‘हर घर, नल से जल’ योजना

‘हर घर, नल से जल’ योजना

 

  • ‘हर घर, नल से जल’ योजना के तहत वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में 8 करोड़ परिवारों को कवर करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

हर घर, नल से जलयोजना:

  • योजना का शुभारंभ: वर्ष 2019 में।
  • नोडल एजेंसी: जल शक्ति मंत्रालय
  • उद्देश्य: 2024 तक हर ग्रामीण परिवार को पाइप से पीने का पानी उपलब्ध कराना।
  • यह सरकार ‘जल जीवन मिशन’ के प्रमुख कार्यक्रम का एक घटक है।

कार्यान्वयन:

  • योजना एक अद्वितीय मॉडल पर आधारित है। इसमें ग्रामीणों को शामिल करते हुए ‘जल समितियां’ बनाई जाती हैं, और ये समितियां तय करती हैं कि गांव वाले अपने द्वारा उपभोग किए जाने वाले पानी के लिए क्या भुगतान करेंगे।
  • जल समितियों द्वारा निर्धारित शुल्क गांव के सभी निवासियों के लिए एक समान नहीं होगा। जिन ग्रामीणों के घर बड़े होंगे, उन्हें अधिक भुगतान करना होगा, जबकि गरीब परिवार या बिना कमाने वाले सदस्य वाले परिवारों को इस शुल्क से छूट दी जाएगी।

मांग:

  • 2018 में जारी नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 600 मिलियन भारतीयों को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ता है, और सुरक्षित पानी तक अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग दो लाख लोगों की मौत हो जाती है।
  • 2030 तक, देश की पानी की मांग उपलब्ध आपूर्ति को दोगुना करने का अनुमान है, जिसका अर्थ है कि लाखों लोगों को पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 6% की कमी आएगी।
  • अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि 84% ग्रामीण परिवारों के पास पाइप से पानी नहीं है और देश का 70% से अधिक पानी दूषित है।

जल जीवन मिशन‘:

  • ‘जल जीवन मिशन’ के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को कार्यात्मक हाउस टैप कनेक्शन (FHTC) के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रति दिन 55 लीटर पानी की आपूर्ति करने की परिकल्पना की गई है।
  • यह अभियान जल शक्ति मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • इसे 2019 में लॉन्च किया गया था।

कार्यान्वयन:

  • ‘जल जीवन मिशन’ पानी के लिए एक सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है और इसमें मिशन के प्रमुख घटक के रूप में व्यापक जानकारी, शिक्षा और संवाद शामिल हैं।
  • इस मिशन का मकसद पानी के लिए एक जन आंदोलन खड़ा करना है, जिसके जरिए यह सबकी प्राथमिकता बने.
  • इस मिशन के लिए केंद्र और राज्यों द्वारा हिमालय और उत्तर पूर्वी राज्यों के लिए 90:10; अन्य राज्यों के लिए 50:50 के अनुपात में;  और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

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