01 Apr जी 20 और नीली अर्थव्यवस्था
जी 20 और नीली अर्थव्यवस्था
संदर्भ- भारत की G20 अध्यक्षता एक स्थायी नीली अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण को सुविधाजनक बनाने के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक कार्यों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
महासागरीय महत्व
- G20 देश मिलकर दुनिया के लगभग 45% समुद्र तटों और 21% से अधिक विशेष आर्थिक क्षेत्रों (EEZ) का हिस्सा हैं।
- ये महासागर वैश्विक जैव विविधता के जलाशय हैं,
- महासागर ही वैश्विक मौसम और जलवायु के महत्वपूर्ण नियामक हैं, और
- तटीय क्षेत्रों में अरबों लोगों के लिए जीवननिर्वाह का माध्यम हैं।
नीली अर्थव्यवस्था-
पृथ्वी के लगभग दो तिहाई क्षेत्र जल से घिरा हुा भाग है जिस पर मानव समेत कई जलीय व स्थलीय जीव निर्भर हैं। महासागर व उससे जुड़ी नदियाँ, जलाशय व उनसे सबंधित तटबंधों पर उत्पन्न व संभावित संसाधनो के संरक्षण, समावेशी विकास और पर्यावरण व पारिस्थितिकी संरक्षण से संबंधित गतिविधियाँ व योजनाएं, नीली अर्थव्यवस्था के अंतर्गत शामिल की जा सकती हैं। वर्तमान अवधि में नीली अर्थव्यवस्था का प्रयोग विकासशील देशों द्वारा किया जा रहा है।
भारत के नीली अर्थव्यवस्था से संबंधित पहल-
- सागरमाला पहल-
- इस परियाजना के द्वारा भारत सरकार बंदरगाहों को ग्राहकों की आवश्यकतानुसार विकसित करेगी।
- बंदरगाह समेत भारतीय तटरेखाओं से संबंधित शहरों व राज्यों को विकसित किया जाएगा।
- तटवर्ती शहरों को विकसित रेलवे, सड़क, वायुमार्ग, जलमार्ग जैसी अत्याधुनिक कनेक्टिविटी के साथ जोड़ा जाएगा।
- तटीय क्षेत्रों में बसे लोगों के सतत विकास को प्रोत्साहित किया जाएगा।
- सुगम व्यापार के लिए व्यवस्था को विकसित करना।
- जहाजनिर्माण वित्तीय सहायता नीति (2016-26) के अंतर्गत भारत सरकार आत्मनिर्भर जहाजरानी के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत में जहाज निर्माण हेतु दीर्घकालिक सब्सिडी प्रदान करेगी। यह प्रयास मेक इन इण्डिया विचार को भी समर्थन देता है।
- प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना- सतत और जिम्मेदार विकास के लिए इसके निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
- एक धारणीय, जिम्मेदार, समावेशी और न्यायसंगत तरीके से मात्स्यिकी की क्षमता का दोहन
- भूमि और पानी के विस्तार, गहनता, विविधीकरण और उत्पादक उपयोग के माध्यम से मछली उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि
- मूल्य श्रृंखला का आधुनिकीकरण और सुदृढ़ीकरण – पोस्ट हार्वेस्ट प्रबंधन और गुणवत्ता में सुधार
- मछुआरों और मछली किसानों की आय के दुगना करना और रोजगार सृजन।
- कृषि सकल मूल्य वर्धित और निर्यात में योगदान बढ़ाना।
- मछुआरों और मछली किसानों के लिए सामाजिक, शारीरिक और आर्थिक सुरक्षा
- मजबूत मात्स्यिकी प्रबंधन और नियामक ढांचा।
- डीप ओशन मिशन के तहत ईईजेड और महाद्वीपीय शेल्फ में गहरे समुद्र के संसाधनों के साथ-साथ उनके दोहन के लिए प्रौद्योगिकी विकास किया जाता है।
जी 20 में नीली अर्थव्यवस्था के लिए पहल-
भारत के G20 प्रेसीडेंसी के हिस्से के रूप में, नीली अर्थव्यवस्था को पर्यावरण और जलवायु स्थिरता कार्य समूह के तहत एक प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र के रूप में व्यक्त किया गया है। इसका उद्देश्य समुद्र और इसके संसाधनों के माध्यम से सतत और समान आर्थिक विकास का मार्गदर्शन करना और जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान खोजना है।
पहल-
- समुद्री अपशिष्ट पर जी 20 एक्शन प्लान
- ओसाका ब्लू ओशन विजन
- कोरल रिसर्च एंड डेवलपमेंट एक्सलेरेटर प्लेटफॉर्म
- भारत की जी 20 सदस्यता
नीली अर्थव्यवस्था की चुनौतियाँ
- समुद्र का अम्लीकरण
- चरम मौसम की घटनाएं
- समुद्र के स्तर में वृद्धि
- समुद्री प्रदूषण की बढ़ोतरी
- तटीय व समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र और जैव विविधता पर खतरा
- महासागरों की अंतर्संबंधता से महासागरों का एक दूसरे पर त्वरित प्रभाव।
जी 20 अध्यक्ष के रूप में भारत की भूमिका
- जी 20 अध्यक्षता के द्वारा भारत नीली अर्थव्यवस्था के संक्रमण को सुविधाजनक बनाने,
- भारत के व्यक्तिगत हितों व जी 20 देशों के सामूहिक हितों वाली नीतियो को महत्व देगा।
- भारत ने 2022 में प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के लिए देशों की एकजुटता के लिए पहल की थी, इसी संदर्भ में समुद्री प्रदूषण को कम करने के लिए वैश्विक प्रयास कर सकते हैं।
- इसके साथ ही एक पृथ्वी एक परिवार एक भविष्य को ध्यान में रखते हुए नीतियाँ बना सकते हैं।
आगे की राह-
महासागरों का प्रबंधन एक ऐसा निवेश है जो आने वाली पीढ़ियों को बनाए रखेगा। जी20 के परिणामों को संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज, कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी, के तहत अन्य अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं जैसे- प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतर सरकारी वार्ता समिति, समुद्र के कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन आदि में महत्व देते हुए नीली अर्थव्यवस्था व समुद्री पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
स्रोत
https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1666777
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