03 Oct लाल बहादुर शास्त्री : एक प्रेरणा।
लाल बहादुर शास्त्री : एक प्रेरणा।
संदर्भ- हाल ही में 2 अक्टूबर को भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी को उनके जन्मदिवस पर याद किया गया।
भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री को उत्कृष्ट राजनेता के रूप में जाना जाता है। तत्कालीन परिस्थिति में आवश्यक जय जवान, जय किसान नारे के लिए उन्हें सर्वाधिक याद किया जाता है। 2 अक्टूबर 1904 को शास्त्री जी का जन्म मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव व दुलारी देवी के घर (उत्तर प्रदेश के मुगलसराय) में हुआ था।
काशी विद्यापीठ में शिक्षा ग्रहण करने के बाद जातिसूचक शब्द श्रीवास्तव हमेशा के लिए हटाकर शास्त्री जोड़ दिया गया। शास्त्री जी का ऐसा ही कर्म आधारित दृष्टिकोण उनकी मिर्जापुर निवासी ललिता से विवाह के समय नजर आता है जब विवाह उपहार स्वरूप केवल वे चरखा व खादी का कपड़ा लेते हैं।
लाल बहादुर शास्त्री ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में मात्र 16 वर्ष की उम्र में गांधीजी के असहयोग आंदोलन के एक आवाहन पर शिक्षा छोड़ दी, और गांधीजी के नमक कानून तोड़ने के बाद भारत में विद्रोही गतिविधियों में भाग लिया और कुल 7 वर्ष के लिए जेल गए। 1946 में कांग्रेस के गठन के बाद उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव और कुछ समय बाद गृह मंत्री का पद सौंपा गया।
मंत्री पद के रूप में – 1951 के बाद केंद्रीय सरकार में कई मंत्री पदों जैसे- रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री के पदों को संभाला।
- शास्त्री जी की ईमानदारी उनके उच्च आदर्शों में इस प्रकार निहित होती है कि एक रेल दुर्घटना में कई लोगों की मृत्यु होने पर उन्होंने स्वयं को जिम्मेदार माना और रेल मंत्री का पद त्याग दिया।
- परिवहन मंत्री के दौरान पहली महिला कंडक्टरों की नियुक्ति की गई।
भारत के प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री ने 9 जून 1964 को शपथ ग्रहण की। मात्र 581 दिन के कार्यकाल में उनका असामान्य नेतृत्व आज के परिपेक्ष में भी प्रेरणादायी है-
- सितंबर 1964 में विपक्ष ने जब उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा तो शास्त्री जी ने अपनी सरकार के सफलताओ व विफलताओं को स्वीकार किया।
- 1965 में भारत पाकिस्तान के युद्ध के समय देश के प्रधानमंत्री के रूप में सफलतापूर्वक नेतृत्व संभाला।
- भारत पाकिस्तान युद्ध के समय जब अमेरिका ने पीएल- 480 के तहत भेजे जाने वाले लाल गेहूँ को बंद करने की धमकी दी। शास्त्री जी ने ऑल इंडिया रेडियो में समस्त देशवासियों से सप्ताह में एक दिन का उपवास करने का आग्रह किया जिसका देश ने कई हफ्तों तक सहर्ष पालन किया। और अमेरिका के गेहूँ की आपूर्ति हो गई।
- देश में खाद्यान्न की कमी को पूरा करने, संसाधनों को मजबूत करने व देश में दुग्ध उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड का गठन 1965 में किया गया। इसका मूल मंत्र था- शोषण के स्थान पर सशक्तिकरण, परम्परा के स्थान पर आधुनिकता और स्थिरता के स्थान पर विकास।
- 1960 के दशक में भारत में खाद्यान्न की कमी को दूर करने के लिए खाद्यान्न मूल्य निर्धारित करने का विचार दिया, जिसे आज न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP के रूप में जाना जाता है। 1966-67 में पहली बार गेहूँ व धान की MSP तय की गई। इसके साथ ही कृषि लागत व मूल्य आयोग की स्थापना की, जो MSP की सिफारिश करता है।
- 1965 में एल के झा कमेटी की सिफारिश पर भारतीय खाद्य निगम(FCI) का गठन किया।
- 1965 मे हरित क्रांति को प्रोत्साहन देने के लिए मेक्सिको से गेहूँ की उन्नत किस्मों के बीज का आयात किया, उनकी इस रणनीति से 1965 में भारत का गेहूँ उत्पादन 12000 टन से 1968 में 17000 टन हो गया।
- ताशकंद समझौते के अनुसार भारत व पाकिस्तान को 5 अगस्त 1965 की सीमा रेखा तक पीछे हटना था,कहा जाता है कि शास्त्री जी इस समझौते के लिए राजी नहीं थे। लेकिन उन्हें जबरदस्ती इस समझौते पर हस्ताक्षर करवा लिए गए।
साधारण व ईमानदार व्यक्तित्व-
- देशवासियों से किए गए एक दिन के उपवास के अनुरोध से पूर्व शास्त्री जी ने अपने परिवार में शाम का भोजन बंद करवा दिया।
- सांसद के दौरान शास्त्री जी, सांसद के खर्च पर परिवार का निर्वहन नहीं कर पा रहे थे तो शास्त्री जी ने अखबारों में लिखना प्रारंभ किया। इस दौरान उन्होंने द हिंदू, अमृत बाजार पत्रिका, हिंदुस्तान टाइम्स व टाइम्स ऑफ इण्डिया के लिए लिखा।
- स्वयं से कनिष्ठ अधिकारिय़ों को अपने कक्ष में प्याली में स्वयं चाय डालकर देते थे।
- उनकी सरकारी कार का पुत्र द्वारा निजी प्रयोग करने पर प्रति किलोमीटर के हिसाब से इसका खर्च सरकारी खाते पर जमा किया गया।
- ताशकंद सम्मेलन में भाग लेने हेतु रूस यात्रा में रूस के प्रधानमंत्री ऐलेक्सी कोसिगन द्वारा गर्म कोट भेंट करने पर भी खादी कोट को ही धारण किया। कोसीगन ने इन्हें सुपर कम्यूनिस्ट कह कर संबोधित किया।
- 11 जनवरी 1966 को शास्त्री जी के निधन के बाद जब उनके शव को ताशकंद से दिल्ली लाया गया, भारत, पाकिस्तान व सोवियत झण्डा झुका हुआ था।
स्रोत-
https://www.bbc.com/hindi/india-54370588
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