केंद्रीय बजट

केंद्रीय बजट

केंद्रीय बजट

संदर्भ- 1 फरवरी 2023 को प्रतिवर्ष की तरह केंद्रीय बजट घोषित किया जा रहा है। जिसमें निम्न 7 बिंदुओं को महत्व दिया गया है-

  • समावेशी विकास
  • अंतिम मील तक पहुँचना
  • बुनियादी ढांचा और निवेश
  • क्षमता को उजागर करना
  • हरित विकास
  • युवा शक्ति 
  • वित्तीय विकास

केंद्रीय बजट

प्रत्येक वर्ष की शुरुआत में किसी खास वित्तीय वर्ष में केंद्र द्वारा प्राप्तियों व खर्च का ब्यौरा तैयार किया जाता है। इस ब्यौरे को आधार मानकर अगले वित्त वर्ष के लिए अनुमानित वित्त योजना तैयार की जाती है।

अनुच्छेद 112 के अनुसार केंद्र सरकार संसद में दोनों सदनों के समक्ष वार्षिक आय व व्यय का विवरण रखेगा। जिसे यहाँ पर वार्षिक वित्तीय विवरण कहा गया है। इसे ही केंद्रीय बजट कहा जाता है। 

केंद्रीय बजट में वार्षिक व्यय के विवरण को निम्न प्रकार दिया जाएगा-

  1. भारत की संचित निधि में भारित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियाँ।
  2. भारत की संचित निधि में किए गए अन्य प्रतिस्थापित व्यय की पूर्ति के लिए अपेक्षित राशियाँ। ये सभी राशियों का विवरण अलग अलग किया जाएगा।

अनुच्छेद 112 के तहत भारत की संचित निधि पर भारित व्यय निम्न प्रकार का होगा-

  • राष्ट्रपति के पद से संबंधित व्यय जैसे उसकी उपलब्धियाँ, भत्ते आदि।
  • राज्यसभा के सभापति व उपसभापति तथा लोकसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष के वेतन व भत्ते।
  • भारत सरकार पर अन्य देश से लिया गया बकाया ऋण भार, जिसके अंतर्गत ऋण के साथ ब्याज संबंधी अन्य वयय शामिल होते हैं।
  • न्ययालयों से संबंधी व्यय जैसे- उच्चतम न्यायालय, उच्च न्यायालय और फेडरल न्यायालय आदि से संबंधित जैसे वेतन व भत्ते आदि।
  • भारत के नियंत्रक महालेखापरीक्षक के वेतन व भत्ते से संबंधित राशि
  • किसी न्यायालयके डिक्री, पंचाट या निर्णय की तुष्टि में व्यय।
  • इसके साथ संविधान, संसद व विधि द्वारा किए गए व्यय जो भारित घोषित किए जा सकते हैं।

सम्पूर्ण विवरण के लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व व बजट प्रबंधन अधिनियम 2003 के तहत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य निर्धारित करना होता है।

राजकोषीय घाटा- सरकार के कुल राजस्व व कुल व्यय के मध्य अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह सरकार द्वारा लिए गए कुल ऋण का एक संकेतक होता है। राजकोषीय घाटे के आधार पर कर्ज लेने की सीमा तय की जाती है। राजकोषीय घाटा अधिक होने पर सरकार को अधिक ऋण लेने की आवश्यकता होती है। 

केंद्रीय बजट बनाने की प्रक्रिया

  •  आंकड़ों का संग्रहण- सभी निकायों से प्राप्त आंकड़ों का अध्ययन।
  • जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए आवश्यक वित्त का निर्धारण।
  • बजट के लिए वित्त मंत्री, प्रधानमंत्री के साथ वित्त सचिव, राजस्व सचिव व व्यय सचिव की सलाह व मदद लेते हैं।
  • इसके साथ ही निजी क्षेत्र के विभिन्न उद्योग संगठनों के प्रतिनिधियों से भी सलाह लेता है। 
  • इसमें प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष करों का भी निर्धारण किया जाता है।

बजट पेश करने की प्रक्रिया

  • बजट पेश करने के दिन सरकार स्पीकर से सहमति लेती है।
  • लोकसभा सचिवालय के महासचिव द्वारा राष्ट्रपति से सहमति लेना ावश्यक है।
  • लोकसभा में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता है। और बजट पेश करने से ठीक समरी फॉर द कैबिनेट के द्वारा बजट को संक्षेप में सुनाते हैं।

स्रोत

द हिंदू

इकोनोमिक्स टाइम्स

Yojna IAS Daily current affairs Hindi med 1st feb

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