21 Apr सिविल सर्विस दिवस – 21 अप्रैल
सिविल सर्विस दिवस – 21 अप्रैल 2023
भारत में सिविल सेवा दिवस आज 21 अप्रैल को पूरे भारत में मनाया जा रहा है, भारत की आजादी के बाद सरदार बल्लभ भाई पटेल ने सभी भारतीय सिविल सेवकों को सम्मानित करते हुए उन्हें भारत का स्टील फ्रेम कहा। इसी दिन से इस सेवा को भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) कहा जाता है। यह दिवस सिविल सेवकों द्वारा स्वयं को देश को समर्पित करने के लिए मनाया जाता है।
भारत में सिविल सेवा का इतिहास
भारत में सिविल सेवा शब्द का प्रारंभ ब्रिटिश काल से प्रारंभ हुआ। भारत में सिविल सेवा का जन्मदाता कार्नवालिस को कहा जाता है, उसने ही भारत में प्रशासन में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कई कदम उठाए थे। कार्नवालिस के बाद वैलेजली ने कलकत्ता में नए सिविल सेवकों को प्रशिक्षण देने के लिए फोर्ट विलियम कॉलेज की स्थापना की थी। प्रारंभिक ब्रिटिश राज में सिविल सेवकों को प्रशिक्षण, इंग्लैण्ड के प्रशासनिक केंद्र हैलीबरी में दिया जाता था। जिसमें भारतीयों के लिए स्थान न था। भारतीयों के लिए योग्यता आधारित सिविल सेवा की अवधारणा 1854 में स्थापित की गई थी।
1853 का चार्टर एक्ट –
- इस अधिनियम के अनुसार देश के विधायी व प्रशासनिक कार्यों को अलग अलग कर दिया।
- इस अधिनियम में सिविल सेवा के लिए प्रतियोगिता परीक्षा का प्रावधान रखा गया था। और
- 1854 में मैकाले समिति का गठन किया गया। जिसके तहत इस परीक्षा में भारतीय भी भाग ले सकते थे।
मैकाले समिति और सिविल सेवा परीक्षा की स्थिति
- मैकाले समिति की रिपोर्ट के आधार पर लंदन में सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई।
- 1855 से परीक्षाओं का आयोजन किया जाने लगा,
- परीक्षा का उद्देश्य योग्यता के आधार पर प्रशासनिक भर्ती करना था।
- प्रारंभ में भारतीयों के लिए सिविल सेवा परीक्षा केवल लंदन में आयोजित की जाती थी।
- आयु सीमा- परीक्षा के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष व अधिकतम आयु 23 वर्ष निर्धारित की गई थी।
- पाठ्यक्रम – पाठ्यक्रम में यूरोपीय क्लासिकी को प्रमुखता दी गई थी।
सिविल सेवा अधिनियम 1861-
- इस अधिनियम को भारतीय परिषद अधिनियम भी कहा जाता था।
- इसके तहत भारतीयों को भी प्रशासन में शामिल करने के प्रयास किए गए।
- इस अधिनियम के तहत प्रत्येक वर्ष यह परीक्षा लंदन में आयोजित की जाएगी.
- इसके तहत पाठ्यक्रम में अंग्रेजी, लैटिन भाषा का प्रयोग किया गया।
- भारत में सबसे पहले इस परीक्षा को सत्येंद्र नाथ टैगोर ने उत्तीर्ण किया।
सिविल सेवा परीक्षा में भारतीयों की तत्कालीन चुनौतियाँ-
- आयुसीमा व परीक्षा केंद्र – चार्टर एक्ट में परिवर्तन के साथ आयुसीमा में परिवर्तन होना प्रारंभ हुआ, सर्वप्रथम परीक्षा देने की अधिकतम आयु 23 वर्ष निर्धारित थी किंतु कुछ वर्ष के बाद अधिकतम आयु को 19 वर्ष कर दिया। भारतीयों का मात्र 19 वर्ष की आयु में परीक्षा देने के लिए लंदन तक जाना बहुत कठिन था।
- परीक्षा का पाठ्यक्रम यूरोपीय साहित्य व संस्कृति पर आधारित था।
- भारतीयों के लिए यह परीक्षा आधिकारिक तौर पर स्वीकृत थी किंतु व्यावहारिक रूप से परीक्षा को भारतीयों के लिए प्रतिबंधित किया था।
- इन प्रतिबंधों के बाद भी सत्येंद्र नाथ टैगोर
व्यावहारिक रूप से भेदभाव रहित परीक्षा के लिए प्रयास-
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सिफारिश – कांग्रेस के द्वारा भारतीय सिविल सेवा परीक्षा की बाधाओं को दूर करने के लिए अंग्रेज सत्ता से मांग की-
- सिविल सेवा परीक्षा के लिए आयु सीमा को बढ़ाया जाए।
- सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन भारत व इंग्लैण्ड दोनों स्थानों पर करवाया जाए।
एटकिंसन समिति 1886- लॉर्ड डफरिन ने एटकिंसन समिति का गठन किया, जिसके तहत निम्नलिखित सिफारिश की गई-
- सिविल सेवा परीक्षा के आवेदन की आयु सीमा को बढञाकर 23 वर्ष किया जाए।
- परीक्षा का आयोजन भारत में भी किया जाए।
- सिविल सेवाओं का वर्गीकरण किया जाए- स्थानीय़ सेवा , प्रांतीय सिविल सेवा, अधीनस्थ सिविल सेवा।
मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार –
- इसके तहत परीक्षा को भारत व इंग्लैण्ड दोनों ही स्थानों पर कराए जाने की सिफारिश की गई।
- प्रशासनिक सेवा में एक तिहाई पद भारतीयों के लिए आरक्षित करने की सिफारिश की गई।
- सिफारिशों में भारतीयों के लिए प्रशासनिक पदों को डेढ़ गुना बढ़ाने का प्रावधान था।
भारतीय सिविल सेवा परीक्षा
- मोंटेग्यू चेम्सफोर्ड सिफारिशों के बाद भारत में इस परीक्षा का सर्वप्रथम आयोजन 1922 में इलाहाबाद में किया गया।
- भारत में इस परीक्षा के प्रबंधन के लिए फेडरेल लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई जिसके बाद यह परीक्षा दिल्ली में भी आयोजित की गई।
- स्वतंत्रता के बाद फेडरेल लोक सेवा आयोग को संविधान के अनुच्छेद 378 के खण्ड 1 के तहत संघ लोक सेवा आयोग में परिवर्तित कर दिया गया।
स्रोत
https://newsonair.com/hindi/2021/06/05/steel-frame-of-india-latest-news-and-updates/
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