20 Mar शंघाई सहयोग संगठन SCO
शंघाई सहयोग संगठन SCO
संदर्भ- भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों से न्यायिक सहयोग के लिए प्रयास करने का आह्वान किया है ताकि आम लोगों के लिए न्यायिक प्रणाली को अधिक सुलभ बनाया जा सके। सदस्य राज्यों के सर्वोच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों/अध्यक्षों की 18वीं बैठक के समापन को संबोधित करते हुए प्रधान न्यायाधीश ने “अदालत की प्रक्रियाओं को सरल और सुलभ बनाने के लिए सामूहिक रूप से नए तंत्र को अपनाने की आवश्यकता” पर बल दिया।
शंघाई सहयोग संगठन-
- यह एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।
- 15 जून 2001 को शंघाई (चीन) में कजाकिस्तान गणराज्य, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, किर्गिज गणराज्य, रूसी संघ, किर्गिस्तान गणराज्य और उज़्बेकिस्तान गणराज्य द्वारा इसके निर्माण की घोषणा की गई थी।
- एससीओ के रक्षा मंत्रियों और विदेश मंत्रियों की बैठक हाल ही में रूस में हुई थी। शंघाई सहयोग संगठन चार्टर पर जून 2002 में सेंट पीटर्सबर्ग एससीओ प्रमुखों की बैठक के दौरान हस्ताक्षर किए गए थे, और 19 सितंबर 2003 को लागू हुआ।
- इसका उद्देश्य सदस्य राज्यों के बीच आपसी विश्वास और पड़ोसी रिश्तों को मजबूत करना है; राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में अपने प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना। और आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद को कम करना।
- संगठन के चार पर्यवेक्षक देश अफगानिस्तान, बेलारुस, ईरान व मंगोलिया हैं।
- संगठन के आधिकारिक कार्य के लिए चीनी व रूसी भाषा को प्रधानता दी गई है।
- 24 जून 2016 को भारत व पाकिस्तान को औपचारिक तौर पर संगठन का सदस्य बनाया गया था।
- 9 जून 2017 को भारत भी संगठन का पूर्ण सदस्य बन गया है। वर्तमान में इसके कुल 8 सदस्य हैं।
भारत और शंघाई सहयोग संगठन
- संगठन में भारत को स्थायी सदस्यता दिलाने के लिए रुस का समर्थन मिला।
- नवंबर 2008 में मुंबई आतंकवादी हमले के बाद भारत ने संगठन में शामिल होने के लिए रुचि दिखाई।
एससीओ में शामिल होने के लिए भारत के भूराजनैतिक कारण-
- चीन के साथ अमेरिका का लगातार शक्ति संघर्ष, अमेरिका का ईरान परमाणु समझौते JCPOA से बाहर निकलने से ईरान से भारत का तेल आयात प्रभावित हुआ है ।
- अमेरिका का रूस के प्रति, प्रतिकूल रवैया भारत की S-400 जैसी रक्षा खरीद को प्रभावित करता है। जिससे भारत को एससीओ में शामिल होने की आवश्यकता महसूस हुई।
- पुलवामा हमले के बाद अमेरिका का पाकिस्तान के खिलाफ रुख, भारत समर्थन की ओर इंगित करता है। 2017 के डोकलाम गतिरोध के बाद भारत व चीन के संबंध तनावपूर्ण रहे हैं।
- इन कारणों के अतिरिक्त समझौते की शंघाई भावना, सद्भाव व दूसरों देशों के मामलों में हस्तक्षेप न करने अर्थात गुटनिरपेक्ष नीतियों पर जोर देता है जो भारत की नीतियों के साथ सामंजस्य़ कर सकती है। रूस व चीन के पश्चिमी देशों के साथ स्थिति अक्सर संघर्षपूर्ण रहती है, जिस पर भारत का रुख हमेशा निष्पक्ष रहता है, वह इन परिस्थितियों में किसी भी देश से गठबंधन करने से बचता है।
भारत के लिए संगठन का महत्व
- SCO देशों के पास खनिज व प्राकृतिक संसाधनों के पर्याप्त स्रोत हैं, अतः भारत इन देशों के साथ अपने ऱिश्तों को मजबूत कर ऊर्जा संकट को कम कर सकता है।
- आतंकवाद को कम करने के लिए सहयोग के तहत ताशकंद स्थित क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी संरचना से सूचना प्राप्त करना व आतंकवाद निरोधी निकाय की स्थापना करना।
- पड़ोसी देश पाकिस्तान व चीन के साथ विवादों को सुलझाने का प्रयास कर सकता है। यह पड़ोसी देशों को अनौपचारिक रूप से मिलने का अवसर दे सकता है।
- पैन एशिया देश के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करना। दक्षिण एशियाई देशों के परस्पर सहयोग को बढ़ावा देता है।
- संगठन भारत की कनेक्ट सेंट्रल एशिया नीति के लक्ष्य को पूर्ण करने में सहायता करेगा।
- इसके माध्यम से प्राचीन सांस्कृतिक विरासत को संयुक्त रूप से सहेजा जा सकता है। वर्तमान में आयोजित सम्मेलन का उद्देश्य मध्य एशिया के प्राचीन बौद्ध विरासत, कला, शिल्प व पुरातात्विक स्थलों में देशों की ट्रांस सास्कृतिक लिंक की खोज करना है।
आगे की राह
- शंघाई सहयोग संगठन के माध्यम से देश द्विपक्षीय विवादों को अलग रखकर आपसी हितों के लिए सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
- आतंकवाद विऱोधी अभ्यास पर हस्ताक्षर कर सेनाओं को परस्पर जुड़ने व सीखने का मौका मिल सकता है।
- चीन के साथ विवादों को सुलझाने या परस्पर सहयोग के लिए एक कोशिश साबित हो सकती है।
स्रोत
https://indianexpress.com/article/explained/what-sco-summit-means-for-indias-global-and-regional-interests-5777804/
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