01 Oct चिकित्सीय उपकरण संबंधी पार्क योजना
- केंद्र सरकार ने चिकित्सीय उपकरण संबंधी पार्क योजना के सम्बन्ध में दिशानिर्देश जारी किये हैं |
- योजना के लिए 2024-25 तक के लिए 400 करोड़ रूपये के फण्ड का प्रावधान किया गया है |
पृष्ठभूमि:
- विश्व में तीसरा सबसे बड़ा दवा उद्योग होने के बावजूद भारत दवाओं के निर्माण हेतु आवश्यक कच्चे माल के लिए आयात पर निर्भर है |
- भारत वर्तमान में 15 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बाज़ार के 80-90% चिकित्सा उपकरणों का आयात करता है |
- कोरोना महामारी के दौरान कई देशों ने संरक्षणवादी नीतियों के अंतर्गत चिकित्सीय उपकरणों और आवश्यक कच्चे माल की आपूर्ति पर प्रतिबन्ध लगा दिया था |
- ऐसे में रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत के अनुरूप चिकित्सा उपकरण उद्योग का समर्थन करने के लिये “चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देने” की योजना प्रारंभ की है |
- चिकित्सा उपकरणों में सर्जिकल उपकरण, डायग्नोस्टिक उपकरण जैसे- सीटी स्कैन, एक्स-रे, मॉलिक्यूलर इमेजिग, एमआरआई और हाथ से प्रयोग किये जाने वाले उपकरणों सहित लाइफ सपोर्ट इक्विपमेंट जैसे- वेंटिलेटर आदि के साथ-साथ इम्प्लांट्स एवं डिस्पोज़ल तथा अल्ट्रासाउंड इमेजिंग शामिल हैं |
योजना का उद्देश्य :
- चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की लागत को कम करना |
- घरेलू बाज़ार में चिकित्सा उपकरणों की बेहतर उपलब्धता तथा क्षमता को बढ़ाना |
- योजना की लागत – योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपए है | और योजना का कार्यकाल वित्त वर्ष 2020-2021 से वित्त वर्ष 2024-2025 तक है |
- केंद्र प्रायोजित योजना होने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90% जबकि अन्य राज्यों को 70% अनुदान केंद्र द्वारा प्रदान किया जायेगा |
- केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में पार्कों के निर्माण के लिये मंज़ूरी दे दी है |
योजना के लाभ :
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- भारत में चिकित्सा उपकरण उद्योग 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है जिसमें वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं |
- ‘मेक इन इंडिया’ योजना को प्रोत्साहन मिलेगा क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’योजना के अंतर्गत चिकित्सा उपकरणों को एक सनराइज़ क्षेत्र के रूप में मान्यता प्रदान की गयी थी ।
- भारत में विदेशी निवेश बढ़ेगा,जिससे रोजगार के नवीन अवसर सृजित होंगे |
- भारत में स्वास्थ्य संबंधी खर्च में कमी आ सकती है क्योंकि आयातित उपकरण काफी महंगे होते हैं |
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