भारतीय इतिहास : मेरठ के विशेष संदर्भ में। 

भारतीय इतिहास : मेरठ के विशेष संदर्भ में। 

भारतीय इतिहास : मेरठ के विशेष संदर्भ में। 

संदर्भ- हाल ही में 10 मई 2023 को मेरठ के सदर बाजार से प्रारंभ हुई 1857 की क्रांति को याद किया गया। मेरठ एक ऐतिहासिक स्थल है जिसने हर समय परिस्थिति में अपनी ऐतिहासिकता दर्ज करायी है। 

  • यह आलेख मेरठ की ऐतिहासिकता के संदर्भ में प्रस्तुत किया जा रहा है जो संघ लोक सेवा आयोग के सिविल सेवा परीक्षा के सामान्य अध्यययन प्रथम प्रपत्र के लिए महत्वपूर्ण है।

मेरठ

मेरठ, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का पूर्वी जिला है, जो गंगा व यमुना नदियों के मध्य दोआब क्षेत्र में स्थित है। मेरठ, ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध होने के साथ दिल्ली के एनसीआर रिजन में आता है, जो वर्तमान में सर्राफा बाजार के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसके साथ ही एनसीआर रिजन(दिल्ली से 76 किमी.) में होने के कारण इसे औद्योगिक हब बनाने की भी योजना बनाई जा रही है। 

मेरठ की प्राचीनता

हड़प्पा काल- 

  • हड़प्पा सभ्यता को ताम्रपाषाणिक संस्कृति भी कहा जाता है, हड़प्पा काल से ही तांबे के प्रयोग के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। 
  • समय के आधार पर मेरठ को विश्व की सभ्यताओं में महत्वपूर्ण, सिंधु घाटी सभ्यता के सबसे पूर्वी क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है। जो मेरठ के आलमगीर पुर क्षेत्र में है। 
  • इस स्थल की खोज पंजाब विश्वविद्यालय के सोधकर्ताओं ने 1974 में की, इस क्षेत्र को परसराम का खेड़ा भी कहा जाता है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा इस क्षेत्र का उत्खनन 1958-59 में कराया गया। जिसके बाद इसकी पुष्टि हड़प्पा सभ्यता के एक शहर के रूप में हुई।

मृदभाण्ड काल-

  • इतिहास में एक विस्तृत समय अंतराल की जानकारी केवल प्राचीन मृदभाण्डों(मिट्टी के बर्तन) से प्राप्त होती है।मृदभाण्डों की वर्तमान स्थिति और अलंकरण, इनकी प्राचीनता की व्याख्या करते हैं।
  • इस क्षेत्र से चित्रित धूसर मृदभाण्ड के भी कई अवशेष प्राप्त हुए हैं। महाभारत काल को संदर्भित करते हैं। 

महाकाव्यकाल-

  • भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण अंश है महाकाव्य काल। जो भारत के दो महत्वपूर्ण ग्रंथ रामायण व महाभारत काल को संदर्भित करता है जिसमें भारत के लगभग हर राज्य का उल्लेख हुआ है।
  • रामायण में मेरठ को मयराष्ट्र कहा गया है, जिसका अर्थ है- मय का प्रदेश। रामायण में मय- असुरों के राजा व रावण की पत्नी मंदोदरी के पिता के लिए संदर्भित हुआ है। 
  • प्राचीन ग्रंथ महाभारत के कुरु साम्राज्य की राजधानी हस्तिनापुर भी मेरठ में ही स्थित थी। 

महाजनपदकाल 

  • महाजनपदकाल तक की अवधि को इतिहासकारों के अनुसार 600 ई.पू. तक का बताया जाता है। 
  • महाजनपदकाल में भी मेरठ का हस्तिनापुर क्षेत्र कुरु महाजनपद की राजधानी के रूप में जाना जाता था। 
  • महाजनपदकाल के दौरान ही भारत में बौद्ध व जैन धर्म का उत्कर्ष हुआ। इन नास्तिक धर्मों के प्राचीन ग्रंथों में भी मेरठ को भारत के सर्वाधिक प्राचीन स्थलों की संज्ञा दी गई है।
  • इसके साथ ही सम्राट अशोक के समय मेरठ, बौद्ध धर्म का केंद्र रहा। 
  • दिल्ली का अशोक स्तंभ, सम्राट अशोक ने पूर्व में मेरठ में ही स्थापित करवाया था, जिसे मध्यकाल मे फिरोजशाह तुगलक ने दिल्ली में स्थानांतरित करवा दिया।

मध्यकाल में भी मेरठ की महत्ता बनी रही, आइने अकबरी के अनुसार सल्तनत के प्रारंभिक काल में यहां बुलंदशहल के राजा हरदत्त का शासन था। अकबर के काल में मेरठ में तांबे की टकसाल स्थापित थी। इससे पूर्व बलबन काल के सिक्के भी इसी क्षेत्र से प्राप्त होते हैं। राजधानी दिल्ली के समीप होने व दोआब क्षेत्र के कारण यह दिल्ली सल्तनत व मुगल शासन की प्रमुखता में रहा। 

मेरठ आए एक अंग्रेज यात्री ने 1829 में लिखा कि मेरठ स्वच्छ, सुव्यवस्थित और स्वास्थ्यवर्धक होने के साथ एक विशाल शहर है। इनके साथ 1884 में डब्ल्यू एच स्लीमन के अनुसार दिल्ली व मेरठ के मध्य स्थित देश कृषि की दृष्टि से उपजाउ व अमीर देश है। किंतु अंग्रेजों का आगमन अब केवल यात्री या व्यापारी के रूप में नहीं रह गया था। यह विभिन्न प्रकार की गुलामी लेकर भी आया, जिसका भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विविध प्रकार से विऱोध शुरु हो रहा था। और इसकी तात्कालिक शुरुआत मेरठ से ही हुई।

1857 की क्रांति 

भारतीय इतिहास में 1857 की क्रांति, जनजागरण के विद्रोह का प्रतीक रहा है जिसमें सम्पूर्ण भारत के विविध क्षेत्रों से शोषितों द्वारा शोषकों के खिलाफ विद्रोह हो रहे थे। इन सब विद्रोहों में सर्वाधिक विद्रोह अंग्रेजों की नीतियों के विरुद्ध थी। इन विद्रोहों की शुरुआत मेरठ से ही हुई। इसे प्रथम सैनिक विद्रोह के नाम से भी जाना जाता है।

प्रथम सैनिक विद्रोह का कारण

  • तत्कालीन कर्नल स्मिथ ने 90 भारतीय सैनिकों को कारतूस युक्त राइफल सौंपी गई। सैनिकों को खबर मिली की कारतूस में गाय व सुअर की चर्बी का इस्तेमाल किया गया है, सेना में 49 मुस्लिम व 36 हिंदू थे। जिन्होंने इस राइफल का प्रयोग न करने के लिए इंकार किया, अंग्रेज अधिकारियों ने 9 मई को सैनिकों को सेना से बर्खास्त कर उनकी वर्दी उतरवा दी, यह अपमान मेरठ विद्रोह(10 मई) का तात्कालिक कारण बना। 
  • इसके साथ ही विद्रोह का एक अन्य कारण सेना में भारतीय सैनिकों के साथ भेदभाव भी था।

विद्रोह के परिणाम

  • अंग्रेजी शासन की नीतियों के विरोध क्षेत्र का विस्तार हुआ। 
  • ब्रिटिश शासन अब कंपनी से सीधे ब्रिटिश सरकार के पास चला गया। 
  • क्रांति का अंतिम परिणाम भारत की स्वतंत्रता के रूप में आया। 

अतः मेरठ भारत की प्रथम सभ्यता से लेकर रामायण व महाभारत की गाथा और प्रथम सैनिक विद्रोह के साथ कई विद्रोही गतिविधियों को समेटे हुए है। 

स्रोत

The Hindu

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