होयसल मंदिर का दौरा करेगी विशेषज्ञ टीम।

होयसल मंदिर का दौरा करेगी विशेषज्ञ टीम।

होयसल मंदिर का दौरा करेगी विशेषज्ञ टीम।

संदर्भ- होयसल मंदिरों को विश्व धरोहर घोषित करने से पहले स्मारक स्थल ओर स्थानीय आयोग ICOMOS के प्रतिनिधि सहित एक विशेषज्ञ टीम कर्नाटक के बेलूर, हलेबिड, सोमनाथपुर के होयसल मंदिरों का दौरा कर UNESCO को रिपोर्ट तैयार करेंगे।

होयसल राजवंशहोयसल दक्षिण भारतमें 10वी से 14 वी शताब्दी तक शासन करने वाला एक राजवंश था। जो चालुक्य व कलचुरी वंश के युद्धों का लाभ उठाकर पश्चिमी घाट से वर्तमान कर्नाटक के भाग में बस गए। इन्होंने वर्तमान कर्नाटक से कावेरी घाटी तक के क्षेत्र में शासन किया। इनके राजा रानी व मंत्रियों ने स्थापत्यकला को महत्वपूर्ण संरक्षण दिया। होयसल संरचनाओं में बेलूर, हलेबिड व सोमनाथपुर के गांव प्रमुख हैं। होयसलकाल में मंदिर की एक नई शैली का विकास हुआ। जिसे होयसल शैली कहा जाता है। जिसका निर्माण विष्णुवर्धन के शासन मे हुआ था। विष्णुवर्धन जो पहले जैन थे रामानुजाचार्य के प्रभाव से  वैष्णव हो गए।

होयसल शैली-

  • होयसल उत्तर स्थापत्य कला की नागर शैली व दक्षिण की द्रविड़ शैली से भिन्न बेसर शैली है। 
  • दीवारों पर उत्कृष्ट मूर्तिकला, जो रामायण व महाभारत की कहानियों पर आधारित हैं।
  • होयसल शैली कई मंदिरों के समूह की एक जटिल शैली है।
  • नागर शैली के एक साधारण कक्ष मण्डप के स्थान पर कई छोटे मंदिरों का समूह।
  • मंदिरों का निर्माण ऊँचे ठोस चबूतरे पर किया जाता है। 
  • मंदिर मुख्यतया शिव तथा विष्णु पर आधारित हैं।

हलेबिड –  होयसलों की राजधानी द्वारसमुद्र का आधुनिक नाम हलेबिड है यह आधुनिक कर्नाटक राज्य में है। 300 वर्ष तक राजधानी के रूप में फलीफूले शहर को 14 वी सदी में दिल्ली के सुल्तान मुहम्मद तुगलक ने वीर बल्लाल से छीन लिया था।सुल्तानों के आक्रमणों ने इस शहर को पूर्णतः उजाड़ दिया था। 

आज हलेबिड को मुख्यतः होयसलेश्वर मंदिर के कारण ही जाना जाता है। होयसल मंदिर एक शैव मंदिर है जिसमे सभी देवी देवताओं की मूर्तियाँ बनाई गई हैं। मुख्य मंदिर में शिव की एक भव्य मूर्ति है। मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर की समस्त मूर्तियाँ एक ही पत्थर से बनाई गई हैं।

होयसलेश्वर मंदिर ऊँचे चबूतरे पर 12 नक्काशीदार परतों से बना है। सम्पूर्ण मंदिर में कहीं भी गारे(चूना, सीमेंट) का प्रयोग नहीं हुआ है। इसका निर्माण पत्थरों को आपस में व्यवस्थित कर किया गया है। 

बेलूर मंदिर- होयसल की राजधानी द्वारसमुद्र की जुड़वा राजधानी के रूप में इसे जाना जाता है। वेलूर शहर की स्थापना जन अनुयायी नृपकामा ने की थी। कहा जाता है कि बेलूर मंदिर का निर्माण विष्णुवर्धन ने जैन मत से वैष्णव मत मे परिवर्तित होने पर की थी।यह चेन्नाकेशव को समर्पित एक वैष्णव मंदिर है। चेन्नाकशव का अर्थ है- मनमोहक विष्णु।

होयसल मंदिर 100 से अधिक मंदिरों का समूह है। इसका विशाल पांच मंजिला गोपुरम अथवा प्रवेश द्वार मंदिर को भव्य बनाता है। मंदिर चिकने पत्थर, गोपुरम का नीचला हिस्सा कठोर पत्थर से बना है जबकि ऊपरी हिस्सा ईंटों से। मंदिर की दीवारों में अनगिनत मूर्तियों को रामायण महाभारत की कथा के रूप में तथा विष्णु के अवतारों की कथा का उत्कीर्णन किया गया है। मुख्य मंदिर के प्रवेश द्वार पर विष्णु के दश अवतारों को दर्शाया गया है।

सोमनाथपुर मंदिर – सोमनाथपुर मंदिर मैसूर जिले के सोमनाथपुर शहर में स्थित है। यह सोमनातपुर का चेन्नाकेशव मंदिर भगवान विष्णु के तीन रुपों (जनार्दन, केशन व वेणुगोपाल)को समर्पित है। इसलिए यह त्रिकुटा रूप में भी जाना जाता है। मंदिर का निर्माण राजा नरसिंम्हाराव के सेनापति सोमनाथ ने करवाया था।

तारकीय योजना के साथ तीन मंदिर बनाए गए हैं। इन्हें दक्षिण तीर्थ, उत्तर तीर्थ व पश्चिम तार्थ कहा जाता है। दीवारों पर युद्ध, कावड़िये व पशु चित्र बनाए गए हैं। वर्षों से उत्कृष्ट कला के धरोहरों में पूजा नहीं होती क्योंकि आक्रमणकारियों द्वारा यह मंदिर खण्डित कर दिए गए थे। इन विशिष्ट धरोहरों को सजोने के लिए UNESCO को 2014 में प्रस्ताव दिया गया। 2022 में विश्व धरोहर क्षेत्र में सामिल होने के अंतिम चरण में है।

 विश्व धरोहर- धरोहर, अतीत द्वारा वर्तमान को दी गई और भविष्य के लिए सजोई गई विरासत है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) दुनिया भर में मानवता के लिए उत्कृष्ट मूल्य मानी जाने वाली सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत की पहचान, संरक्षण और संरक्षण को प्रोत्साहित करना चाहता है। यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि में सन्निहित है जिसे विश्व सांस्कृतिक व प्राकृतिक विरासत से संबंधित कन्वेंशन कहा जाता है , जिसे 1972 में यूनेस्को द्वारा अपनाया गया था।

UNESCO विश्व विरासत सम्मेलन के उद्देश्य- 

  • विश्व विरासत सम्मेलन पर हस्ताक्षर करने और अपनी प्राकृतिक व सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा करने के लिए देशों को प्रोत्साहित करना।
  • विश्व विरासत सूची में शामिल करने के लिए राष्ट्रीय क्षेत्र के साइट को नामांकित करने के लिए राज्यों को प्रोत्साहित करना।
  • विश्व धरोहर स्थलों को उनकी प्रबंधन योजनाएँ स्थापित करने और रिपोर्टिंग सिस्टम स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • तकनीकि सहायता व पेशेवर प्रशिक्षण प्रदान कर राज्यों को विश्व धरोहर स्थलों को उनकी रक्षा करने में मदद करना।
  • तत्काल खतरे के समय आपातकालीन सहायता प्रदान करना।
  • विश्व विरासत संरक्षण के लिए राज्यों की पार्टियों की जन जागरूकता-निर्माण गतिविधियों का समर्थन करना।
  • अपनी सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में स्थानीय आबादी की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
  • हमारे विश्व की सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत के संरक्षण में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करना।

भारत में UNESCO विश्व धरोहर क्षेत्र- 

  • भारत में 2021 तक विश्व धरोहर क्षेत्रों की संख्या 40 हो गई थी, जिनमें 32 सांस्कृतिक क्षेत्र, 7 प्राकृतिक क्षेत्र तता 1 मिश्रित क्षेत्र की श्रेणी में था। 
  • होयसल की विरासत 2014 से UNESCO की संभावित श्रेणी में थी। 
  • 31 जनवरी 2022 को होयसल के मंदिरों का विश्व धरोहर क्षेत्र के रूप में नामांकन किया गया।
  •  इस सप्ताह स्मारक स्थल ओर स्थानीय आयोग ICOMOS के प्रतिनिधि इस क्षेत्र पर एक रिपोर्ट तैयार करेंगे।
  •  रिपोर्ट के मूल्यांकन के बाद अंतर सरकारी व वर्ल्ड हैरिटेज कमेटी के अंतिम निर्णय के बाद ही होयसल की विरासत( बेलूर, हलेबिड, सोमनाथपुर), विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल हो पाएगी।

स्रोत-

https://www.unesco.org/en

https://www.thehindu.com/news/national/karnataka/expert-team-to-visit-hoysala-temples-this-week/article65879596.ece

 

No Comments

Post A Comment