सर्वोच्च न्यायालय में संविधान से समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग।

सर्वोच्च न्यायालय में संविधान से समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग।

सर्वोच्च न्यायालय में संविधान से समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग।

संदर्भ- हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय से सुब्रमण्यम स्वामी ने संविधान से समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शब्द हटाने की मांग की, जिसके विरोध में भाकपा CPI ने कहा है कि यह याचिका राजनीतिक दलों को धर्म के आधार पर वोट मांगने के लिए समर्थन देती है।

संविधान में  समाजवादी व धर्मनिरपेक्ष शब्द संसद द्वारा 1976 के 42 वे संशोधन के अनुसार जोड़ा गया।

संविधान का 42 वाँ संशोधन-

  • यह संशोधन संविधान का एक विस्तृत संशोधन था इसे लघु संविधान या इंदिरा संविधान के नाम से भी जाना जाता है।
  • इस संशोधन से संविधान में समाजवाद, पंथनिरपेक्ष और अखण्डता तीन शब्द जोड़े गए।
  • यह संविधान संशोधन स्वर्ण सिंह समिति को लागू करने के लिए किया गया था।
  • संवैधानिक संशोधन को न्यायिक जाँच से बाहर कर दिया गया था।
  • लोकसभा व विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष तक कर दिया गया।
  • इस संविधान में प्रभुतासम्पन्न लोकतांत्रिक गणराज्यों के स्थान पर प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य शब्द जोड़ दिया गया। तथा राज्य की एकता के साथ अखण्डता शब्द जोड़ा गया।

समाजवाद- आजादी के बाद भारत में साम्यवादी व पूँजावादी विचारधाराओं के इतर समाजवादी विचारधारा को अपनाया गया। किंतु प्रारंभ में समाजवादी शब्द का प्रयोग नहीं किया गया था किंतु संविधान के अनुच्छेद 38-39 तक समाजवादी विचारधारा को ही दर्शाते हैं। जिनमें असमानता को कम कर जनता की भलाई के अनुरूप नीतियों की बात कही गई है। आवश्यकता पड़ने पर 1976 में समाजवाद शब्द का प्रयोग संविधान की उद्देशिका में ले लिया गया।

भारत में समाजवादी शब्द का अर्थ जनता के लिए सरकार व समाज दोनों में संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण से लिया जा सकता है। जो जनता के कल्याण के लिए संसाधनों का प्रयोग करते हैं।

समाजवाद शब्द हटाने पर भारत में पूँजीवादी या साम्यवादी विचारधारा को अपनाना होगा। अर्थात संसाधनों पर अधिकार या तो सम्पूर्ण रूप से सरकार के पास होगा या फिर समाज/बाजार के पास। 

पंथनिरपेक्ष- भारत में पंथनिरपेक्षता का अर्थ राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक व साम्प्रदायिक आधार पर समानता व सहनशीलता पर आधारित है। भारतीय संविधान, समानता व भेदभाव रहित होने के साथ सामाजिक व आर्थिक मूलक लोकतंत्र पर आधारित है।  संविधान के अनुच्छेद 25-28 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। इसी प्रकार नीति निदेशक तत्व भी संविधान में पंथनिरपेक्ष को दर्शाते हैं। और शाब्दिक रूप में इसे संविधान के 42 वे संशोधन में उल्लेखित किया गया है।

पंथनिरपेक्ष व धर्मनिरपेक्ष की अंतर- 

  • भारत में धर्मनिरपेक्ष शब्द से तात्पर्य धार्मिक आधार पर समानता व स्वतंत्रता से है। जबकि पंथनिरपेक्ष शब्द का तात्पर्य राजनैतिक, सांस्कृतिक, साम्प्रदायिक व धार्मिक आधार पर समानता से है। 
  • धर्मनिरपेक्ष, किसी भी धर्म को न मानने से व पंथनिरपेक्ष, जो किसी भी धर्म को माने पर सर्वधर्म सम्भाव की भावना से प्रेरित हों।
  • संविधान में धर्मनिरपेक्ष शब्द का उल्लेख न कर पंथनिरपेक्ष शब्द का उल्लेख किया गया है।
No Comments

Post A Comment