25 Nov विश्व जनसंख्या 8 बिलियन के करीब
विश्व जनसंख्या 8 बिलियन के करीब
संदर्भ- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, विश्व जनसंख्या पर जारी प्रॉस्पैक्टस के अनुसार विश्व की जनसंख्या 8 बिलियन के करीब है। और भारत की जनसंख्य वृद्धि दर के अनुसार भारत विश्व की सबसे बड़ी आबादी बनने को अग्रसर है जबकि अब तक चीन विश्व की सबसे बड़ा आबादी था।
रिपोर्ट के निष्कर्ष
वैश्विक स्तर पर जनसंख्या वृद्धि और उपलब्धियाँ- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जनसंख्या वृद्धि चुनौती के साथ कई मामलों में एक उपलब्धि भी है। जैसे-
- स्वास्थ्य देखभाल में प्रगति
- शिक्षा तक पहुँच
- महिलाओं के प्रसव के दौरान मृत्यु दर में कमी
- शिशुओं के मृत्यु दर में कमी।
- गरीबी व लैंगिक असमानता में कमी।
असमान वितरण-
- 1950 के बाद जनसंख्या की दर धीमी गति से बढ़ रही है.
- वृद्धि दर के अनुसार 2030 तक 8.5 बिलियन तथा 2050 तक 9.7 बिलियन तक बढ़ सकती है।
- 2080 तक जनसंख्या के अधिकतम 10.4 बिलियन तक पहुँचने के आसार हैं।
- 2050 तक वैश्विक जनसंख्या में अधिकतम वृद्धि विश्व के मात्र 8 देशों के योगदान से होगी। ये देश हैं- लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो, मिस्र, इथोपिया, भारत, नाइजीरिया, पाकिस्तान, फिलीपींस, संयुक्त गणराज्य, तंजानिया आदि।
भारत में जनसंख्या वृद्धि रिपोर्ट
- रिपोर्ट के अनुसार भारत 2023 में विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाला देश बन जाएगा।
- वैश्विक मूल्य की तुलना में जनसांख्यिकीय लाभांश प्राप्त करने की एक भारतीय की आयु 28.7थी झबकि चीन की 38.4 वर्ष, जापान की 48.6 वर्ष थी।
- जनसंख्या संभावना रिपोर्ट के अनुसार 2022 में भारत की जनसंख्या 1.412 बिलियन है, जबकि वर्तमान में चीन की जनसंख्या 1.426 बिलियन है 2050 में भारत की जनसंख्या 1.668 बिलियन और चीन की जनसंख्या 1.317 बिलियन हो जाएगी।
- 2022 में भारत में 18-65 साल के बीच की आयु की आबादी 68 % है जबकि 65 से अधिक आयु वर्ग की आबादी 7% है।
- भारत में 15-29 वर्ष की आयु वर्ग की आबादी 27% है अतः भारत सबसे अधिक किशोर नागरिकों का निवास भी है। यह 2030 तक विश्व की सबसे कम उम्र की आबादी वाला देश भी बना रहेगा।
भारत में जनसंख्या वृद्धि का सकारात्मक पक्ष-
महिलाओं के प्रसव के दौरान मृत्यु दर में कमी– भारत के महापंजीयक की सांख्यिकी रिपोर्ट के अनुसार मातृ मृत्यु दर में 2014(130) से 2022(103) में 10 अंकों की गिरावट देखी गई है।
शिशुओं के मृत्यु दर में कमी- शिशु मृत्यु दर 1 वर्ष में 1000 जीवित जन्म लेने वाले बच्चों में से मरने वाले बच्चों के अनुपात को इंगित करता है। भारत की औसतन शिशु मृत्यु दर 32 है, जो शहरी क्षेत्रों में 23 व ग्रामीण क्षेत्रों में 36 के लगभग है। शिशु मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को उचित पोषण की व्यवस्था कर सुधारा जा सकता है।
शिक्षा तक पहुँच- 2011 में साक्षरता दर 71% से बढ़कर 2022 में 77.7% दर्ज की गई है, जो भारत में शिक्षा की पहुँच में बढ़ोतरी को लक्षित करता है। भारत की शिक्षित जनसंख्या भारत के विकास में मददगार साबित होगी।
युवा आबादी की अधिकता- भारत में युवा वर्ग की आबादी 27% है, यह भारत के लिए एक वृहद मानव पूँजी है, इससे अधिक कार्यशील जनसंख्या व कम आश्रित जनसंख्या होगी और देश में आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
चुनौतियाँ-
भूख- वैश्विक भूखमरी सूचकांक में भारत 101वे स्थान से 107 वे स्तान पर आ गया है जो इसकी तीव्र जनसंख्या वृद्धि दर के लिए एक चुनौती है। लिंगानुपात की स्थिति- भारत में अभी लिंगानुपात की स्तिति में सुधार नहीं आया है। वर्तमान में(2022) यह 950 महिला प्रति 1000 पुरुष के लगभग है जिसमें सुधार करना अभी शेष है ऐसे में जनसंख्या दर का अनियंक्षित होना चुनौतीपूर्ण है।
भारत में अस्वस्थता- भारत में बढ़ती जनसंख्या के साथ रोगियों की जनसंख्य में भी बढ़ोतरी हो रही है। अतः स्वस्थ नागरिकों का प्रतिळत कम होता जा रहा है, वर्तमान में 8 करोड़ से अधिक नागरिक मधुमेह से पीड़ित हैं। वैश्विक स्तर पर बढ़ते प्रदूषण के कारण श्वसन संबंधी रोगों जैसे अस्थमा के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जो बढ़ती जनसंख्या के लिए खतरा है।
रोजगार- बढ़ती आबादी के लिए रोजगार सृजन करना एक बड़ी चुनौती है, जो देश के प्राकृतिक संसाधनो के दोहन का एक कारण बन सकती है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के डेटाबेस पर आधारित सेंटर फॉर इकनॉमिक डाटा एंड एनालिसिस की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में भारत की बेरोजगारी दर बढ़ कर 7.11 प्रतिशत हो गई थी. जो 2019 में बेरोजगारी दर 5.27 प्रतिशत थी।
स्रोत
https://www.dw.com/hi/labour-survey-claims-drop-in-unemployment-rate-in-india-in-2020-21/a-62140196
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