20 Dec संसद से सांसदों का निलंबन
( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू’ , ‘ जनसत्ता ’ , ‘ संसद टीवी के कार्यक्रम सरोकार ’ मासिक पत्रिका ‘वर्ल्ड फोकस’ और ‘पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ भारतीय राजव्यवस्था और शासन ’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ संसद से सांसदों का निलंबन ’ से संबंधित है।)
सामान्य अध्ययन – भारतीय राजव्यवस्था और शासन।
चर्चा में क्यों?
हाल ही में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा के 95 सांसदों और राज्यसभा के 46 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। यह भारत के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में एक ही सत्र में सबसे अधिक सांसदों के निलंबन का पहला मामला है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा लोकसभा में और राज्यसभा के सभापति और उप – राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के द्वारा राज्यसभा में सांसद (संसद सदस्य) को आसन के निर्देशों का ‘ उल्लंघन ’ करने के लिये निलंबित कर दिया गया है।
सांसदों के निलंबन की प्रक्रिया:
सामान्य सिद्धांत:
- संसद / सदन को सुचारु रूप से चलाने और सदन की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए सामान्य सिद्धांत यह है कि पीठासीन अधिकारी- लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की भूमिका और यह कर्तव्य है कि वे संसद / सदन की कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो यह सुनिश्चित करें और सांसदों को संसदीय लोकतांत्रिक तरीके से अपना प्रश्न पूछने की आज़ादी प्रदान करें ।
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो और सदन की कार्यवाही के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो, अध्यक्ष/ सभापति को किसी भी सदस्य को सदन से बाहर जाने के लिये विवश करने का अधिकार है।
प्रक्रिया और आचरण के नियम:
लोकसभा | राज्यसभा |
नियम 373:
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नियम 255:
ऐसी स्थिति में सदन, सदस्य को शेष सत्र से अधिक की अवधि के लिये सदन की सेवा से निलंबित करने का प्रस्ताव रख सकता है। |
नियम 374:
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नियम 256:
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नियम 374A:
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निलंबन की शर्तें:
- निलंबन की अधिकतम अवधि शेष सत्र के लिए होती है।
- निलंबित सदस्य कक्ष में प्रवेश नहीं कर सकते हैं या समितियों की बैठकों में शामिल नहीं हो सकते हैं।
- वह चर्चा अथवा किसी प्रकार के नोटिस देने हेतु पात्र नहीं होगा।
- वैसे संसद सदस्य जो सत्र के दौरान निलंबित होते हैं, अपने प्रश्नों का उत्तर पाने का अधिकार भी खो देता है।
न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप:
- संविधान का अनुच्छेद 122 कहता है कि संसदीय कार्यवाही पर न्यायालय के समक्ष सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- हालाँकि न्यायालयों ने विधायिका के प्रक्रियात्मक कामकाज में हस्तक्षेप किया है/ था , जैसे-
- महाराष्ट्र विधानसभा ने अपने 2021 के मानसून सत्र में 12 भाजपा विधायकों को एक साल के लिए निलंबित करने का प्रस्ताव पारित किया था , जिसे न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया था ।
- जब यह मामला सर्वोच्च न्यायालय के सामने आया, तो उसने माना कि मानसून सत्र के शेष समय के बाद भी प्रस्ताव कानून में अप्रभावी था या रहना चाहिए था ।
आगे की राह:
- प्रचार या राजनीतिक कारणों से नियोजित संसदीय अपराधों और जान-बूझकर किए जाने वाली गड़बड़ी से निपटना मुश्किल है।
- इसलिए सभी विपक्षी संसद सदस्यों को संसद में रचनात्मक भूमिका निभानी चाहिए और उन्हें अपने विचार रखने तथा सम्मानजनक तरीके से खुद को व्यक्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए ।
- जान-बूझकर व्यवधान और महत्त्वपूर्ण मुद्दे को उठाने के बीच संतुलन बनाने की ज़रूरत है।
- संसदीय लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लिखित या संवैधानिक रूप कही भी यह नहीं लिखा हुआ है कि लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति सभी सांसदों के प्रतिनिधि नहीं होते हैं , या वैसे तो लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा का सभापति संसद के सभी सांसदों के लिए सर्वमान्य प्रतिनिधि के रूप में होते हैं , किन्तु व्यावहारिक रूप में वे आमतौर पर सत्तासीन पार्टी के ही सांसद लोकसभा के अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति बनाए जाते हैं , अतः उन पर विपक्षी पार्टियों के सांसदों के प्रति पक्षपातपूर्ण होने का आरोप लगता रहता है। अतः लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को भी अपना ह्रदय उदार करते हुए सत्तासीन और विपक्षी दोनों ही पार्टियों के साथ समान और समनातापूर्वक व्यव्हार करना चाहिए ताकि संसद में सतासीन और विपक्षी पार्टियों के बीच के आपसी गतिरोध को समाप्त किया जा सके और संसद में लोकतांत्रिक, सकारात्मक और उद्देश्यपूर्ण बहस हो सके , क्योंकि भारत की संसद भी अंततः भारत के नागरिकों द्वारा चुकाए गए करों से ही संचालित होता है।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
Q. 1. भारतीय संसद में संसद सदस्यों / सांसदों के निलंबन प्रक्रिया के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति की भूमिका और यह कर्तव्य है कि वे संसद / सदन की कार्यवाही उचित तरीके से संचालित हो यह सुनिश्चित करें और सांसदों को संसदीय लोकतांत्रिक तरीके से अपना प्रश्न पूछने की आज़ादी प्रदान करें।
- सदन की कार्यवाही के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो, अध्यक्ष/ सभापति को किसी भी सदस्य को सदन से बाहर जाने के लिये विवश करने का अधिकार है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(a). केवल 1 .
(b). केवल 2 .
(c) . कथन 1 और 2 दोनों।
(d). इनमें से कोई नहीं।
उत्तर – (c) .
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1 . भारतीय संसद में ‘ संसद सदस्यों / सांसदों की निलंबन प्रक्रिया ’ की विस्तारपूर्वक चर्चा करते हुए यह चर्चा कीजिए कि यह किस प्रकार संसद सदस्यों द्वारा संसद में रचनात्मक भूमिका निभाने और जनता के मूलभूत महत्वपूर्ण सवालों को उठाने के स्थान पर आपसी सकारात्मक बहस की जगह गतिरोध को जन्म देता है?

Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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