सेबी का परिरक्षण / रक्षा / बचाव

सेबी का परिरक्षण / रक्षा / बचाव

( यह लेख ‘ द इकॉनोमी टाइम्स ऑफ़ इंडिया ’ , ‘ द हिन्दूऔर ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, गरीबी और विकास – संबंधी मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वृद्धि एवं विकास, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत सेबी का परिरक्षण / रक्षा / बचाव से संबंधित है।)

सामान्य अध्ययन : भारतीय अर्थव्यवस्था का विकास, गरीबी और विकास – संबंधी मुद्दे, सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, वृद्धि एवं विकास, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड।

चर्चा में क्यों ?

उच्चत्तम न्यायालय के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि – “ भारत के उच्चतम न्यायालय को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियामक ढांचे में प्रवेश करने की इस अदालत की शक्ति सीमित है। तहः भारत के सुप्रीम कोर्ट को सेबी द्वारा किए जा रहे जाँच – प्रक्रिया पर अविश्वास जाहिर करते हुए इस मामले को सेबी की द्वारा गठित जाँच एजेंसी से लेकर एसआईटी को इस जांच – प्रक्रिया को ट्रांसफर करने का कोई आधार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट को सेबी की नीतिगत कार्रवाइयों की समीक्षा न करते हुए इस पर और अधिक कार्य करने के लिए दबाव डालना चाहिए था। न्यायालय निश्चित रूप से पिछले उदाहरणों से अवगत है जहां उसने पाया है कि सेबी प्रवर्तन में तत्परता नहीं दिखा रहा है, इस मामले में नियुक्त विशेषज्ञों के पैनल ने भी इस पहलू को चिह्नित किया है। आख़िरकार, ‘न्याय न केवल होना चाहिए, बल्कि होता हुआ दिखना भी चाहिए।” 

क्या था मामला ? 

हाल ही में अदाणी समूह के शेयरों को लेकर हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट सामने आई थी। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के मूल्य में हेरफेर करने का आरोप लगाया गया था, जिसके बाद अदाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों के मूल्य में भारी गिरावट भी दर्ज की गई थी। अडाणी-हिंडनबर्ग मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 3 जनवरी 2024 को अपना निर्णय सुनाते हुए सेबी को बचे हुए 2 मामलों की जांच के लिए 3 महीने का और समय दिया है। वहीं मामले की जांच को SEBI से लेकर SIT को देने से भी इनकार कर दिया है।

सेबी द्वारा गठित जाँच समिति ने जांच में अब तक क्या – क्या पाया ?

2 मार्च 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी गठित की थी और सेबी को भी जांच के लिए 2 महीने का समय दिया गया था। सेबी को 2 मई 2023 तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी थी, लेकिन सेबी ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए 6 महीने की मोहलत मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इसे अगस्त 2023 तक बढ़ा दिया था, अर्थात सेबी को अपनी जांच – रिपोर्ट सौंपने के लिए कुल 5 महीने का समय दिया गया था। 14 अगस्त 2023 को सेबी ने अपनी जांच पूरी करने और रिपोर्ट सौंपने के लिए सुप्रीम कोर्ट से 15 दिन का और अतिरिक्त समय मांगा और 25 अगस्त 2023 को सेबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी जाँच – रिपोर्ट की स्टेटस रिपोर्ट फाइल की, जिसमें बताया गया कि 22 मामलों की जांच पूरी हो चुकी हैं और 2 मामलों की जाँच अभी भी अधूरी हैं। 24 नवंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए यह माना था कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को भारत में अभी सही मानने की कोई भी जरूरत नहीं है।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) : 

  • भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के प्रावधानों के अनुसार 12 अप्रैल, 1992 को हुई थी ।

सेबी की उद्देशिका : 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India ) की उद्देशिका में सेबी के मूल कार्यों का उल्लेख इस प्रकार है –

  • प्रतिभूतियों (सिक्यूरिटीज़) में निवेश करने वाले निवेशकों के हितों का संरक्षण करना।
  • प्रतिभूति बाजार (सिक्यूरिटीज़ मार्केट) के विकास का उन्नयन करना तथा उसे विनियमित करना।
  • प्रतिभूति बाजार (सिक्यूरिटीज़ मार्केट) से संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों का प्रावधान करना।

क्या है सेबी ?

  • सेबी (SEBI) का पूरा नाम भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( Securities and Exchange Board of India ) है। यह एक वैधानिक निकाय / संस्था (एक गैर-संवैधानिक निकाय जिसे संसद द्वारा स्थापित किया गया) है, जो भारतीय पूँजी बाजार के कामकाज को नियमित करती है और इसके साथ ही यह शेयर बाजार में शेयर के लेन- देन को तथा म्यूचुअल फंड से संबंधित मुद्दे को भी नियंत्रण करती है| इसका प्रमुख कार्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और समय – समय  पर विभिन्न नियमों और विनियमों को लागू करके भारतीय पूँजी बाजारों को विकसित करना है। भारत का शेयर बाजार इसी संस्था के दिशा – निर्देशों पर चलता है|
  • सेबी एक स्वायत्त संगठन है जो केंद्रीय वित्त मंत्रालय के प्रशासन के तहत काम करता है।

सेबी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि : 

  • भारत में सेबी की स्थापना से पूर्व भारतीय पूँजी बाजार कंट्रोलर ऑफ़ कैपिटल इश्यूज की एक नियामक प्राधिकरण द्वारा संचालित होती थी। जिसको भारत में शेयर बाजार से संबंधित सभी मुद्दे को सुलझाने एवं निपटान करने के लिए पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम (Capital Issues (Control) Act,) 1947 के तहत अधिकार प्रदान किया गया था। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India ) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 में हुई और भारत सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से सेबी – अधिनियम 1992 के तहत इसको 30 जनवरी 1992 ई.  को वैधानिक मान्यता भी प्रदान कर दिया। सेबी का मुख्यालय मुंबई में स्थित है और ई दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, चेन्नई, कोच्चि, अहमदाबाद, हैदराबाद, शिमला, जयपुर और लखनऊ में इसके कुछ क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थित है।

सेबी का कार्य : 

  • भारत में सेबी (SEBI) एक वैधानिक संस्था होने के कारण इसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने की शक्तियां प्राप्त है । सेबी 1992 अधिनियम के नियामक निकाय में वर्णित / निहित ऐसी शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी का मुख्य कार्य ही इसे भारत में प्रतिभूतियों को जारी करने वाला प्रमुख प्रतिभूति – जारीकर्ता, निवेशकों और व्यापारियों के हितों का रक्षक और एक वित्तीय – मध्यस्थ करने वाली संस्था के रूप में इसे एक महत्वपूर्ण निकाय/ संस्था के रूप में प्रतिस्थापित करता है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड कानून ( Act )  के अनुच्छेद 11 में सेबी के कार्यों को मुख्य रूप से तीन आधार पर बाँटा गया है। जो निम्नलिखित प्रकार के हैं – 
  • सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function)
  • विनियामक कार्य (Regulatory Functions)
  • विकासात्मक कार्य( Development Functions)

सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function)

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के सुरक्षात्मक कार्य का प्रमुख उद्देश्य मुख्य रूप से वित्तीय बाजारों में व्यवसाय के कामकाज पर नज़र रखना और निगरानी करना है। जिसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य शामिल है –  

  1. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भारत में शेयर मूल्यों के हेराफरी की जाँच करता है।
  2. यह भारत में भारत के बाहर से होने वाले शेयर अंदरूनी – व्यापार (Insider trading) को रोकता और अधिनियमित करता है।
  3. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अपने सुरक्षात्मक कार्य के अंतर्गत यह भारत में निष्पक्ष शेयर के लेनदेन को बढ़ावा देता है।
  4. यह भारत में शेयर- बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को जागरूकता प्रदान कर शेयर बाजार के जोखिमों के प्रति जागरूक बनाता है।
  5. अपने सुरक्षात्मक कार्य के अंतर्गत भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भारत में शेयर बाजार में होने वाली धोखाधड़ी और अनुचित तरीके से होने वाली प्रतिभूति के लेनदेन को रोकता और नियंत्रित करता है।
  1. विनियामक कार्य ( Regulatory Functions ) : 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अपने विनियामक कार्य के अंतर्गत शेयर बाजार में निवेश करने वाले सेबी निवेशकों तथा अन्य वित्तीय प्रतिभागियों के हितों की रक्षा करता है। जिसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्य शामिल है – 

  1. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भारत में वित्तीय मध्यस्थों और कॉर्पोरेट कंपनियों या कॉर्पोरेट घरानों को उचित तरीके से काम करने का दिशा – निर्देश देती है और वित्तीय लेनदेन के लिए आचार – संहिता का निर्माण भी करती है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के एक प्रमुख कार्य में यह भारत में प्रतिभूति के लेनदेन की जांच करना और प्रतिभूतियों की लेखापरीक्षा (ऑडिट) करना भी शामिल है।
  2. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड भारत में वित्तीय मध्यस्थों और कॉर्पोरेट कंपनियों या कॉर्पोरेट घरानों और शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों को एक मंच प्रदान या प्लेटफार्म की व्यवस्था प्रदान करता है ताकि वहां पर पोर्टफोलियो मैनेजर, बैंकर, स्टॉक – ब्रोकर, निवेश – सलाहकार, मर्चेंट बैंकर, रजिस्ट्रार, शेयर – ट्रांसफर – एजेंट और अन्य लोग एक साथ लेनदेन या निवेश या विनियमन कर सके।
  3. इसका अपने विनियामक कार्य के अंतर्गत शेयर के एक निश्चित समय सीमा में पर्याप्त अधिग्रहण को विनियमित करना और कंपनियों का अधिग्रहण करना भी शामिल है।
  1. विकासात्मक कार्य ( Development Functions ) : 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का प्रमुख कार्यो में से भारत में विकासात्मक कार्य करना भी शामिल  है । इस  विकासात्मक कार्य का कुछ मुख्य बिंदु निम्नलिखित है –

  1. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का एक प्रमुख कार्य सभी के लिए उपयोगी जानकारी प्रकाशित करवाना तथा शेयर बाजार से जुड़े ब्रोकर्स को प्रशिक्षण देना और उन ब्रोकर्स को शेयर – बाजार के जोखिमों के प्रति जागरूक करना भी है ।
  2. इसके विकासात्मक कार्य में से निवेशक को निवेश के प्रति और निवेश के लाभ और हानियों के बारे में शिक्षित करना, प्रशिक्षित करना और जागरूक बनाना भी शामिल है।
  3. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य शेयर बाजार के प्रतिभागियों और अन्य सभी जो शेयर बाजार से जुड़े हुए हैं , उन हितधारकोंके लिए नवीनतम और उपयोगी जानकारी प्रकाशित करवाकर बाजार के अनुसंधान का संचालन करना और प्रमुख हितधारकों को जागरूक करना है ।
  4. इसके विकासात्मक कार्यों में उचित माध्यम से किए गए लेनदेन को बढ़ावा देना भी शामिल है ।
  5. इसका एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य शेयर – बाजार से जुड़े हुए हितधारकों और कंपनियों और स्व-विनियमन (सेल्फ रेगुलेटरी) संगठनों को प्रोत्साहित करना भी है।
  6. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड  का एक विकासात्मक कार्य यह भी है कि यह ब्रोकर के माध्यम से या सीधे म्यूचुअल फंड को खरीदने और बेचने को प्रोत्साहित करे।
  7. इसके विकासात्मक कार्यों में से एक कार्य शेयर – बाजार में निष्पक्ष लेनदेन को बढ़ावा देना भी है ।
  8. शेयर – बाजार जगत में निवेशकों के साथ होनेवाली धोखाधड़ी को स्वतः संज्ञान में लेना और उस पर उचित कार्यवाही करने का कार्य सेबी का ही है।

सेबी का स्वरुप  : 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ( सेबी ) अपने संरचनात्मक स्वरुप में एक कॉर्पोरेट ढांचे के स्वरुप में है जिसमें विभिन्न विभाग शामिल हैं और जिनका प्रबंधन उस विभाग के विभाग प्रमुखों द्वारा किया जाता है। यह एक ऐसी संस्था है जिसका प्रबंधन उसके सदस्यों द्वारा ही किया जाता है। सेबी में कानूनी मामले, निगम वित्त, ऋण और संकर प्रतिभूतियां, प्रवर्तन, आर्थिक और नीति – विश्लेषण, कमोडिटी डेरिवेटिव, बाजार विनियमन और कई अन्य विभाग मिलाकर कुल लगभग 20 विभाग शामिल हैं। सेबी की संरचना एक पदानुक्रमित स्वरुप में है। जिनमें ये प्रमुख सदस्य शामिल होते हैं:

  • सेबी बोर्ड में एक अध्यक्ष तथा कई अन्य पूर्णकालिक एवं अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  • सेबी समय-समय पर तत्कालीन महत्त्वपूर्ण मुद्दों की जाँच हेतु विभिन्न समितियाँ भी नियुक्त करता है।
  • सेबी में मुख्य रूप से एक अध्यक्ष होता है जिसे भारत की केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है।
  • भारत की केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा सेबी में दो सदस्यों की नियुक्ति की जाती है।
  • भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा भी सेबी में एक सदस्य की नियुक्ति की जाती है।
  • भारत की केंद्र सरकार द्वारा भी सेबी में पांच सदस्यों का मनोनयन किया जाता है।

सेबी का क्षेत्राधिकार और प्रदत शक्तियां : 

भारत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) का एक वैधानिक संस्था होने के कारण इसे अनेक महत्वपूर्ण कार्य करने की शक्तियां प्राप्त है और इसका क्षेत्राधिकार भी विस्तृत है । सेबी 1992 अधिनियम के नियामक निकाय में वर्णित / निहित ऐसी शक्तियों की एक सूची दी गई है। सेबी का मुख्य कार्य ही इसे भारत में प्रतिभूतियों को जारी करने वाला प्रमुख प्रतिभूति – जारीकर्ता, निवेशकों और व्यापारियों के हितों का रक्षक और एक वित्तीय – मध्यस्थ करने वाली संस्था के रूप में इसे एक महत्वपूर्ण निकाय/ संस्था के रूप में प्रतिस्थापित करता है। सेबी को अधिनियम 1992 के तहत अनेक शक्तियां प्राप्त है जिससे सेबी भारतीय वित्तीय बाजार को सुचारु और सशक्त रूप से संचालित कर सके। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को मुख्य रूप से प्रतिभूति बाजार में होने वाली किसी भी तरह की धोखाधड़ी को रोकने और वित्तीय बाजार में अनैतिक व्यवहार को निगमित कर रोकने का अधिकार प्राप्त है। सेबी के पास वही शक्तियाँ हैं, जो एक दीवानी न्यायालय में निहित होती हैं। इसके अलावा यदि कोई व्यक्ति ‘प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण’ (SAT) के निर्णय या आदेश से सहमत नहीं है तो वह सर्वोच्च न्यायालय में अपील कर सकता है। अतः भारत में  भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को निम्नलिखित शक्तियां प्राप्त है ,जिसका वह समय समय पर उपयोग करता है – 

  • अर्ध – न्यायिक (Quasi – Judicial) – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को अर्ध – न्यायिक शक्तियों के अंतर्गत प्रतिभूति बाजार में यदि कंपनी , ब्रोकर या निवेशक कोई धोखाधड़ी अथवा  अनैतिक व्यवहार करता है तो सेबी के पास निर्णय लेने की शक्ति है। यह शक्तियां प्रतिभूति – बाजार में पारदर्शिता, जवाबदेही और निष्पक्षता बनाए रखने की सुविधा देती है।
  • अर्ध – कार्यकारी ( Quasi – Executive) – अगर कोई व्यक्ति, कॉर्पोरेट या संस्था सेबी के नियमों, दिशा निर्देश और निर्णयों को उल्लंघन करता है तो सेबी अपने अर्ध – कार्यकारी शक्तियों का उपयोग कर उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार रखता है। यदि इसमें किसी भी प्रकार से किसी भी नियम या नियमों का उल्लंघन पाया जाता है, तो सेबी उस कंपनी या  प्रतिभूति – बाजार के ब्रोक्ररों खातों सहित और अन्य दस्तावेज़ों का निरीक्षण करने के लिए अधिकृत है और उसे शेयर बाजार में प्रतिस्थापित करने हेतु दिए जाने वाली स्थिति में अस्वीकृति प्रदान करने की शक्तियां भी सेबी को पास होती है 
  • सेबी के अध्यक्ष के पास “खोज और जब्ती संचालन” (Search and Seizure operations) का आदेश देने का भी अधिकार प्राप्त है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) किसी भी प्रतिभूति लेन – देन के संबंध में किसी भी व्यक्ति, कॉर्पोरेट, संस्थाओं से टेलीफ़ोन कॉल – डेटा रिकॉर्ड या अनुबंध दस्तावेज जैसी कोई भी जानकारी भी मांग सकता है।
  • अर्ध विधान या अर्ध – वैधानिक  (Quasi – Legislative) – भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में शेयर बाजार के निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए नियमों और विनियमों को लागू करने का अधिकार रखता है। इसके कुछ नियमों में इनसाइडर ट्रेडिंग विनियम, लिस्टिंग दायित्व और प्रकटीकरण आवश्यकताएं शामिल हैं। यह भारत में भारत के बाहर से होने वाले शेयर अंदरूनी – व्यापार (Insider trading) को रोकता और अधिनियमित करता है। 

निष्कर्ष: / समस्या का समाधान : 

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) मुख्य का उद्देश्य भारतीय वित्तीय एवं शेयर – बाजार को निष्पक्ष और सुरक्षित रखना है । सेबी की स्थापना के बाद से ही भारत में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए कानूनों, नियमो और अपने दिशा – निर्देशों  के माध्यम भारत के शेयर बाजार में बहुत से सुधार कार्य किए है। सेबी समय -समय पर शेयर – बाजार और निवेशकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर नए – नए नियमो का समावेश करता रहता है। यह शेयर – बाजार में निरंतर सुधार एवं पारदर्शिता लाने हेतु कार्य करता रहता हैं ताकि भारतीय वित्तीय बाजार में निवेशकों और शेयर बाजार से जुड़े सभी हितधारकों के प्रति सुरक्षित और सशक्त रह सके। वर्तमान समय में सेबी ने शेयर-  बाजार को पूरी तरह से “ कैशलेस लेनदेन या आहरण से मुक्त कर” अब इसे “इलेक्ट्रॉनिक लेनदेन में परिवर्तित” कर दिया है। जिससे अब कोई भी व्यक्ति घर बैठे इंटरनेट के माध्यम से बिना किसी ब्रोकर की सहायता के बजाय  स्वयं से ही शेयर – बाजार में अपना निवेश कर सकता हैं। इसके साथ ही भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) शेयर – बाजार की नियामक प्रणाली को मजबूत करते हुए भारतीय प्रतिभूति – बाजार में मजबूती प्रदान करता है, जो अब शेयर बाजार के ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की ओर और अधिक निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। यह भारत में भारत के बाहर से होने वाले शेयर अंदरूनी – व्यापार (Insider trading) को रोकता और अधिनियमित करता है। अंततः ,भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) भारत में एक शक्तिशाली निकाय है जो प्रतिभूर्ति बाजार और शेयर बाजार में निवेश करने वाले निवेशकों के साथ होने वाली धोखाधड़ी के जोखिमों को कम करता है

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए

  1. यह एक वैधानिक निकाय / संस्था (एक गैर-संवैधानिक निकाय जिसे संसद द्वारा स्थापित किया गया) है, जो भारतीय पूँजी बाजार के कामकाज को निगमित और नियमित करती है
  2. सेबी का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है
  3. सेबी के अध्यक्ष के पास “ खोज और जब्ती संचालन ’ का आदेश देने का भी अधिकार प्राप्त है। 
  4. यह भारत में भारत के बाहर से होने वाले शेयर अंदरूनी – व्यापार (Insider trading) को रोकता और अधिनियमित करता है।

निम्नलिखित  कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ? 

  (A). केवल 1 , 2 और 3 

(B). केवल 1 , 3 और 4 

(C). इनमें से कोई नहीं।

(D). इनमें से सभी ।  

उत्तर –  (B). 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : 

Q.1. बदलते वित्तीय बाजार के स्वरुप के आलोक में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा भारत में अंतर्राष्ट्रीय मानकों और सिद्धांतों के अनुसार पूँजी बाजार के लिए एक मजबूत नियामक ढांचा की आवश्यकता और इसके महत्व की विस्तृत चर्चा कीजिए

 

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