‘सागर निधि’

‘सागर निधि’

 

  • हाल ही में केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्री ने भारतीय उपमहाद्वीप के पायनियर महासागर अनुसंधान पोत (ORV) जहाज़ सागर निधि’ का दौरा किया।
  • इससे पूर्व ‘पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय’ (MoES) ने चेन्नई में भारत का पहला मानवयुक्त महासागर मिशन समुद्रयान’ लॉन्च किया था।

 सागर निधि’:

  • इसे देश के समुद्री अनुसंधान कार्यक्रम के लिये वर्ष 2008 में कमीशन किया गया था।
  • ‘सागर पूर्वी’ और ‘सागर पश्चिमी’ के बाद यह तीसरा शोध पोत है।
  • यह पोत भू-वैज्ञानिक, मौसम विज्ञान और समुद्र विज्ञान संबंधी अनुसंधान करने में सक्षम है तथा 45 दिनों तक 10,000 समुद्री मील (19,000 किमी.) तक की क्षमता के लिये डिज़ाइन किया गया है।
  • यह पहला भारतीय ध्वजांकित अनुसंधान जहाज़ है, जो सर्वाधिक कठोर प्राकृतिक परिस्थितियों को सहने में भी सक्षम है और 11 तूफानों का सामना करते हुए 66°S अक्षांश (अंटार्कटिक जल) तक पहुँचा है।
  • पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पास वर्तमान में 6 जहाज़ हैं- सागर निधि, सागर मंजूषा, सागरकन्या, सागर संपदा, सागर तारा और सागर अन्वेषिका, जिनका उपयोग समुद्र के अवलोकन सहित कई महासागर अध्ययनों एवं अनुप्रयोगों के लिये किया जाता है।

 महत्त्व

  • ब्लू इकॉनमी’ को बढ़ावा देने और समुद्री संसाधनों की खोज एवं दोहन में भागीदारी हेतु ‘डीप ओशन मिशन’ के कार्यान्वयन के लिये यह अनुसंधान पोत काफी महत्त्वपूर्ण है।
  • इसका उपयोग सुनामी निगरानी प्रणाली और अपेक्षाकृत दूरी से संचालित वाहनों को लॉन्च करने, खानों एवं गैस हाइड्रेट्स की पहचान करने के लिये किया जाता है।
  • इसका उपयोग भविष्य के गैस हाइड्रेट्स के ईंधन पर समुद्री अध्ययन करने और जीवन की उत्पत्ति एवं जीर्ण बीमारियों (एक वर्ष या उससे अधिक समय तक चलने वाली बीमारियों) के इलाज के बारे में वैज्ञानिक साक्ष्य की खोज के लिये भी किया जाएगा।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES)

  • इस मंत्रालय का प्राथमिक कार्य मौसम, जलवायु, महासागर और भूकंपीय सेवाएँ प्रदान करना तथा जीवित एवं निर्जीव संसाधनों का दोहन करना है।
  • यह प्रासंगिक महासागर प्रौद्योगिकी और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के महासागर सर्वेक्षण व खनिजों एवं ऊर्जा के लिये गहरे महासागरों के विकास कार्य में भी संलग्न है।
  • राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान चेन्नई को समुद्र के जीवित एवं निर्जीव संसाधनों के सतत् दोहन हेतु प्रौद्योगिकियों को विकसित करने का अधिकार है।
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