02 Jan भारतीय विज्ञान कांग्रेस और महिला वैज्ञानिक
भारतीय विज्ञान कांग्रेस और महिला वैज्ञानिक
संदर्भ- 3 जनवरी 2023 को भारतीय विज्ञान कांग्रेस आयोजित की जा रही है। 108वी विज्ञान कांग्रेस 2023 का उद्घाटन भारत के प्रधानमंत्री द्वारा किया जाएगा। यह अधिवेशन तुकोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय महाराष्ट्र में किया जा रहा है।
इस वर्ष भारतीय विज्ञान कांग्रेस का मुख्य विषय महिला सशक्तिकरण के साथ सतत विकास के लिए विज्ञान व प्रौद्योगिकी है।
भारतीय विज्ञान कांग्रेस-
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस संघ भारतीय वैज्ञानिकों की एक शीर्ष संस्था है। जिसका मुख्यालय कोलकाता में है।
- इसकी स्थापना दो अंग्रेज रसायनविद जो. एल साइमनसेन व पीएस मैकमोहन ने की थी, स्थापना का उद्देश्य भारत में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढा़वा देना है।
- भारतीय विज्ञान कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन 15-17 जनवरी 1914 को हुआ था। तब से जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में इसका वार्षिक अधिवेशन आयोजित किया जाता है।
- प्रथम अधिवेशन कोलकाता की एशियाटिक सोसायटी के सभागार में तत्कालीन विश्वविद्यालय के कुलपति आशुतोष मुखर्जी की अध्यक्षता में हुई। जिसका मुख्य विषय- विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी : ग्रामीण विकास था।
- भारत व विदेशों से कुल 105 वैज्ञानिकों ने कांग्रेस में प्रतिभाग किया।
एसोसिएशन के गठन के उद्देश्य
- भारत में वैज्ञानिक कारणो को प्रोत्साहित करने के लिए
- भारत में उपयुक्त स्थान पर कांग्रेस का आयोजन करने के लिए
- वैज्ञानिक कार्यवाहियों, शोध पत्र पत्रिकाओं को प्रकाशित करने के लिए।
- विज्ञान को लोकप्रिय बनाने के लिए
- प्रारंभ में कांग्रेस का आयोजन राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर आधारित था।
- 1976 मे ISCA के महासचिव एम. एस. स्वामीनाथन ने राष्ट्रीय महत्व के फोकल विषयों को चर्चा का विषय बनाया।
प्रारंभिक भारतीय महिला वैज्ञानिक
अन्नामणि- (23 अगस्त 1918 -16 अगस्त 2001)
- मूलरूप से त्रावणकोर निवासी अन्नामणि एक मौसम वैज्ञानिक व भौतिक शास्त्री थी।
- सौर विकिरण,ओजोन व पवन ऊर्जा के संबंध में उनके शोध कार्य महत्वपूर्ण हैं। भारत को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में अन्नामणि के अनुसंधान कार्य, मार्गदर्शक रहे हैं।
- अन्नामणि ने नोबल पुरस्कार विजेता व भौतिक शास्त्री सीवी रमन के साथ कार्य किया था।
असीमा चटर्जी-(23 सितंबर 1917- 22 नवंबर 2006)
- कलकत्ता से संबंधित असीमा चटर्जी को एल्कोलाइड्स में विशेष कार्य के लिए याद किया जाता है, वर्तमान में एल्कोलाइड्स का प्रयोग कैंसर की दवाएं बनाने में किया जाता है।
- मिर्गी व मलेरिया जैसे रोगों के उपचार संबंधी इनके कार्यों का प्रयोग आज भी रोगों के निदान के लिए किया जाता है।
- फाइटोमेडेसिन व ऑर्गेनिक कैमिस्ट्री के क्षेत्र में भी चटर्जी का उल्लेखनीय योगदान रहा है।
- 1962 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा इन्हें सीवी रमन पुरस्कार से नवाजा गया था। और 1975 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।
कमल रणदीवे-( 15 दिसंबर 1905- 11 अगस्त 1970)
- कैंसर शोध केंद्र से जुड़ी रणदीवे ने कोशिका कल्चर का अध्ययन किया।
- चूहों पर किए रोग प्रतिरोधी प्रयोग में कुष्ठ रोग का टीका विकसित करने संबंधी सुराग प्राप्त हुए। जिसके लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से नवाजा।
- कमल रणदीवे ने भारतीय महिला वैज्ञानिक संघ की स्थापना की।
ई. के. जानकी अम्माल (4 नवंबर 1897 – 7 फरवरी 1984)
- यह एक पादप विज्ञानी थी। इन्होंने गन्ने की एक नई किस्म विकसित की, जो कई तरह की बिमारियों व सूखे की स्थिति में भी पनप सकता है।
- 1957 में इनहें पद्म श्री के सम्मान से नवाजा गया। तथा मैगनोलिया नाम के पौंधे की एक प्रजाति का नामकरण मैगनोलिया कोबस जानकी अम्माल नाम से किया गया।
- जानकी अम्माल बोटनिकल सर्वें ऑफ इण्डिया की निदेशक भी रही।
वैश्विक महिला वैज्ञानिक आँकड़े
- संयुक्त राष्ट्र के अनुसार कुल वैज्ञानिक शोध में महिलाओं की भागीदारी केवल 33.3% है।
- आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस में महिलाओं की भूमिका 22% है।
- तकनीकि क्षेत्र में स्नातक करने वालों(इंजीनियर) में 28% महिलाएं हैं जबकि कम्प्यूटर साइंस व सूचना प्रौद्योगिकी में महिलाएं केवल 40% ही हैं।
भारतीय आंकड़े
- भारत में 16.6% महिलाएं ही शोध व विकास से सम्बद्ध हैं।
- विश्व बैंक की जेंडर सांख्यिका रिपोर्ट के अनुसार विज्ञान प्रौद्योगिकी इंजीनियरिंग व गणित (STEM) विषयों में स्नातकों में महिलाओं की भागीदारी 43% है। जो अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है।
- भारत में वैज्ञानिक शोध में महिलाओं की भागीदारी केवल 13.9% है।
- नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिला वैज्ञानिक 20%, पोस्ट डॉक्टरेट 28.7% और पीएचडी 33.5% हैं।
विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं की स्थिति सुधारने हेतु सरकार के प्रयास
किरन –KIRAN(Knowledge in Research Advancement through nurturing)- यह पहल महिला वैज्ञानिकों के विज्ञान के क्षेत्र में वापस लौटने के लिए शुरु की गई। यह योजना मुख्यतः25-57 वर्ष की महिलाओं के लिए थी। इसके तहत महिला वैज्ञानिकों को अनुसंधान जारी रखने के लिए 25000-55000 तक का फैलोशिप प्राप्त होता है।
क्यूरी- महिला विश्वविद्यालयों में अनुसंधान व नवाचार के लिए विश्वविध्यालय अनुसंधान का समेकन कार्यक्रम है इसके तहत महिला विश्वविद्यालयों में अनुसंधान संबंधित सामग्री व सुविधा उपलब्ध करायी जाती है।
STEM में महिलाओं के लिए इंडो यूएस फैलोशिप प्रदान की जाती है।
WISER- Women Involvement in science and Engineering Research कार्यक्रम का उद्देश्य लैंगिक समानता बढ़ाने व विज्ञान व प्रौद्योगिकी में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है। इसमें भारत के 10 महिला वैज्ञानिक व जर्मनी के 1 महिला वैज्ञानिकों को उद्योग परियोजना में शोध हेतु आर्थिक सुरक्षा भी प्रदान की जाएगी।
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