18 Jan मद्रास से तमिलनाडु तक
मद्रास से तमिलनाडु तक
संदर्भ- हाल ही में तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने तमिलनाडु का नाम बदलकर तमिझगम रखने की टिप्पणी पर विवाद उत्पन्न हो गया है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम सहित कई राजनीतिक दलों ने इसकी निंदा करते हुए मद्रास से तमिलनाडु के संघर्ष को याद किया।
मद्रास-
आधुनिक भारत जिसे यूरोपियंस के आगमन का समय माना जाता है, में मद्रास व उसके आसपास के क्षेत्र पर सबसे पहले पुर्तगाल, हॉलैण्ड और फिर ब्रिटेन के व्यापारियों का आवागमन हुआ। अंग्रेज अधिकारी फ्रांसीस डे ने 22 अगस्त 1639 में विजयनगर के राजा से कुछ भूमि खरीदकर वहां मद्रास नगर की स्थापना की। और पहला अंग्रेजी किला सेंट जॉर्ज फोर्ट बनवाया। दक्षिणी राज्यों में मद्रास की सबसे विशाल भौगोलिक सीमा थी। जिसमें वर्तमान तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तरी केरल, कर्नाटक का बेल्लारी व कन्नड़ क्षेत्र शामिल था।
पेरियार और द्रविड़ कड़गम
- 19वी सदी में जब देश में सामाजिक भेदभाव बहुत अधिक बढ़ गया था, तब पेरियार ने 1925 में आत्मसम्मान आंदोलन शुरु किया जिसे एक ब्राह्मण विरोधी आंदोलन भी कहा जा सकता है।
- पेरियार ने ही सर्वप्रथम द्रविड़ नाडु, अर्थात एक द्रविड़ देश के स्थापना की परिकल्पना की जिसमें तमिल, कन्नड़, तेलगू, मलयालम भाषी लोग शामिल थे। तथा 1944 में द्रविड़ कड़गम नामक राजनीतिक दल की स्थापना हुई।
- द्रविड़ कड़गम के सदस्य ब्राह्मण विरोधी, कांग्रेस विरोधी और आर्य विरोधी थे। जिन्होंने एक स्वतंत्र राष्ट्र के लिए आंदोलन किया। भारत के स्वतंत्र हो जाने के बाद भी द्रविड़ नाडु की मांग जारी रही।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम
- अन्नादुरै ने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम की स्थापना की।
- 1967 में अन्नादुरै मद्रास प्रदेश के पहले मुख्मंत्री बने,
- इन्होंने द्रविड़ देश को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के बजाय दक्षिणी राज्यों के लिए अधिक स्वायत्तता और दक्षिणी राज्यों के बीच अधिक सहयोग करने की दिशा में कार्य करने का फैसला किया।
मद्रास नाम से जुड़े तथ्य
मद्रास नाम का उल्लेख 1639 से पहले किसी भी ऐतिहासिक विवरण में नहीं मिलता है। इतिहासकारों के अनेक मत हैं-
- यह शब्द मछवारों के एक गांव मद्रासपट्टनम नाम के गांव से लिया गया है।
- पुर्तगालियों ने इस क्षेत्र का नाम माद्रे द डेज रखा जो बाद में मद्रास नाम से उच्चारित किया जाने लगा।
- कुछ इतिहासकार यहां मदरसा होने का तर्क देते हैं।
- मद्रा नाम के एक पादरी परिवार ने स्थानीय मढवारे को इसाई धर्म में रुपांतरित कर दिया।
- 26 जनवरी 1950 को मद्रास प्रांत को मद्रास राज्य नाम दिया गया था।
- राज्य पुनर्गठन आयोग के द्वारा भाषा के आधार पर कई राज्यों का गठन व विलयीकरण हुआ। मद्रास से कई क्षेत्रों को अलग कर नए राज्यों की स्थापना की गई।जैसे आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक के क्षेत्र।
नाम परिवर्तित करने के लिए संघर्ष-
- मद्रास राज्य के नाम को परिवर्तत करने की मांग सर्वप्रथम कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता थियागी शंकरलिंगम ने की थी।
- 1956 में कांग्रेस नेता केपी शंकरलिंगनार ने मद्रास का नाम परिवर्तित कर तमिलनीडु करने की मांग करते हुए 76 दिन का उपवास किया जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई।
- 1957 में नाम परिवर्तन के लिए प्रस्ताव लाया गया पर यह पास न हो सका।
- इसके बाद संसद में नाम परिवर्तन के लिए विधेयक लाया गया, और विधेयक पास हो गया।
- 14 जनवरी 1969 को तमिलनाडु नाम के लिए अधिसूचना जारी की गई।
भाषायी विरोध
आज भी सांस्कृतिक विशेषकर भाषायी आधार पर बने प्रदेश को, प्रदेश की उन्नति के लिए भाषायी मुद्दे प्रमुख रहते हैं।
- चक्रवर्ती राजगोपालाचारी ने 1937 में जस्टिस पार्टी व मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार के हिंदी अनिवार्य करने का तमिझ पदाई(तमिल ब्रिगेड) बनाकर विरोध किया।
- 1963 में अन्नादुरैय ने हिंदी भाषा को दक्षिण में लागू करने का विरोध किया। इस समय लाल बहादुर शास्त्री सरकार ने तमिलनाडु में तीन भाषाई फॉर्मुले को लागू किया था।
- तीन भाषायी फॉर्मुला – नई शिक्षा नीति 2020 में तीन भाषा हिंदी , अंग्रेजी व क्षेत्रीय भाषा पढ़ाए जाने की बात कही गई है। इसमें दक्षिणी राज्यों द्वारा हिंदी को पढ़ाए जाने पर विरोध प्रकट किया है।
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