समुद्री स्तर में वृद्धि के प्रभाव

समुद्री स्तर में वृद्धि के प्रभाव

समुद्री स्तर में वृद्धि के प्रभाव

संदर्भ- हाल ही में विश्व विज्ञान संगठन की स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट में पाया गया कि दुनियां का समुद्री स्तर एक अभूतपूर्व दर से बढ़ रहा है। जो भविष्य में मौसम, कृषि, भूजल संकट व सामाजिक परिवर्तनों के विनाशकारी परिणाम ला सकता है। 

स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2022

स्टेट ऑफ़ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट 2022 प्रमुख जलवायु संकेतकों – ग्रीनहाउस गैसों, तापमान, समुद्र के स्तर में वृद्धि, समुद्र की गर्मी और अम्लीकरण, समुद्री बर्फ और ग्लेशियरों पर केंद्रित है। यह जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम के प्रभावों पर भी प्रकाश डाल रहा है।

  • सूखा, बाढ़ और गर्मी की लहरें दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं और लागत बढ़ रही है
  • पिछले 8 वर्षों के लिए वैश्विक औसत तापमान रिकॉर्ड पर उच्चतम रहा है
  • समुद्र का स्तर और समुद्र का ताप रिकॉर्ड स्तर पर है – और यह प्रवृत्ति कई शताब्दियों तक जारी रहेगी।
  • अंटार्कटिक समुद्री बर्फ अब तक की सबसे कम सीमा तक गिर रही है।
  • यूरोप में ग्लेशियर पिघलने का रिकॉर्ड टूट रहा है।

डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के अनुसार, तीन दशकों में समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिसके लिए सैटेलाइट अल्टीमीटर डेटा उपलब्ध है। लेकिन 1993-2002 में समुद्र के स्तर में वृद्धि की दर 2.27 मिमी/वर्ष थी, जबकि 2013-2022 में यह बढ़कर 4.62 मिमी/वर्ष हो गई है। 

समुद्र सतह में वृद्धि के कारक- 

GMSL जलवायु प्रणाली की स्थिति का एक एकीकृत माप प्रदान करता है, जिसमें महासागर और क्रायोस्फेयर (पृथ्वी के बर्फ से ढके हिस्से) दोनों शामिल हैं। डब्ल्यूएमओ की रिपोर्ट के अनुसार समुद्री सतह में वृद्धि GMSL के लिए निम्न कारकों को उत्तरदायी माना जाता हैं। 

  • ग्लेशियरों का पिघलना- वातावरण और महासागर के गर्म होने के कारण, बर्फ की चादरें और पर्वतीय ग्लेशियर पिघल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप समुद्र में ताजा पानी मिल रहा है। ग्लेशियर की बर्फ के नुकसान 36% GSML वृद्धि हुई।
  • महासागर का गर्म होने से समुद्र का पानी फैलता है क्योंकि यह रुकी हुई गर्मी को अवशोषित करता है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ता है। औसत समुद्र के तापमान में वृद्धि की घटना से 55% योगदान दिया।
  • भूमि जल के भंडारण वह जल जो या तो भूमि से निकाला जाता है (उदाहरण के लिए भूजल पम्पिंग के माध्यम से) या भूमि पर रोका जाता है (उदाहरण के लिए, बांध निर्माण के माध्यम से) समुद्र में पाए जाने वाले कुल जल में शुद्ध परिवर्तन का कारण बन सकता है। भूजल के भण्डारण में परिवर्तन से 10% तक की वृद्धि हो जाती है।

समुद्र सतह में वृद्धि के प्रभाव

पर्यावरणीय प्रभाव

  • भूमि की कमी- समुद्र के जल स्तर में वृद्धि के कारण तटीय भूमि और द्वीप जलमग्न हो जाएंगे। जिससे पृथ्वी के तटीय समुदायों के लिए भूमि की भारी कमी हो सकती है। 
  • पारिस्थितिकी समाप्त होना- तटों के जलमग्न होने पर तटों की पारिस्थितिकी जैसे मैंग्रोव वन, समुद्री घास के मैंदान, प्रवाल भित्तियां आदि समाप्त हो जाएंगी।
  • चक्रवातों में वृद्धि- खुले समुद्र में चक्रवात की घटनाएं होती है। समुद्र के बढ़ते जल स्तर व तापमान के कारण समुद्री चक्रवातों में वृद्धि की संभावना बढ़ जाएगी। भारत व दक्षिण अफ्रीका के तटीय क्षेत्रों के लिए यह एक आपदा साबित हो सकती है। क्योंकि इनके तटीय क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व अत्यधिक है।  
  • भूजल में खारापन- समुद्री जल स्तर में वृद्धि होने के कारण समुद्री जल जमीन में रिस सकता है जहां ताजा पानी होता है। जिससे भूजल के खारे होने की संभावना बढ़ सकती हैं।

सामाजिक प्रभाव-

  • सामाजिक असमानता- विश्व भर में लगभग एक तिहाई आबादी तटीय क्षेत्रों या छोटे द्वीपों में रहती है। तटीय क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के संसाधनों में कमी के कारण उन्हें आर्थिक व सामाजिक असमानता का सामना करना पड़ सकता है।
  • पलायन- तटीय क्षेत्रों की संपदा, मैंग्रोव वन, जलमग्न भूमि व तटीय भूमि का कृषि योग्य न रहना आदि के समाप्त होने जैसी परिस्थितियां क्षेत्र के निवासियों को आजीविका हेतु पलायन करने के लिए मजबूर कर सकती हैं।
  • पुनर्वास व कानून के स्थापना – पलायन व पुनर्वास कई बार सामाजिक भेदभाव व असमानता का कारक बन जाता है जिससे आपराधिक गतिविधियों को बल मिलता है। इन परिस्थितियों में कानून को सर्वोच्च बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है। जैसे- सुंदरवन क्षेत्र में बाल तस्करी की घटनाएं, सामाजिक समस्या बनी हुई है। 

आगे की राह-

  • जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों (कार्बन उत्सर्जन और वैस्विक तापमान में वृद्धि) को सुलझाने के लिए वैश्विक प्रयास जैसे किए जा सकते हैं। 
  • भारत की तटीय भूमि को संरक्षित करने के लिए तटों में मैंग्रोव वनों की स्थापना की जानी चाहिए मैंग्रोव वन तटों को बनाए रखने में सहायक होते हैं।
  • तटीय क्षेत्र में बाहरी हस्तक्षेप को कम किया जा सकता है। जिससे तटों की प्राकृतिक अवस्था बनी रहे। 
  • भूजल के अत्यधिक दोहन किया जा रहा है। अतः भूजल स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए प्रयास किए जा सकते हैं तथा वर्षा के जल को संचित कर उसका प्रयोग किया जा सकता है। जिससे वर्षा का कम से कम जल समुद्र तक पहुँचे। 

स्रोत

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