान ‘ इंडिया आउट ’ को नारे के रूप में प्रयोग किया था। अपने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार और वर्तमान राष्ट्रपति मोहम्मद इब्राहिम सोलिह के खिलाफ 54 प्रतिशत वोटों के साथ प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव (पीपीएम) के विपक्षी उम्मीदवार मोहम्मद मुइज्जू ने मालदीव के राष्ट्रपति चुनाव में यह जीत हासिल किया है।
- महत्वपूर्ण पहलू यह है कि फ्राँस और मालदीव की चुनावी – प्रणाली प्रक्रिया एक समान है। इस चुनावी – प्रक्रिया में चुनाव जीतने और चुनाव में विजेता बनने के लिए उम्मीदवार को 50% से अधिक मत प्राप्त करना होता है । इस प्रक्रिया के पहले राउंड में यदि कोई भी उम्मीदवार इस आँकड़ा को प्राप्त नहीं कर पाता है, तो वैसी स्थिति में चुनाव में विजेता की घोषणा प्राप्त हुए मतों के दूसरे राउंड में प्राप्त मतों में से शीर्ष दो उम्मीदवारों द्वारा प्राप्त किए गए वोटों के आधार पर किया जाता है।
ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य :
- औपनिवेशिक ब्रिटिश सत्ता से सन 1965 ई. में मालदीव को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात् भारत एकमात्र वह पहला देश था जिसने मालदीव की स्वतंत्र सता / स्वतंत्रता को स्वीकार किया और मालदीव से भारत ने अपने आपसी सांस्कृतिक, आर्थिक, सैन्य और रणनीतिक संबंध स्थापित किए।
- मालदीव ने सन 2004 ई. के नवंबर महीने में अपने राजनयिक संबंधों को भारत से सुधारने और प्रगाढ़ करने के उद्देश्य से नई दिल्ली में एक उच्चायोग की स्थापना की ताकि भारत – मालदीव संबंधों के राजनयिक मिशन को नया आयाम प्रदान किया जा सके।
- श्रीलंका के प्रति संतुलन संतुलन की दृष्टि अपनाते हुए भारत के साथ मित्रता के संबंधों को और भी मजबूत किया क्योंकि भारत मालदीव का निकटतम पड़ोसी और सबसे बड़ा आपसी व्यापारिक भागीदार देश भी है।
चीन का मालदीव के आंतरिक मामलों में बढ़ता हस्तक्षेप और भारत-मालदीव संबंध :
सौहार्दपूर्ण और मैत्री – संबंधों में बदलाव की पहल :
बदले राजनीतिक परिदृश्य में मालदीव की पारंपरिक विदेश नीति में चीन समर्थक रुख के कारण हाल के दिनों में कई महत्वपूर्ण बदलाव आया है, क्योंकि मालदीव की वर्तमान समय की विदेश नीति से पहले की विदेश नीति का झुकाव भारत की ओर और मैत्रीपूर्ण अधिक था । वर्तमान राष्ट्रपति के सत्ता संभालते ही मालदीव की विदेश नीति में हुए हालिया परिवर्तन ने भारत से सटे पड़ोसी देशों में चीन के बढ़ते प्रभाव और उसके राजनीतिक एवं रणनीतिक दखलंदाजी को देखते हुए भारत के लिए चिंता और आशंका उत्पन्न कर दी है जो भारत का मालदीव के प्रति विदेश नीति के लिए चिंताजनक है।
अवसंरचनात्मक निवेश:
- हिंद महासागर क्षेत्र में बुनियादी ढाँचे हेतु मालदीव कई अन्य देशों की तरह ही चीन से बहुत अधिक मात्रा में निवेश प्राप्त करता रहा है।
- चीन ने मालदीव में बड़े पैमाने पर अपना अवसंरचनात्मक रूप से निवेश किया है जिससे चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में मालदीव भागीदार बन गया है। मालदीव में पुलों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों और अन्य महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास सहित अन्य विभिन्न परियोजनाओं के वित्तपोषण एवं निर्माण में चीन ने ‘ स्ट्रिंग ऑफ द पर्ल्स ’ पहल के तहत अवसंरचनात्मक रूप से निवेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है ।
मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभाव के बीच भारत के चिंता का सबब :
- हिंद महासागर क्षेत्र, के अंतर्गत या आसपास आने वाले भारत के पड़ोसी देशों पाकिस्तान, श्रीलंका तथा मालदीव जैसे देशों में चीन का बढ़ता आंतरिक हस्तक्षेप पर भारत ने चिंता व्यक्त किया है। सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इन क्षेत्रों में चीन द्वारा किए जा रहे सैन्य सुविधाओं का विकास एवं चीन के द्वारा नियंत्रित बंदरगाहों को भारत के रणनीतिक हितों व क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक चुनौती के रूप में देखा जा रहा है, जो भारत के लिए आने वाले भविष्य में चिंता का सबब बन रहा है।
भारत के जवाबी उपाय :
- मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभुत्व का करार जवाबी उत्तर देते हुए भारत ने भी मालदीव और अन्य हिंद महासागर देशों के साथ आधारभूत अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की हैं एवं रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।अपने राजनयिक व रणनीतिक संबंधों को मज़बूत किया है। इसने संबद्ध क्षेत्र में अपने व्यापक प्रभाव के लिये आर्थिक सहायता प्रदान की है, आधारभूत अवसंरचना परियोजनाएँ शुरू की हैं एवं रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।
- भारत द्वारा शरू किया गया “नेबरहुड फर्स्ट” नीति का उद्देश्य ही भारत के पडोसी देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति को नियंत्रित और संतुलित करना है।
मालदीव के विदेश नीति का बदलता स्वरुप :
इब्राहिम मोहम्मद सोलिह का वर्ष 2018 में मालदीव के राष्ट्रपति के रूप में चुने जाने के साथ ही मालदीव की विदेश नीति में एक बार फिर से भारत के प्रति सकारात्मक बदलाव देखा गया था , क्योंकि मालदीव के राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को भारत के प्रति समर्थक के रूप में जाना जाता है। मालदीव में सोलिह की सरकार ने भारत के साथ अपने पारंपरिक एवं पारस्परिक संबंधों को बरक़रार रखते हुए भारत और चीन के बीच संबंधों को पुनः संतुलित करने का प्रयास किया था।
भारत के लिए मालदीव का सामरिक महत्त्व:
- मालदीव की हिंद महासागर में रणनीतिक स्थिति, प्रमुख समुद्री मार्गों के साथ – ही साथ इसे भारत और चीन दोनों ही देशों के लिए सामरिक, व्यापारिक और रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण बनाती है। फलतः भारत और चीन दोनों ही देश मालदीव में घटने वाली हर महत्वपूर्ण रणनीतिक और सामरिक घटनाओं पर कड़ी नज़र रखेंगे तथा भारत और चीन दोनों ही देश वहां अपना – अपना प्रभाव स्थापित करने हेतु हर संभव प्रयास करते रहेंगे।
जलवायु परिवर्तन से मालदीव पर होने वाले प्रभाव : –
- मालदीव और भारत की भौगोलिक अवस्थिति के अनुसार ये दोनों ही देश निचले द्वीप राष्ट्र हैं। समुद्र के बढ़ते स्तर और समुद्री गर्मी की लहरों सहित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण मालदीव के समुद्र में डूब जाने का ख़तरा मंडरा रहा है।अतः भारत और मालदीव दोनों ही देश जलवायु परिवर्तनों से उत्पन्न होने खतरों के प्रति अत्यंत संवेदनशील हैं ताकि दोनों ही देशों के साझा हितों की रक्षा की जा सके।
समस्या का समाधान :
- हिंद – प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र में, क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और दक्षिण एशिया और आसपास की समुद्री सीमाओं में महत्त्वपूर्ण सामरिक और रणनीतिक भूमिका निभाने के लिए भारत कोअपने विभिन्न हितों को ध्यान में रखते हुए एक महत्त्वपूर्ण और प्रभावी कदम उठाते हुए एक निरीक्षक की भूमिका निभानी चाहिए।
- हिंद-प्रशांत सुरक्षा क्षेत्र को भारत के समुद्री प्रभाव क्षेत्र में अतिरिक्त-क्षेत्रीय शक्तियों (विशेष रूप से चीन) की वृद्धि की प्रतिक्रिया के रूप में विकसित किया गया है।
- फ़िलहाल मालदीव में उसकी सीमित आबादी द्वारा ‘इंडिया आउट’ अभियान को समर्थन तो प्राप्त है, लेकिन यह भी सच है कि इस अभियान को भारत सरकार द्वारा कम करके नहीं आँका जाना चाहिए , क्योंकि मालदीव का मौजूदा राष्ट्रपति इसी चुनावी नारे के सहारे मालदीव का राष्ट्रपति बना है ।
- मालदीव के साथ भारत के वर्तमान रणनीतिक और सामरिक संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए ‘इंडिया आउट’ अभियान का सावधानीपूर्वक समाधान जरुरी है। यदि इस समस्या का सावधानीपूर्वक समाधान नहीं निकाला गया तो मालदीव की वर्तमान आतंरिक और घरेलू राजनीतिक स्थिति इस देश के साथ भारत के वर्तमान संबंधों में अनेकों बाधा उत्पन्न कर भविष्य में भारत – मालदीव संबंधों में खटास पैदा कर सकती है।
- बहु-ध्रुवीय और नियम – आधारित विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने की भारत की पुरानी व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए भारत को अपने पड़ोसी देशो के साथ वर्तमान समय की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी सामरिक और रणनीतिक संबंधों को स्थापित करने या उसे बहल करने के लिए एक उदार रुख अपनाये रखना चाहिए।
- भारत पर मालदीव की आर्थिक – निर्भरता बढ़ाने के लिएऔर उससे होने वाले ढांचागत बदलाव की निर्भरता को बढ़ने के लिए भी प्रोजेक्ट मौसम को भी अधिक से अधिक स्थान दिए जाने की जरूरत है, जिससे मालदीव की भारत पर आर्थिक और ढांचागत दोनों ही प्रकार की निर्भरता बढे और भारत मालदीव में चीन के बढ़ते प्रभुत्व को रोक सके ।
- शिक्षा, चिकित्सा और व्यापार के लिए मालदीव के लोगों के लिए भारत एक पसंदीदा देश है। भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार मालदीव के नागरिकों द्वारा उच्च शिक्षा और इलाज के लिए भारत में रहने के लिए लॉन्ग टर्म वीजा की माँग बढ़ती जा रही है।
Download yojna daily current affairs hindi med 3rd January 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. आठ डिग्री चैनल भारत और मालदीव को किस द्वीप समूह से अलग करता है ?
(A). भारतीय मिनिकॉय (लक्षद्वीप द्वीप समूह का हिस्सा) को मालदीव से अलग करता है।
(B). अंडमान और निकोबार को मालदीव से अलग करता है।
( C ) . सुमात्रा और जावा को मालदीव से अलग करता है।
( D). निकोबार और सुमात्रा को मालदीव से अलग करता है।
उत्तर – (A).
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 . मालदीव में हुए हालिया राजनीतिक सत्ता परिवर्तन के आलोक में यह चर्चा कीजिए कि यह भारत और मालदीव के आपसी रणनीतिक , आर्थिक और सामरिक संबंधों को किस प[रकार प्रभावित करेगा ?
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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