वारसा समझौता

वारसा समझौता

वारसा समझौता

संदर्भ- हाल ही में नॉर्डिक देशों के वायु सेना प्रमुख रूस के खिलाफ एकत्रित हुए हैं। इनके पास लगभग 300 लड़ाकू विमान हैं जिनका लक्ष्य अंततः एक बल के रूप में कार्य करना है। इस कदम को रूस यूक्रेन संघर्ष के कारण यूरोप में आई असुरक्षा की भावना के प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है।

नई वारसा संधि –

  • नॉर्डिक देश, आर्कटिक में पश्चिमी यूरोप के सबसे उत्तरी हिस्से को दर्शाते हैं। जिसमें डेनमार्क, फिनलैण्ड, नॉर्वे , स्वीडन, आइसलैण्ड, फरो द्वीप समूह, ऑलैण्ड द्वीप समूह आदि देश आते हैं।  इन देशों में डेनमार्क, फिनलैण्ड, नॉर्वे व स्वीडन ने एक वायु क्षेत्र की रक्षा के लिए एक समझौता किया है जिसे नई वारसा संधि कहा जा रहा है।  
  • यूरोप में लम्बे समय से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण नार्डिक समेत समस्त यूरोप असुरक्षित महसूस कर रहा है।(युद्ध का कारण यूक्रेन की नाटो के सदस्यता में रुचि को माना जा रहा है।)क्योंकि वर्तमान में रूस व नाटो(North Atlantic treaty Organisation) देश जो परमाणु शक्ति में अग्रणी हैं, के बीच परस्पर टकराव की संभावना बढ़ रही है। 
  • मध्य यूरोप की निष्क्रियता और पश्चिमी देशों (अमेरिका व इंग्लैण्ड) की सहायता, पूर्वी यूरोप को एक साथ आने के लिए परिस्थितियाँ उत्पन्न कर रही हैं। 
  • पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को सहायता पहुँचाई जा रही है जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, जर्मनी व ब्रिटेन शीर्ष पर है। अब नार्डिक समूह भी रूस के खिलाफ एक साथ आ रहा है।
  • डेनमार्क, फिनलैण्ड, नॉर्वे और स्वीडन की सामूहिक प्रतिक्रिया को न्यू वारसा संधि के रूप में देखा जा रहा है।

वारसा संधि- 

  • 1955 में उत्तरी अटलांटिक राज्यों के प्रतिद्वंदी के रूप में साम्यवादी गुट राज्यों द्वारा वारसा समझौता किया गया। 
  • साम्यवादी सदस्य राज्य- अल्बानिया, बल्गारिया, चेकोस्लाविया, पूर्वी जर्मनी, हंगरी, पोलैण्ड, रोमानिया, सोवियत संघ थे। 
  • उद्देश्य- पूर्वी यूरोपीय राज्यों के मध्य शांति व परस्पर सहयोग के लिए एक संगठन की स्थापना करना था।
  • इस संधि के आठों राज्यों के सैनिक बलों के लिए एक एकीकृत सैनिक कमान की स्थापना की गई। जिसके तहत यह प्रावधान रखा गया कि पूर्वी यूरोप के किसी भी देश में आक्रमण होने की स्थिति में अन्य सभी देश उसकी हर संभव सहायता करेंगे, जिसमें सैनिक सहायता भी शामिल है। नॉर्डिक देशों द्वारा इसी प्रकार के समझौते को नई वारसा संधि कहा जा रहा है। 
  • इस संधि के तहत कई बार साम्यवादी गुट एक साथ आए। किंतु साम्यवादी विघटन के साथ यह संधि का अस्तित्व भी समाप्त हो गया। 
  • पूर्व वारसा संधि में शामिल रोमानिया, पोलैंड, हंगरी और बुल्गारिया, बुखारेस्ट नाइन के सदस्य हैं।

बुखारेस्ट नाइन-

  • बुखारेस्ट नौ या बुखारेस्ट प्रारूप, जिसे अक्सर बी 9 के रूप में संक्षिप्त किया जाता है, 4 नवंबर, 2015 को स्थापित किया गया था और इसका नाम रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से लिया गया है। 
  • B9 में रोमानिया, पोलैंड, हंगरी, बुल्गारिया, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया देश शामिल हैं।
  • सभी नौ देश कभी विघटित सोवियत संघ के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए थे, लेकिन बाद में उन्होंने लोकतंत्र का मार्ग चुना। 
  • यह देश शीत युद्ध के बाद NATO में शामिल हो गए थे। 
  •  B9 के सभी सदस्य यूरोपीय संघ (EU) और उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) का हिस्सा हैं।
  • वर्तमान नाटो में 30 देश सािल हैं जो नाटो के साथ व उसके बाहर भी अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं।

भारत की प्रतिक्रिया-

भारत और रूस एक लम्बे समय से रणनीतिक रूप से सहयोगी राष्ट्र रहे हैं इसके साथ ही भारत, अमेरीका से भी मैत्री रखता है जो NATO का प्रतिनिधित्वकर्ता है। ऐसे में भारत को रूस व  यूक्रेन युद्ध में मध्यस्थ के रूप में देखा जा रहा था। भारत ने रूस के साथ अपनी मैत्री बनाए रखने पर जोर दिया है। जिससे भारत को किफायती दामों में तेल की आपूर्ति हो सके। भारत किसी भी पक्ष का विरोध न करते हुए केवल देश के हितों को प्राथमिकता दे रहा है। 

भारत वर्तमान में डी हाइफनेशन नीति पर अमल कर सकता है। भारत ने एक लम्बे समय तक इजराइल फिलीस्तीन संघर्ष में इसी नीति का पालन किय़ा था। जिसमें भारत, फिलीस्तीन समर्थक होने के साथ ही इजराइल के साथ मैत्रीपूर्ण रहा है। 

स्रोत

Yojna IAS daily current affairs hindi med 30th March 2023

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