प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना

संदर्भ- हाल ही में केंद्रीय खाद्य व सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत अपनी नई खाद्यान्न मुफ्त योजना का नाम प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना रखा है। मंत्रालय के अनुसार योजना का शुभारंभ 1 जनवरी 2023 से हो गया है। जिससे 80 करोड़ से अधिक गरीब लाभान्वित हुए हैं।

 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013

  • 10 सितंबर 2013 को सरकार ने संसद द्वारा पारित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम को पारित किया।
  • इसका उद्देश्य लोगों को गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए वहनीय मूल्यों पर अच्छी गुणवत्ता के साथ खाद्यान्न उपलब्ध कराना है। 
  • इस अधिनियम में लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत राज सहायता प्राप्त, खाद्यान्न प्राप्त करने के लिए 75 % ग्रामीण व 50% शहरी आबादी के कवरेज का प्रावधान है।
  • पात्र व्यक्ति चावल, गेहूँ, मोटे आनाज को क्रमशः 3रु, 2रु व 1रु प्रति किलोग्राम की दर से राजसहायता प्राप्त 5 किलो अनाज प्रति व्यक्ति प्रति माह प्राप्त कर सकता है।
  • इसके अतिरिक्ति गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान व जन्म के 6 माह बाद 6000 रुपये का स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना-

  • यह मुफ्त खाद्यान्न योजना का ही एक नया संस्करण है जिसे 1 जनवरी 2023 से लागू किया गया है। 
  • उपरोक्त योजना, गरीबों में खाद्यान्न की पहुँच, सामर्थ्य, उपलब्धता प्रदान कर, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के उद्देश्यों को पूर्ण करने में एक साधन।
  • इस योजना के तहत सरकार रियायती दरों को हटाकर एक साल तकमुफ्ता में अनाज वितरित कर रही है।
  • कोविड 19 के दौरान प्रदान की गई अतिरिक्त मात्रा को अब समाप्त कर दिया गया है।

योजना हेतु पात्रता- NFSA के तहत सभी PHH व AAY लाभार्थियों को वर्ष 2023 के लिए PMGKAY के तहत मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया जाएगा।

प्राथमिक घरेलू PHH- 

  • राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अनुसार प्राथमिक घरेलू राशन कार्ड जारी किए जाते हैं, 
  • प्राथमिकता राशन कार्ड धारकों को प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किग्रा राशन प्रदान किया जाता है।
  • इसमें चावल 3 रुपये प्रति किलो और गेहूँ 2 रुपये प्रति किलो के अनुसार प्रदान किया जाता था।

अंत्योदय अन्न योजनाAAY- 

  • गरीबी रेखा से नीचे की निर्धनतम वर्ग के बीच भुखमरी को कम करने के लिए उठाया गया एक कदम था।
  •  राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के अनुसार देश की कुल आबादी का 5% बिना दो वक्त के भोजन किए सोता है ऐसा वर्ग भुखमरी की श्रेणी में आता है। भुखमरी श्रेणी के 1 करोड़ परिवारों के लिए यह योजना वर्ष 2000 में शुरु की गई थी।
  • गरीबी रेखा से नीचे के निर्धनतम परिवारों की पहचान कर उन्हें 3रुपये प्रति किलोग्राम चावल व 2 रुपये प्रति किलोग्राम गेहूँ की दर से खाद्यान्न प्रदान करने की परिकल्पना की गई।
  • 2003-04 में ऐसे 50 लाख परिवार इस योजना में शामिल किए गए जिनके मुखिया विधवा, असाध्य रोगी, दिव्यांग व्यक्ति या 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यक्ति थे जिनकी आय का कोई सुनिश्चित साधन नहीं था।
  • 2004-05 व 2005-06 में पुनः 50-50 लाख परिवारों को जोड़ा गया, जो भुखमरी जोखिम के करीब थे।

योजना के लाभ-

  • भारत में आर्थिक अंतर को कम करने में सहायक।
  • भूखमरी के आंकड़े को कम करने में सहायक होगी।
  • भोजन की आवश्यकता को पूर्ण होने पर व्यक्ति अपनी क्षमताओं का उचित प्रयोग कर सकेगा। 

विभिन्न लाभों के साथ यह बाजार में खाद्यान्न की मूल्यों में बढ़ोतरी का कारण भी बन रही है, लगभग 2.5 करोड़ नागरिकों को इस योजना का लाभ मिलने के बाद देश की लगभग 27 करोड़ नागरिक जो गरीबी रेखा से नीचे हैं और इन योजनाओं का लाभ नहीं ले सकते वे बाजार की कीमतों पर अपना जीवन यापन करने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।

स्रोत

इण्डियन एक्सप्रैस

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