स्वास्थ्य का अधिकार 

स्वास्थ्य का अधिकार 

स्वास्थ्य का अधिकार 

संदर्भ- हाल ही में राजस्थान में स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक पारित हुआ है इसके बाद राजस्थान, भारत का पहला स्वास्थ्य विधेयक पारित करने वाला राज्य बन गया है।

स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक- 

  • सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में परामर्श, दवाओं, निदान, आपातकालीन परिवहन, प्रक्रिया और आपातकालीन देखभाल सहित मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाएंगी और नियमों में निर्दिष्ट शर्तों के अधीन निजी सुविधाओं का चयन किया जाएगा, 
  • सभी नागरिक आपातकालीन स्थिति में बिना किसी शुल्क या शुल्क के पूर्व भुगतान के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र में स्वास्थ्य सेवा पाने का अधिकारी होगा।
  • मेडिको लीगल प्रकृति के मामले में अस्पताल पुलिस की मंजूरी प्राप्त करने के आधार पर इलाज में देरी नहीं कर सकता है।
  • इलाज के बाद या रोगी के स्थानांतरण के बाद यदि चिकित्सा शुल्क प्रदान न किया गया हो तो राज्य सरकार उस शुल्क हेतु जिम्मेदार होगी।

विधेयक के वैधानिकता

  • विन्सेट पनिकुर्लांगरा बनाम भारत सरकार केस 1987 में पाया गया कि मानव स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भारत सरकार की है।
  • अनुच्छेद 47, भारत के नागरिकों के पोषाहार स्तर व जीवन स्तर को ऊँचा करने और लोक स्वास्थ्य में सुधार करने के राज्य के कर्तव्य पर आधारित है यह विधेयक इसी उद्देश्य की पूर्ति में सहायक है।
  • सीईएससी बनाम भारत सरकार केस के अनुसार स्वास्थ्य का अधिकार अनुच्छेद 21 व नीति निदेशक तत्वों में निहित माना जा सकता है।

स्वास्थ्य का अधिकार के पाक्षिक तर्क

  • चिकित्सा शुल्क न जुटा पाने के कारण चिकित्सा सेवा से वंचित रह जाने वाले आर्थइक रूप से कमजोर रोगियों को चिकित्सा सेवा प्राप्त हो सकेगी।
  • आपातकालीन स्थिति में बिना किसी औपचारिक दिशानिर्देशों जैसे फीस या मेडिको लीगल केस में बिना किसी कानूनी सहमति के भी चिकित्सा सेवा प्राप्त किया जा सकेगा। 
  • स्वास्थ्य के अधिकार के द्वारा जीवन के अधिकार को सुरक्षित किया जा सकेगा।

स्वास्थ्य के अधिकार संबंधी विपक्षी तर्क

  • चिकित्सकों के अनुसार आपातकाल की स्थिति में चिकित्सकों को इलाज के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए।
  • चिकित्सकों के अनुसार इस कानून से उनके कामकाज में सरकार का दखल बढ़ेगा।
  • इसके साथ ही चिकित्सकों की सुरक्षा व सम्मान में कमी आ सकती है।
  • मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पतालों की कमी होने पर विशेषज्ञ के न होने पर इलाज होना संभव नहीं हो पाएगा।
  • शिकायत निवारण तंत्र की कमी होने से चिकित्सकों के कार्य में व्यवधान आ सकता है।

आगे की राह

  • सरकार को चिकित्सकों का भरोसा हासिल करना चाहिए।
  • चिकित्सकों को मानवता के लिए कार्य करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
  • चिकित्सकों को सरतकार के साथ मिलकर कार्य करना चाहिए।
  • अधिक से अधिक मल्टीस्पेशलिस्ट अस्पतालों की स्थापना करना।
  • शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जा सकती है। 

स्रोत

Yojna IAS daily current affairs hindi med 6th April 2023

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