29 Feb सामाजिक समूहों के लिए आरक्षण और कानून : मराठा आरक्षण विधेयक 2024
स्त्रोत्र – द हिन्दू एवं पीआईबी।
सामान्य अध्ययन – भारतीय संविधान, ऐतिहासिक आधार, अनुच्छेद 15, सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (SEBC), मराठा आरक्षण, संविधान संशोधन, आरक्षण का महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना, संसद और राज्य विधायिका की संरचना और कार्य, कार्य – संचालन की शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार
खबरों में क्यों ?
- महाराष्ट्र राज्य विधानसभा ने 20 फरवरी 2024 को सर्वसम्मति से एक विधेयक पारित किया, जिसमें मराठों को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण प्रदान किया गया है।
- फरवरी 2024 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए महाराष्ट्र विधानसभा ने महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 को पारित कर दिया है। इसके द्वारा सामाजिक तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े श्रेणियों के अंतर्गत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत के आरक्षण का प्रावधान किया गया है।
मराठा आरक्षण विधेयक के प्रमुख प्रावधान :
- महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 को तैयार किया गया है।
- इस रिपोर्ट द्वारा मराठा समुदाय के लोगों को आरक्षण देने के औचित्य को सही मानकर मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में पहचान की गई है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342A (3) के तहत यह विधेयक महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में पहचान करता है तथा इसके द्वारा संविधान के अनुच्छेद 15(4), 15(5) और 16(4) के तहत इस वर्ग के लिए आरक्षण देने का प्रावधान करता है।
- अनुच्छेद 15(4) राज्य को नागरिकों के किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग अथवा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 15(5) राज्य को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों के अतिरिक्त, पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के दौरान सीटों के आरक्षण का प्रावधान करने में सक्षम बनाता है।
- अनुच्छेद 342A (3) के अनुसार प्रत्येक राज्य अथवा केंद्रशासित प्रदेश सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (Socially and Educationally Backward Class- SEBC) की एक सूची तैयार कर उसे बनाए रख सकता है। ये सूचियाँ संबद्ध विषय की केंद्रीय सूची से भिन्न हो सकती हैं।
- अनुच्छेद 16(4) राज्य को नागरिकों के किसी भी पिछड़े वर्ग के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिये प्रावधान करने का अधिकार देता है, जिनका राज्य के तहत सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
- इस विधेयक में क्रीमीलेयर का सिद्धांत भी लागू है जो इस के माध्यम से मराठा आरक्षण को उन मराठाओं के लिए दिया गया है जो क्रीमीलेयर श्रेणी की नहीं आते हैं और जिससे इस समुदाय के भीतर हाशिए पर रहने वाले लोगों को इसके तहत शामिल किया गया है।
- महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट में भारत के सर्वोच्च न्यायालय (इंदिरा साहनी निर्णय (वर्ष 1992)) द्वारा आरक्षण की निर्धारित 50% सीमा से ऊपर मराठा समुदाय को आरक्षण को उचित ठहराते हुए “असामान्य परिस्थितियों और असाधारण स्थितियों” के आधार पर उचित ठहराते हुए प्रदान की गई है ।
- महाराष्ट्र में SC, ST, OBC, विमुक्त घुमंतू और अर्द्ध-घुमंतू समुदायों एवं अन्य जैसी विभिन्न श्रेणियों के लोगों के लिए अभी कुल 52% आरक्षण प्रदान किया गया है।
- महाराष्ट्र में मराठा समुदाय के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने पर अब इस राज्य में आरक्षण की सीमा कुल 62 प्रतिशत तक पहुँच जाएगी।
मराठा समुदाय को आरक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न आयोगों / समितियों की सिफारिशें :
नारायण राणे समिति :
- नारायण राणे के नेतृत्व वाली समिति ने वर्ष 2014 में महाराष्ट्र में होने वाले आम चुनाव से ठीक पहले मराठा समुदायों के लिए 16% आरक्षण की सिफारिश किया था, जिसे बॉम्बे हाई कोर्ट में चुनौती दिया गया और इस सिफारिश पर ही रोक लगा दिया गया।
गायकवाड़ आयोग :
- गायकवाड़ आयोग के निष्कर्षों के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2018 में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा वर्ग (Socially and Educationally Backward Class- SEBC) अधिनियम बनाया, जिसमें 16% आरक्षण दिया गया।
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे घटाकर शिक्षा में 12% और नौकरियों में 13% कर दिया।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की 50 प्रतिशत कोटा सीमा से अधिक होने के कारण इसमें अपर्याप्त अनुभवजन्य डेटा नहीं होने के कारण मई 2021 में आरक्षण की इस कोटि को पूरी तरह से रद्द करते हुए समाप्त कर दिया था ।
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी निर्णय, 1992 के मामले में यह स्पष्ट रूप से कहा था कि भारत में आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तक ही हो सकता है, किन्तु कभी – कभी किसी विशेष असामान्य और असाधारण स्थितियों में और दूर-दराज़ के क्षेत्र की आबादी को मुख्यधारा में लाने के लिए आरक्षण की तय सीमा 50 प्रतिशत से अधिक किया जा सकता है।
महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग :
- दिसंबर 2023 में सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सुनील बी शुक्रे के नेतृत्व में मराठा आरक्षण मुद्दे का पुनर्मूल्यांकन करने के लिए महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की स्थापना की गई थी।
- महाराष्ट्र राज्य में मराठों की आबादी 28% है, जिनमे से 84 प्रतिशत लोग आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक स्तर पर उन्नत नहीं हैं। अतः शुक्रे आयोग ने अपनी सिफारिशों में कहा कि महाराष्ट्र में इतनी बड़ी पिछड़े समुदाय की आबादी को अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में शामिल नहीं किया जा सकता है।
- इस आयोग ने महाराष्ट्र राज्य में मराठा समुदाय की दुर्दशा का कारण उनकी अत्यधिक गरीबी, कृषि आय में गिरावट एवं भूमि स्वामित्व विभाजन को बताया है। इस आयोग ने महाराष्ट्र राज्य में आत्महत्या करने वाले किसानों में से अकेले 94 प्रतिशत किसान मराठा समुदाय से ही होते हैं को भी अपनी सिफारिशों में बताया।
- इस आयोग ने सार्वजनिक सेवाओं में मराठा समुदायों की अपर्याप्त प्रतिनिधित्व को मराठा समुदाय के पिछड़ेपन के लिए एक ज़िम्मेदार कारक बताया।
- अतः आयोग ने मराठा समुदायों के लिए सरकारी नौकरियों में और महाराष्ट्र राज्य के अन्य विकसित क्षेत्रों में मराठा प्रतिनिधित्व को बढ़ाने के लिए अतिरिक्त आरक्षण प्रदान करने की सिफारिशें भी प्रस्तुत की।
मराठा आरक्षण विधेयक के पक्ष में तर्क :
मराठा समुदायों का सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा होना :
- शुक्रे आयोग ने मराठा समुदायों का सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा होना शुक्रे आयोग का तथ्यात्मक शोध मराठा समुदाय के समक्ष आने वाली सामाजिक-आर्थिक बाधाओं पर प्रकाश डालता है, जो उन्हें गरीबी तथा हाशिए पर रहने से ऊपर उठाने के लिये आरक्षण की आवश्यकता का समर्थन करता है।
- मराठों के बीच किसान आत्महत्याओं का उच्च प्रतिशत उनके आर्थिक संकट की गंभीरता और समुदाय के उत्थान के लिये लक्षित हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता को उजागर करता है।
सरकारी नौकरियों और सरकार में मराठा समुदायों का प्रतिनिधित्व का मामला :
- मराठों को उनके पिछड़ेपन के कारण ऐतिहासिक रूप से मुख्यधारा के अवसरों से बाहर रखा गया है। सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा में आरक्षण से विभिन्न क्षेत्रों में उनका प्रतिनिधित्व एवं भागीदारी में वृद्धि हो सकती है, जिससे समावेशी विकास में योगदान प्राप्त हो सकता है।
मराठा आरक्षण के विपक्ष में तर्क :
मराठा आरक्षण में न्यायिक जाँच और कानूनी पेचीदगियां :
- महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित मराठा आरक्षण विधेयक 2024 को अभी न्यायिक जाँच की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा जिसमें अभी भी अनिश्चितताएँ बनी हुई हैं,। क्योंकि भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा आरक्षण के संदर्भ में पूर्व में दिए गए निर्णय केआलोक में आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक करने या आरक्षण की सीमा को और अधिक विस्तारित करने के मामले में अनुभवजन्य साक्ष्य की कमी के कारण महाराष्ट्र विधानसभा द्वारा पारित मराठा आरक्षण को उच्चतम न्यायालय द्वारा अमान्य एवं रद्द किया जा सकता है।
- महाराष्ट्र राज्य में वर्तमान समय में पारित किए गए मराठा आरक्षण के पूर्व भी मराठा समुदायों को आरक्षण प्रदान किए जाने वाले प्रयासों को भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए पूर्व के निर्णय आरक्षण की सीमा का अतिक्रमण करने वाले कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा था और अंततः उच्च न्यायालयों में मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया गया था।
OBC आरक्षण प्रमाण पत्र बनाने के लिए कुनबी जाति का प्रमाण – पत्र विवाद :
- OBC आरक्षण प्रमाण – पत्र बनाने के लिए पात्र “ऋषि सोयारे” (कुनबी वंश वाले मराठा समुदायों ) को कुनबी के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव करने वाली एक मसौदा अधिसूचना ने महाराष्ट्र राज्य में एक नए विवाद को जन्म दिया था ।
- महाराष्ट्र राज्य में विपक्षी दलों ने नए आरक्षण की व्यवहार्यता और मौजूदा OBC आरक्षण पर मराठा समुदायों को दिए जाने वाले आरक्षण को लागू करने पर भी प्रश्न खड़ा करना आरंभ कर दिया है।
मराठा समुदाय में व्याप्त असंतोष का कारण :
- मराठा समुदाय में व्याप्त असंतोष का मुख्य कारण, मराठा समुदाय के भीतर कुछ कार्यकर्त्ताओं और नेताओं ने OBC श्रेणी में ही मराठा समुदाय को शामिल किए जाने की प्राथमिकता पर अलग से आरक्षण दिए जाने पर भी असंतोष व्यक्त किया है।
दीर्घकालीन समाधान के लिए एक व्यावहारिक और व्यापक दृष्टिकोण की जरूरत :
- भारत में विभिन्न जाति समूहों, समुदायों और वर्गों को दिया जाने वाला आरक्षण व्यवस्था तात्कालिक समस्याओं का समाधान तो कर सकता है, लेकिन यह मराठा आरक्षण के संदर्भ में मराठों के बीच व्याप्त पिछड़ेपन के मूल कारणों को प्रभावी ढंग से समाधान नहीं कर सकता है। किसी भी देश में किसी भी जाति, धर्म, वर्ग या समुदायों के सतत् और स्थायी विकास के लिए शिक्षा, कौशल विकास और बुनियादी ढाँचे में परिवर्तन करने वाला समग्र दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। अतः मराठा आरक्षण के संदर्भ में भी मराठा समुदायों के पिछड़ेपन के मूल कारणों की पहचान कर उसका स्थायी समाधान करने की जरूरत है। ताकि आरक्षण के माध्यम से समाज के वंचित और कमजोर तबकों को विकास की मुख्यधारा में जोड़ा जा सके।
निष्कर्ष / समाधान की राह :
- भारत के उच्चतम न्यायालय ने इंदिरा साहनी निर्णय, 1992 के मामले में आरक्षण की निर्धारित सीमा को 50 प्रतिशत से अधिक नहीं किया जा सकता है का निर्णय दिया था। अतः मराठा आरक्षण विधेयक 2024 में आरक्षण सीमा से अधिक आरक्षण प्रदान करने को कानूनी रूप से को उचित ठहराने के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार को उच्च न्यायालय और भारत के उच्चतम न्यायालय में एक व्यावहारिक एवं अनुभवजन्य डेटा प्रस्तुत करना होगा और मराठा आरक्षण विधेयक 2024 को कानूनी रूप से सही साबित करना होगा और इसके साथ – ही साथ मराठा आरक्षण विधेयक 2024 को न्यायिक जाँच का भी सामना करना होगा, ताकि महाराष्ट्र सरकार न्यायालय में मराठा आरक्षण को न्यायसंगत तरीके से दिए जानेवाला और उचित कारणों से प्रदान किए जानेवाला साबित कर सके।
- महाराष्ट्र सरकार को एक ऐसी एकीकृत नीति बनाना चाहिए जो जिससे मराठा समुदायों का समग्र विकास को सुनिश्चित करने हेतु सरकार की लक्षित कल्याण कार्यक्रमों, कल्याणकारी योजनाओं एवं कौशल विकास पहलों और बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं को आरक्षण के साथ जोड़ कर मराठा समुदायों के सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन को दूर किया जा सके।
- महाराष्ट्र सरकार को मराठा समुदायों के पिछड़ेपन के मूल कारणों की पहचान कर सतत् विकास पहल को अल्पकालिक विचारों के आधार प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिसका लक्ष्य सरकार द्वारा सभी समुदायों के लिए समावेशी विकास और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना होता है।
- महाराष्ट्र राज्य को अपने सभी नागरिकों के प्रति समानता को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से और ऐतिहासिक रूप से हुए अन्याय के कारणों को दूर करने के उद्देश्य से भी मराठा समुदायों के लिए सकारात्मक कार्रवाई उपायों के द्वारा आपसी समझ तथा सबके समर्थन को बढ़ावा देकर सामाजिक एकजुटता एवं समावेशिता को बढ़ावा देना चाहिए , ताकि मराठा समुदायों को दिए जाने वाला आरक्षण उसके सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक समृद्धि करने के उद्देश्य को सुनिश्चित कर सके।
- सार्वजनिक नीति में बदलाव की किसी भी मांग की वैधता उसके पीछे के तर्क में निहित होती है, न कि उसके पक्ष में जुटने वाले समर्थन की ताकत में निहित होती है । यही वजह है कि विभिन्न राज्यों द्वारा उन सामाजिक समूहों, जिन्हें पहले पिछड़ा नहीं माना जाता था, को आरक्षण देने की लोकप्रिय मांगों को समर्थन देने के बाद भी भारत के उच्चतम न्यायपालिका द्वारा उस राज्य के द्वारा दिए गए फैसलों को या तो रद्द कर दिया जाता है या फिर उस राज्य द्वारा दिए गए आरक्षण के फैसलों को उलट दिया जाता है।
- भारत में शिक्षा और आय आधारित महत्वपूर्ण अंतर – सामुदायिक भिन्नताओं की वजह से कई प्रकार के स्तरीकरण मौजूद हैं।
- भारत में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समूहों, वर्गों या जातियों की मांगों को पूरा करने में जुडी अनिश्चितताएं दशकीय जनगणना के विलंबित होने के साथ-साथ एक व्यापक सामाजिक – आर्थिक जनगणना कराने की जरुरत को बताती है।
- इस प्रकार की जनगणना भारत के विभिन्न राज्यों में व्याप्त पिछड़ेपन और सामाजिक स्तर पर होने वाली भेदभाव की असली कारणों को बताती है जिससे सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को आंकड़ों के आधार पर सरकारों द्वारा सकारात्मक कार्रवाई के माध्यम से सुनिश्चित किया जा सके, तभी आरक्षण प्रदान करने के पीछे निहित उद्देश्यों को प्राप्त किया जा सके और भारतीय समाज में एक सकारात्मक और समावेशी विकास सुनिश्चित किया जा सके।
Download yojna daily current affairs hindi med 29th feb 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- महाराष्ट्र राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए महाराष्ट्र राज्य आरक्षण विधेयक, 2024 को तैयार किया गया था।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 342A (3) के तहत यह विधेयक महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में पहचान करता है।
- इस विधेयक के द्वारा सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में मराठा समुदायों को 15 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रस्ताव पारित किया गया है।
- अनुच्छेद 15(4) राज्य को नागरिकों के किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग अथवा अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति की उन्नति के लिए विशेष प्रावधान करने का अधिकार देता है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
(A) केवल 1 और 4
(B) केवल 2 , 3 और 4
(C) केवल 2 और 3
(D) केवल 1, 2 और 4
उत्तर – (D)
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. मराठा आरक्षण विधेयक 2024 के प्रमुख प्रावधानों को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में आरक्षण वंचित और शोषित समुदायों को मुख्यधारा में लाने का प्रयास है अथवा यह नागरिकों के अवसर की समानता का हनन करता है ? तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।

Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
No Comments