नाभिकीय संलयन

नाभिकीय संलयन

नाभिकीय संलयन

संदर्भ- संयुक्त राज्य अमेरिका में वैज्ञानिकों ने पहली बार नाभिकीय संलयन प्रक्रिया से प्राप्त ऊर्जा का शुद्ध लाभ हासिल किया। यह तकनीकि में में एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है।

नाभिकीय संलयन- जब दो हल्के नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक का निर्माण करते हैं, इस प्रक्रिया को परमाणु संलयन कहते हैं। क्योंकि अंतिम नाभिक का कुल द्रव्यमान, दो नाभिकों के द्रव्यमान से कुछ कम होता है। द्रव्यमान में यह कमी ऊर्जा में रुपांतरित हो जाती है। जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन के सूत्र E=mc² द्वारा ज्ञात किया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने वर्तमान प्रयोग में हाइड्रोजन के दो समस्थानिकों ड्यूटेरियम व ट्रिटियम का प्रयोग किया गया। वर्तमान में प्रयोग की जाने वाली नाभिकीय ऊर्जा नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त की जाती है।

नाभिकीय विखण्डन- एक भारी नाभिक, लगभग दो बराबर हल्के नाभिकों में विखण्डित हो जाता है या किया जाता है यह प्रक्रिया नाभिकीय विखण्डन कहलाती है। इसी प्रक्रिया के आधार पर कई परमाणु भट्टियों या परमाणु रिएक्टरों का निर्माण किया जाता है। जो विद्युत ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। 

नाभिकीय संलयन की विशेषताएं-

  • नाभिकीय संलयन से प्राप्त ऊर्जा , नाभिकीय विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा से कहीं अधिक होती है जैसे हाइड्रोजन के समस्थानिकों के संलयन से प्राप्त ऊर्जा, यूरेनियम के विखण्डन से प्राप्त ऊर्जा से लगभग 4 गुना अधिक होती है।
  • संलयन ऊर्जा एक कार्बन मुक्त ऊर्जा का स्रोत है।

नाभिकीय संलयन उत्पन्न करने में चुनौतियाँ-

  • संलयन की प्रतिक्रिया के लिए बहुत अधिक तापमान की आवश्यकता होती है प्रयोगशाला में उस तापमान को बनाए रखने के लिए बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता भी होती है। यह सूर्य के केंद्र में उपस्थित तापमान से लगभग 10 गुना अधिक होता है। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय तापनाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र ITER की आवश्यकता होती है
  • अब तक हुए प्रयोगों में संलयन से उत्पन्न ऊर्जा प्रयुक्त ऊर्जा से कम होती है।
  • संलयन के प्रयोगों को व्यावसायिक तौर पर जमीनी स्तर पर उतारने के लिए अब तक प्रौद्योगिकी का सृजन नहीं हुआ है।

अंतर्राष्ट्रीय ताप नाभिकीय प्रायोगिक संयंत्र ITER 

  • यह ऊर्जा की कमी से निपटने के लिए भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई देशों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सहयोग से नाभिकीय संलयन प्रक्रिया पर आधारित एक संयंत्र है।
  • भारत 2005 में ITER परियोजना में शामिल हुआ था। एक सदस्य के रूप में भारत ITER रिएक्टर के कई घटकोंका निर्माण कर रहा है।
  • अहमदाबाद में स्थित प्लाज्मा अनुसंधान संस्थान, परियोजना में भाग लेने वाली भारत की एक प्रमुख संस्था है।

नाभिकीय संलयन से प्राप्त ऊर्जा की आवश्यकता-

ऊर्जा संकट- रूस यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोप सहित वैश्विक स्तर पर प्राकृतिक संसाधनों की कमी उत्पन्न हुई है, जिससे समस्त विश्व नवीकरणीय प्रयासों को तेज कर रहा है। जिससे संकट के समय वह ऊर्जा की आपूर्ति आसानी से कर पाए।

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन- वैश्विक तौर पर प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण संसाधनों में भारी कमी दर्ज की जा रही है। जिससे सौर ऊर्जा, नाभिकीय ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों की आवश्यकता बढ़ रही है। 

ऊर्जा की मांग में बढ़ोतरी- आबादी बढ़ने के साथ ऊर्जा की मांग में भी वैश्विक तौर पर लगातार बढ़ोतरी हो रही है जिसकी आपूर्ति के लिए प्राकृतिक संसाधनों के दोहन के साथ वैज्ञनिक नित नए प्रयोग कर रहे हैं। जिससे ऊर्जा की लगातार आपूर्ति होती रहे।

भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की आपूर्ति

  • देश की संस्थापित पवन ऊर्जा 40.03 गीगावाट है जबकि विश्व में भारत चौथा सबसे बड़ा पवन ऊर्जा क्षमता वाला देश है।
  • देश की संस्थापित सौर ऊर्जा 48.55 गीगावाट के साथ भारत विश्व का पाँचवा सौर ऊर्जा संस्थापित देश बन गया है।
  • इसी प्रकार लघु पनबिजली की वर्तमान क्षमता 4.83 गीगावाट और बड़ी पनबिजली की 46.51 गीगावाट है।
  • देश की परमाणु संस्थपित ऊर्जा क्षमता 6.78 गीगावाट है। भारत में परमाणु विद्युत संयंत्रों का प्रचालन न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इण्डिया लिमिटेड द्वारा किया जाता है।
  • जलवायु परिवर्तन के पेरिस सम्मेलन में भारत ने 2030 तक भारत की 40% बिजली आपूर्ति, नवीकरणीय स्रोतों के माध्यम से करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।

सरकार द्वारा ऊर्जा आपूर्ति हेतु योजनाएं व कदम

गोबर्धन योजना- यह योजना पशुओं से प्राप्त ठोस अपशिष्ट को बायोगैस या बायो सीएनजी में परिवर्तित करने पर आधारित है।

राष्ट्रीय पवन सौर हाइब्रिड नीति- इस योजना का उद्देश्य बड़े ग्रिड से जुड़े सौर पवन फोटोवोल्टाइक हाइब्रिड प्रणाली को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ किया गया। इससे सौर व पवन ऊर्जा का अदिकतम प्रयोग कर अधिकतम ऊऱ्जा प्राप्त की जा सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन- इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय़ स्तर पर स्वच्छ व नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन करना था।

स्रोत

https://indianexpress.com/article/upsc-current-affairs/upsc-essentials/upsc-essentials-weekly-news-express-with-mcqs-acid-attacks-bangladesh-and-more-8329370/

https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1786580

Yojna IAS daily current affairs hindi med 19th december

No Comments

Post A Comment