07 May संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम
- ‘संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम’ के अनुसार, इस ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ के मद्देनज़र भारत के साथ गेहूँ की खरीद के लिए बातचीत कर रहे रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण कई देशों को खाद्य सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
पृष्ठभूमि:
- फरवरी 2022 में, भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता भेजने की अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में 50,000 मीट्रिक टन गेहूं के वितरण के लिए संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- फसल वर्ष 2020-21 (जुलाई-जून) में भारत का गेहूं उत्पादन 59 मिलियन टन रहा।
संयुक्त राष्ट्र का विश्व खाद्य कार्यक्रम:
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) संयुक्त राष्ट्र की ‘खाद्य सहायता शाखा’ है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संगठन है जो भूख की समस्या का समाधान करता है और खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
- 1961 में शुरू किया गया, ‘विश्व खाद्य कार्यक्रम’ भूख और कुपोषण को समाप्त करना चाहता है, और इसका अंतिम लक्ष्य ‘खाद्य सहायता की आवश्यकता को समाप्त करना’ है।
- कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र विकास समूह का सदस्य है और इसकी कार्यकारी समिति का एक हिस्सा है।
- सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लड़ने, बाल मृत्यु दर को कम करने, मातृ स्वास्थ्य में सुधार और एचआईवी और एड्स सहित बीमारी से लड़ने के लिए डब्ल्यूएफपी खाद्य सहायता भी प्रदान की जाती है।
रोम में स्थित संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम, संयुक्त राष्ट्र की अन्य दो एजेंसियों के साथ मिलकर काम करता है:
- खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ), जो स्थायी कृषि का समर्थन करने के लिए देशों को नीति बनाने और कानून बदलने में मदद करता है।
- ‘कृषि विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष (आईएफएडी), जो गरीब ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही परियोजनाओं को वित्तपोषित करता है।
वित्तपोषण:
- विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) के पास ‘वित्त पोषण’ के लिए कोई स्वतंत्र स्रोत नहीं है, यह पूरी तरह से स्वैच्छिक दान द्वारा वित्त पोषित है। इस कार्यक्रम के प्रमुख दाता सदस्य देशों की सरकारें हैं, लेकिन संगठन को निजी क्षेत्र और व्यक्तियों से भी अनुदान प्राप्त होता है।
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