16 Nov हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध
हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर प्रतिबंध
संदर्भ- हाल ही में पंजाब सरकार ने आग्रेयास्त्रों व हथियारों के महमामंडन करने वाले गीतों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही-
- पंजाब के गृह विभाग ने पुलिस महानिदेशक, पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस आधीक्षकों को भेजे गए पत्रों में तीन महीने के भीतर जारी सभी बंदूक लाइसेंस की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं।
- समीक्षा के दौरान संदिग्ध व्यक्ति को जारी लाइसेंस को तुरंत निरस्त किया जाए।
- अगले तीन महीने में कोई लाइसेंस जारी न करने के निर्देश दिए।
- किसी भी समुदाय के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करने वाले व्यक्ति की तुरंत गिरफ्तारी हो।
पंजाब में प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता-
- पंजाब समेत भारत की संस्कृति योद्धाओं को गर्व से देखती है, जिसमें अस्त्र शस्त्र का प्रयोग सामान्य है।
- पंजाब के गायकों द्वारा गीतों में हथियारों का महिमामंडन होता रहा है, जिससे युवाओं में हथियारों के प्रति आकर्षण बढ़ता है और हिंसक गतिविधि को बढ़ावा मिल सकता है।
- पंजाब में लगातार हो रही हत्याएं इसका प्रमुख कारण है। जैसे- (टकसाली) नेता सुधीर सूरी और 2015 में बेअदबी मामले में जमानत पर रिहा हुए डेरा अनुयायी प्रदीप सिंह की कोटकपूरा में हत्या, कबड्डी खिलाड़ी संदीप नंगल अंबियन की हत्या और मई में सिद्धू मुसेवाला की हत्या से आक्रोश फैल गया था।
हथियारों के प्रयोग से संबंधित कानून
भारतीय शस्त्र अधिनियम 1878- 1878 में ब्रिटिश पार्लियामेण्ट द्वारा 11 वे अधिनियम के अनुसार किसी भारतीय नागरिक के लिए बिना लाइसेंस के हथियार रखना दण्डनीय अपराध था।
शस्त्र अधिनियम 1959- यह अधिनियम 1 अक्टूबर 1962 को लागू हुआ। इसका उद्देश्य हथियार व गोला बारूद से संबंधित पुराने कानून को रद्द करना था। इसमें कुल 46 धाराएं हैं, जिनमें-
- शस्त्र अधिनियम 1959 के तहत बंदूक रखना एक विशेषाधिकार है। जो भारतीय शस्त्र अधिनियम 1878 से प्रचलित था।
- हथियार, गोला बारूद आदि के उपयोग, निर्माण, बिक्री आदि के लिए लाइसेंस आवश्यक है।
- निषिद्ध हथियारों व प्रतिबद्ध गोलाबारूद के निर्माण पर निषेध
- शस्त्र ले जाने वाले की संदिग्ध परिस्थिति में गिरफ्तारी
- सार्वजनिक स्थानों पर हथियार ले जाने पर प्रतिबंध
- तरुण व्यक्तियों या अन्य व्यक्तियों द्वारा हथियारों के अर्जन, कब्जे, विक्रय व अंतरण पर प्रतिषेध।
- केंद्र सरकार के आदेशों क तहत जब्ती व नजरबन्दी आदि।
- 1878 के नियम का निरसन।
आयुध नियम 1959 में संशोधन-
- विख्यात निशानेबाज व पदक विजेता को 11 शस्त्र रखने की अनुमति है पहले 7 शस्त्रों की अनुमति थी।
- यदि निशानेबाज किसी एक प्रतियोगिता से विख्यात है तो उसे 8 शस्त्र रखने की आजादी दी गई है।
- कनिष्ठ लक्ष्य निशानेबाज अब दो शस्त्र रख सकते हैं जबकि पहले केवल एक शस्त्र रखने की अनुमति थी।
- किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा तीन शस्त्रों के लाइसेंस की अनुमति को कम कर दो कर दिया गया है।
आयुध नियम 2016 में संशोधन-
- 50 वर्ष से अधिक पुराने शस्त्रों की खरीद में लाइसेंस की आवश्यकता नही होगी किंतु इनके प्रयोग व परिचालन में लाइसेंस का प्रयोग किया जाएगा।
- हथियारों के अवैध निर्माण, हस्तानांतरण, निषिद्ध गोला बारुद को रखना, हथियार का स्वरूप परिवर्तित करना व उनके आयात निर्यात करने पर दण्ड में वृद्धि कर दी है। ऐसे व्यक्ति को 7-14 साल तक की जेल व जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
- शस्त्रों के लाइसेंस की अवधि 3 वर्ष से बढ़ाकर 5 वर्ष कर दी गई है।
एक सामान्य व्यक्ति द्वारा लाइसेंस किस आधार पर प्राप्त किया जाता है?
- उसे यह प्रमाणित करना होता है कि उसके जीवन को खतरा है।
- उसे प्रमाणित करना होता है कि वह हथियार को सुरक्षित रखने की स्थिति में है। इसका प्रयोग किसी संदिग्ध गतिविधि के लिए नहीं किया जाएगा।
- 2016 के शस्त्र अधिनियम के अनुसार शस्त्रधारी को यह साबित करना होगा कि उन्हें प्रशिक्षित किया गया है।
चुनौतियाँ
- अधिनियम का सख्ती से पालन न होना– शस्त्र अधिग्रहण से संबंधित एक सख्त कानून होने के बावजूद अराजकता की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं, जिसमें पंजाब सहित बिहार व उत्तर प्रदेश में हथियार रखना प्रतिष्ठा का प्रतीक हो गया है, ट्रिब्यून इंडिया के अनुसार उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले में यूनाइटेड किंगडम व जापान के कुल शस्त्रों से अधिक आग्नेयास्त्र हैं।
- बंदूकों की आसान उपलब्धता के कारण अपराधों में बढ़ोतरी।
स्रोत
https://indianexpress.com/article/cities/chandigarh/punjab-govt-bans-public-display-of-firearms-songs-glorifying-weapons-8266688/
https://www.tribuneindia.com/news/comment/gun-culture-behind-state-of-lawlessness-in-up-124496
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