18 Apr विदेशी व्यापार नीति में आयात व निर्यात कर
विदेशी व्यापार नीति में आयात व निर्यात कर
संदर्भ-भारत की नई विदेश व्यापार नीति के तहत वैश्विक ई- कॉमर्स से खरीदे गए उपहारों सहित विदेशों से खरीदे गए अन्य उपहारों के प्रावधानों को कड़ा कर दिया गया है। राखी व जीवन रक्षक दवाओं से संबंधित आयात को शुल्क मुक्त किया जा सकता है। इससे पूर्व 2015 की विदेश नीति जिसे 31 मार्च 2023 तक बढ़ा दिया गय़ा था के अनुसार उपहारों में कुछ छूट दी गई थी।
नई विदेश व्यापार नीति 2023 के अनुसार उपहारों पर सीमा शुल्क को लागू किया गया है जैसे-
- ई कॉमर्स पोर्टल से संबधित
- डाक या कुरीयर आधारित उपहार।
किंतु कुछ सामानों पर सीमाशुल्क मुक्त रखा गया है। जैसे-
- राखी (उपहार के रूप में राखी पर तभी शून्य सीमा शुल्क लगेगा जब वस्तु की मूल्य राशि ₹100 या उससे कम है।)
- जीवन रक्षक दवाएं।
2015 की विदेश व्यापार नीति
ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स (डीसीएस) भारत सरकार द्वारा विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2015-20 के तहत पेश किया गया एक निर्यात प्रोत्साहन लाभ है। अन्य निर्यात लाभों की तरह, इसका उद्देश्य निर्यातकों को प्रोत्साहित करना है ताकि वे भारत में विदेशी मुद्रा के प्रवाह को बढ़ावा दें। डीसीएस का उपयोग एक निर्यातक द्वारा अपनी कर देनदारियों का भुगतान करने के लिए किया जा सकता है। इसका उपयोग बुनियादी सीमा शुल्क, अतिरिक्त सीमा शुल्क, सुरक्षा शुल्क, संक्रमणकालीन विशिष्ट सुरक्षा शुल्क और एंटी-डंपिंग शुल्क से उत्पन्न होने वाली कर देनदारियों के लिए किया जा सकता है।
मेक इन इण्डिया –विदेश व्यापार नीति निर्यात दायित्वों (ईओ) को 25% तक कम करके ईपीसीजी योजना के तहत स्वदेशी निर्माताओं से पूंजीगत वस्तुओं की खरीद को प्रोत्साहित करने के उपायों के माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ का समर्थन करती है।
2015-20 की नीति में दो योजनाएं निहित थी-
- मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट्स फ्रॉम इंडिया स्कीम’ (MEIS) निर्दिष्ट बाजारों में निर्दिष्ट वस्तुओं के निर्यात के लिए है।
- भारत से सेवा निर्यात योजना’ (SEIS) अधिसूचित सेवाओं के निर्यात को बढ़ाने के लिए है। ये पहले से मौजूद कई योजनाओं को प्रतिस्थापित करते हैं,
- प्रत्येक योजना में पात्रता और स्क्रिप के उपयोग के लिए अलग-अलग शर्तें हैं।
नीति विदेश नीति का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में रुपये के प्रयोग को बढ़ावा देना, SCOMET के तहत दोहरे उपयोग वाले उत्पादों के निर्यात को व्यवस्थित करना। अतः 2015 की नीति में निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रावधान किए गए।
इसके साथ ही विदेश व्यापार वर्गीकरण मानदण्डों के तहत उपहारों का व्यापार आयात मुक्त था।
आयात कर- किसी देश में वस्तुओं व सेवाओं के आयात पर देश की सीमा में सीमा शुल्क अधिकारियों द्वारा शुल्क वसूल किया जाता है। जिसे आयात कर कहा जाता है। आयात कर वस्तु के मूल्य का 10% होता है। इसके साथ ही GST भी IGST भी संयोजित किया जाता है।
भारत में आयात कर के उद्देश्य-
- उद्योग – भारत में आयात कर, भारतीय उद्योगों को विदेशी सस्ते सामानों से बचाने के लिए लगाया जाता है। पिछले कुछ समय से भारतीय व्यापार में आयात बढ़ा है जिसे सीमित करने के लिए विदेश व्यापार नीति में आयात के लिए कठोंर व्यवस्था की गई है।
- दुष्प्रभावी वस्तुओं पर रोक- नशीले पदार्थों के मूल्य में आयात कर के माध्यम से वृद्धि करके इसके सामान्य प्रयोग पर रोक लगायी जा सकती है।
निर्यात कर- किसी देश में जब वस्तुओं के उत्पादन करने की क्षमता, देश की आपूर्ति से अधिक हो तो देश उन वस्तुओं को विदेशों में निर्यात करता है। जिससे वह अतिरिक्त लाभ प्राप्त कर सके। इसके लिए देश वस्तुओं पर निर्यात कर निर्धारित करता है।
उपहारों के आयात अथवा निर्यात
मुक्त निर्यात के प्रभाव- भारतीय इतिहास में मुक्त निर्यात के कारण अंग्रेजों ने उपहारों के रूप में भारत का अत्यधिक धन निष्कासन किया था। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था कमजोर हो गई थी। दादा भाई नौरोजी के अनुसार धन का बहिर्गमन देश की सबसे बड़ी बुराई है जो देश की निर्धनता का कारण भी है।
मुक्त आयात के प्रभाव – मुक्त आयात दो देशों की मांग के आधार पर उसके प्रभावों को सुनिश्चित करती है। जैसे-
- कई नशीली पदार्थों का देश में आगमन हो सकता है जो देश को कमजोर बनाने में सहायक हो सकता है।
- देश के उद्योगों को वैश्विक पटल पर स्थापित करने में मुक्त आयात बाधा बन सकता है। इससे वह विदेशों की वस्तुओं को प्रोत्साहित कर रहा होता है।
- इसके साथ जीवन रक्षक दवाओं का आयात मुक्त होना देश में स्वास्थ्य सेवाओं को वहनीय बनाने में भी सहायक हो सकता है। दवाओं के मुक्त आयात के कारण देश में विदेशी दवाओं की आपूर्ति हो सकती है किंतु यह स्वदेशी दवाओं के निर्माण को निरुत्साहित कर सकता है।
आगे की राह-
- नीति में जीवन रक्षक दवाओं को परिभाषित नहीं किया गया है, जिससे अन्य दवाओं का भी आयात निःशुल्क हो लकता है, जो भारत की दवाओं पर प्रभाव डाल सकता है। अतः जीवन रक्षक दवा को अधिक स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
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