हुंडी

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संदर्भ- भारते के सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम पर विदेशी अंशदान विनिमय अधिनियम के तहत 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। यहां से नकदी विदेश मुद्रा की राशि हुंडी में छोड़ी गई है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट TTD का पंजीकरण 2018 से नवीनीकृत नहीं किया गया है। जिसे नामित बैंकों में जमा कराने पर नियमों का पालन न करने के लिए आरबीआई ने जुर्माना लगाया है।

स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया ने किसी भी तरह की विदेशी मुद्रा को ट्र्स्ट के खातों में जमा करने से मना किया गया है जिससे 1 वर्ष में 86.86 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा एकत्र हो गई है। TTD ने हाल ही में गृह मंत्रालय को एकत्रित विदेशी मुद्रा प्रेषित की जिसमें 11.50 करोड़ अमेरिकी डॉलर, 5.93 करोड़ मलेशियाई रिंगरिट, 4.06 करोड़ सिंगापुर डॉलर शामिल था।

तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट 

यह एक स्वतंत्र ट्रस्ट है। इसकी स्थापना टीटीडी अधिनियम के तहत 1932 में हुई थी। यह आंध्र प्रदेश के तिरुमाला के तिरुपति वेंकटेश मंदिर के साथ 70 अन्य मंदिरों का प्रबंधन करता है। यह दुनियाँ के सबसे अमीर धार्मिक ट्रस्टोंं में अग्रणी है। जिसमें लभग 16000 लोग कार्यरत हैं।

मंदिर के प्रशासन के लिए 7 सदस्यों की एक समिति गठित की  जाती है। समिति को सलाह देने के लिए दो सलाहकार परिषद का गठन किया गया है- मंदिर के पुजारियों और प्रशासकों की परिषद और किसानों की परिषद

हुण्डी – 

हुण्डी एक विनिमय साध्य लेख पत्र है। भारत में यह अधिनियम या कानून के तहत न होकर रीति रिवाजों में निहित था। संस्कृत भाषा में इसका अर्थ संग्रह करना है, अर्थात द्रव्य का संग्रह करने वाले पत्र को हुण्डी कहा जाता है। हुण्डी कई प्रकार की हो सकती हैं- 

  1. दर्शनी हुण्डी- यह हुण्डी भुगतान योग्य बिल की भांति होती है जो मांग आधारित होती है।
  2. मियादी हुण्डी यह हुण्डी सावधि बिल की भांति होती है जिसका भुगतान निर्धारित समय पर करना होता है।
  3. जवाबी हुण्डी – एक स्थान से दूसरे स्थान पर मुद्रा भेजने के लिए किसी बैंक द्वारा पत्रों का लेन देन किया जाता है। इसमें मुद्रा भेजने वाला व्यक्ति प्राप्त करने वाले के नाम से संबोधित करते हुए एक पत्र लिखता है। 

अन्य प्रमुख हुण्डी

  • शाहजोग हुण्डी – वह हुण्डी जो केवल शाह (अर्थात ऐसा व्यक्ति, फर्म या कंपनी को कहते हैं जो किसी स्थानीय बोर्ड से संबंधित हो या बाजार का प्रतिष्ठित व्यक्ति है) को ही देय होती है।
  • जोखिम हुण्डी – यह हुण्डी वस्तुओं की गाँठों में, भेजने वाले के द्वारा मंगाने वाले के लिए लिखी होती है जिसका भुगतान माल(Goods) प्राप्त करने पर ही क्रेता द्वारा किया जाता है।
  • नाम जोग हुण्डी – इसे फरमान जोग हुण्डी भी कहा जाता है। इसका भुगतान हुण्डी नामांकित व्यक्ति द्वारा या उसके आदेशानुसार किया जाता है।
  • धनी जोग हुण्डी – वह हुण्डी जिसका भुगतान मालिक को देय होता है। 

हुण्डी का प्रकृति- 

  • हुंडी बिना शर्त का आदेश भुगतान है जो किसी व्यक्ति द्वारा आदेश में नामित व्यक्ति को भुगतान करने का आदेश देता है।
  • अनौपचारिक प्रक्रिया का हिस्सा होने के कारण यह किसी भी प्रकार से कानूनी स्थिति को प्राप्त नहीं करते हैं। और वे पराक्रम्य लिखित अधिनियम 1881 के तहत भी शामिल नहीं हैं।
  • य़ह अक्सर बैंक के द्वारा चेक के रूप में कार्य करते हैं।
  • मध्य पूर्व व उत्तर अफ्रीकी देशों में इसे हवाला(विश्वास) के नाम से जाना जाता है। जिसमें यह उद्देश्य की पूर्ति लिखित रूप में नहीं वरन एजेंट के द्वारा की जाती थी। वर्तमान में इसे धन हस्तानांतरण की अवैध प्रणाली के रूप में जाना जाता है। 

विदेशी अंशदान अधिनियम- 

1976 में आपातकाल के दौरान भारत में विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप को रोकने के लिए विदेशी अंशदान अधिनियम पारित किया गया था। इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति या संगठन विदेशी दान प्राप्त करने के लिए निम्न प्रावधानों की पूर्ति करता हो-

  • अधिनियम के तहत पंजीकृत हो
  • विदेशी धन प्राप्त करने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया, दिल्ली में प्राप्तकर्ता का खाता हो।
  • प्राप्त निधियों का उसी उद्देश्य के लिए उपयोग हो जिसके लिए उन्हें प्राप्त किया गया है। 

 पंजीकरण निरस्तीकरण की अवस्था सरकार किसी भी एनजीओ के एफसीआरए पंजीकरण को रद्द करने का अधिकार सुरक्षित रखती है, अगर यह पाया जाता है कि यह अधिनियम का उल्लंघन करता है। पंजीकरण निरस्तीकरण की अवस्थाएं-

  • पंजीकरण के नियमों का उल्लंघन करने पर
  • यदि केंद्र सरकार की राय में यदि पंजीकरण निरस्त करना अनिवार्य है,
  • ऑडिट के दौरान एनजीओ के विदेशी धन के दुरुपयोग का मामला सामने आया हो।

एफसीआरए के अनुसार, प्रमाणपत्र को रद्द करने का कोई आदेश तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक कि संबंधित व्यक्ति या एनजीओ को सुनवाई का उचित अवसर नहीं दिया गया हो। एक बार किसी एनजीओ का पंजीकरण रद्द हो जाने के बाद, वह तीन साल के लिए फिर से पंजीकरण के लिए पात्र नहीं होता है। 

सरकार के निर्णय को न्यायालय में चुनौती देने का अधिकार एनजीओ के पास सुरक्षित होता है। अतः तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट TTD सर्वोच्च न्यायालय में मंत्रालय के निर्णय को चुनौती दे सकता है। 

स्रोत

Indian Express

https://rbi.org.in/scripts/ms_hundies.aspx

Yojna IAS daily current affairs hindi med 28th March 2023

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