समुद्री डकैती रोधी विधेयक 2022

समुद्री डकैती रोधी विधेयक 2022

समुद्री डकैती रोधी विधेयक 2022

संदर्भ- हाल ही में लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में भी ध्वनि मत के साथ पारित हो गया है।

  • 2008 से 2011 के बीच 27 समुद्री घटनाएं घटी हैं जिनमें 288 भारतीय नागरिक शामिल थे।
  • 2014 से 2022 के बीच 19 समुद्री डकैती के मामले सामने आए जिनमें 155 चालक दल के सदस्य सामिल थे।

समुद्री डकैती या मैरीटाइम पाइरेसी को 1982 के यूनाइटेड नेशंस कन्वेंशन ऑन द लॉ ऑफ द सी (यूएनसीएलओएस) आर्टिकल 101 द्वारा परिभाषित किया गया है, जो इस प्रकार है:

(ए) किसी निजी जहाज या निजी विमान के चालक दल या यात्रियों द्वारा निजी उद्देश्यों के लिए की गई हिंसा या हिरासत की कोई भी अवैध कार्रवाई, या लूटपाट का कोई भी कार्य, और निर्देशित:

  • गहरे समुद्र में, किसी अन्य जहाज या विमान के खिलाफ, या ऐसे जहाज के बोर्ड पर व्यक्तियों या संपत्ति को नुकसान,
  • किसी राज्य के अधिकार क्षेत्र के बाहर किसी जहाज, विमान, व्यक्तियों या संपत्ति के विरुद्ध कार्यवाही समुद्री डकैती की श्रेणी में आती है।

(बी) एक जहाज या एक विमान के संचालन में स्वैच्छिक भागीदारी का कोई भी कार्य इसे एक समुद्री डाकू जहाज या विमान बनाता है।

समुद्री डकैत रोधी विधेयक 2022

  • 9 दिसंबर 2019 में पहली बार यह विधेयक लोकसभा में पेश किया गया था जिसके अनुसार, इसका एक अन्य उद्देश्य समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र कनवेंशन को लागू करना है। 
  • यह विधेयक समुद्री तट से 200 समुद्री मील तक की दूरी जिसे ईईजेड भी कहा जाता है, तक वैध कार्यवाही कर सकता है। 
  • भारतीय जल सीमा के अंतर्गत आने वाले सभी जहाजों के लिए यह कानून लागू होगा।
  • दण्ड की प्रणाली- दुर्लभतम मामलों में मृत्युदण्ड व आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया है, लेकिन इसमें भी लचीलापन अपनाया गया है। विधेयक के अंतर्गत अपराध के अनुरूप दण्ड का प्रावधान किया गया है। 

विधेयक की आवश्यकता-

  • श्रीलंका द्वारा तमिलनाडु व पुदुचेरी के मछवारों को हिरासत में लेना।
  • पाकिस्तान द्वारा गुजरात के मछवारों को हिरासत में लेने से भारतीय तटों पर मछवारों की स्थिति संकटपूर्ण हो गई है। अतः समुद्र में सुरक्षा बनाए रखने के लिए विधेयक या फिर कानून की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इससे पहले कोई भारत में समुद्री डकैती से निपटने के लिए कोई कानून न होने के काऱण कोई कदम नहीं उठाया जा सकता था।
  • समुद्री मार्गों की सुरक्षा इसकी प्रमुख आवश्यकता है क्योंकि भारत का अधिकतम 90% व्यापार समुद्री मार्गों से किया जाता है। 
  • देश की 80% से अधिक हाइड्रोकार्बन की आवश्यकताएं समुद्र से ही पूर्ण होती हैं।

समुद्री अवैध गतिविधियाँ

  • अवैध रूप से मछली पकड़ना (ब्लास्ट फिशिंग)- विस्फोटकों द्वारा मछलियों को मारने से समुद्र का सम्पूर्ण पारिस्थितिकी संत्र प्रभावित होता है जो अप्रत्यक्ष रूप से हानिकारक है।
  • मादक पदार्थों जैसे ड्रग्स की तस्करी
  • समुद्री आतंकवाद- 26/11 का आतंकी हमला समुद्री आतंकवाद का ही परिणाम माना जाता है।
  • सशस्त्र समुद्री डकैती व व्यापार बाधित करना- अरब सागर के सोमालियाई डाकुओं से असुरक्षित व्यापार।

समुद्र में अवैध गतिविधि के क्षेत्र

  • विश्व भर में समुद्री डकैती से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र, अफ्रीका, दक्षिणी अफ्रीका व लैटिन अमेरिका हैं।
  • अब तक सबसे अधिक डकैती की घटनाएं अदन की खाड़ी से पूर्वी अफ्रीका के क्षेत्र और पश्चिमी अफ्रीका में गिनी की खाड़ी के क्षेत्र में देखी गई है।

समुद्री अवैध गतिविधि के खिलाफ उठाए गए कदम-

भारतीय तटरक्षक बल का ध्येय संकटग्रस्त नाविकों की सहायता तथा समुद्र में जान माल की सुरक्षा, समुद्र, पोत-परिवहन, अनाधिकृत मछ्ली शिकार, तस्करी आदि अवैध क्रियाकलापों को रोकना है। 

अंतर्राष्ट्रीय समुद्री व्यापार को संचालित करने के लिए हिंद महासागर क्षेत्र में वर्ष 2002 से भारत व इण्डोनेशिया साल में दो बार गश्ती अभ्यास करते हैं। समुद्री गश्त में भारत के नेतृत्व के लिए आईएनएस करमुक के साथ लैंडिंग एयरक्राफ्ट यूटिलिटि वेसल L-58 और डोर्नियर मैरिटाइम पैट्रोल एयरक्राफ्ट तैयार किए गए हैं।

क्वाड- समुद्री व्यापार को अबाध रूप से संचालित करने व अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए 2017 में अमेरिका, जापान, भारत व ऑस्ट्रेलिया ने एक गठबंधन किया जो सुरक्षित समुद्री व्यापार सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

स्रोत

Dryadglobal

indianexpress 

thehindu

Yojna IAS Daily current affairs hindi med 22nd december

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