08 Mar हंसा-एनजी: स्वदेशी फ्लाइंग ट्रेनर
- हाल ही में भारत के पहले स्वदेशी ‘फ्लाइंग ट्रेनर’ हंसा-एनजी ने 19 फरवरी से 5 मार्च, 2022 तक पुडुचेरी में समुद्र स्तर का परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया है।
- इसे सीएसआईआर-राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (सीएसआईआर-एनएएल) द्वारा विकसित किया गया है।
- राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल), वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) का एक घटक है, जिसकी स्थापना वर्ष 1959 में हुई थी, यह देश के नागरिक क्षेत्र में एकमात्र सरकारी एयरोस्पेस अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला है।
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) भारत में सबसे बड़ा अनुसंधान और विकास (R&D) संगठन है।
हंसा-एनजी की विशेषताएं
- ‘हंसा-एनजी’ सबसे उन्नत उड़ान प्रशिक्षकों में से एक है।
- ‘हंसा-एनजी’ ‘हंसा’ का उन्नत संस्करण है, जिसने वर्ष 1993 में अपनी पहली उड़ान भरी थी और इसे वर्ष 2000 में प्रमाणित किया गया था।
- केंद्र ने 2018 में HANSA-NG और ग्लास कॉकपिट के साथ NAL रेट्रो-संशोधित HANSA-3 विमान को मंजूरी दी और इसे नागरिक उड्डयन महानिदेशालय द्वारा प्रमाणित किया गया और एयरो-इंडिया 2019 में विमान का परीक्षण करेगा।
- यह रोटैक्स डिजिटल कंट्रोल इंजन द्वारा संचालित है जिसे भारत में फ्लाइंग क्लबों द्वारा ट्रेनर एयरक्राफ्ट की आवश्यकता को पूरा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- कम लागत और कम ईंधन खपत के कारण यह वाणिज्यिक पायलट लाइसेंसिंग (सीपीएल) के लिए एक आदर्श विमान है।
राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशालाएं (NAL)
- एनएएल की स्थापना 1959 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा नई दिल्ली में की गई थी। यह भारत की पहली और सबसे बड़ी एयरोस्पेस रिसर्च फर्म है।
- एनएएल की मुख्य जिम्मेदारी भारत में नागरिक विमान विकसित करना है। यह हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ मिलकर काम करता है।
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