22 May 2000 रुपये का नोट चलन से बाहर
संदर्भ-
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने क्लीन नोट पॉलिसी के तहत संचलन से 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को वापस लेने का फैसला किया है।
आरबीआई का सर्कुलर–
- रिजर्व बैंकने 2000 के नोटों को बदलने के लिए 30 सितंबर तक की समय सीमा निर्धारित की है। आरबीआई की घोषणा के मुताबिक, 2000 रुपये का नया नोट अब जारी नहीं किया जाएगा। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं कि 2000 रुपये के नोट की वैधता समाप्त होगी। फिलहाल, 2000 रुपये के नोट वैध रहेंगे।
- आरबीआई ने लोगों को इन बैंक नोटों को जमा करने/या बदलने के लिए बैंक शाखाओं से संपर्क करने की सलाह दी है।
- रिजर्व बैंक अनुसार, 23 मई 2023 से किसी भी बैंक में एक समय में 2000 रुपये के नोटको अन्य मूल्यवर्ग के नोटों से बदले जा सकते हैं। नोट बदलने की सीमा 20,000 रुपये है। यानी एक बार में 20000 रुपये तक के नोट बदले जाएंगे।
2000 रुपये के नोट क्यों लाए गए?
- आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 24(1) के तहत केंद्रीय बैंक को किसी भी मूल्यवर्ग के नोट जारी करने की अनुमति है, जो 10,000 मूल्य वर्ग से अधिक न हो।
- नवंबर 2016 को आरबीआई अधिनियम, 1934 की धारा 24(1) के तहत 8 नवंबर, 2016 को मंगलयान की थीम वाला 2000 रुपये का नया नोट पेश किया गया था। दरअसल, उस वक्त 500 रुपये और हजार रुपये के नोट को बंद कर दिया गया था। जिसके बाद 500 रुपये और 2000 रुपये का नया नोट पेश किया गया।
- रिजर्व बैंक का मानना था कि 2000 रुपये का नोट 500 और हजार रुपये के नोट के वैल्यू की भरपाई जल्द कर देगा।
- गौरतलब है कि 2000 रुपये के नए नोटों को प्रचलन से बाहर करने की उम्मीद पहले से ही थी, क्योंकि बहुत ही नियोजित तरीके से इस बारे में आरबीआई कदम उठा रहा था।
आरबीआई ने 2000 रुपए के नोट क्यों बंद कर दिए हैं?
- जब नोटबंदी हुई थी तब सरकार ने 2000 रुपये के नए नोट लाए थे। नोटबंदी में 500 और 1000 रुपये के नोट को बैन कर दिया गया था।
- इस उपाय का उद्देश्य उस समय तत्काल मुद्रा आवश्यकताओं को पूरा करना था। हालांकि, 2018-19 में 2000 रुपये के बैंक नोटों की छपाई रोक दी गई थी क्योंकि उनका उद्देश्य पूरा हो गया था।
- आरबीआई के मुताबिक 2000 रुपये के नोट आमतौर पर लेनदेन में बहुत ज्यादा इस्तेमाल में नहीं हो रहे हैं।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20, वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में 2000 रुपये केएक भी नोट नहीं छापे गए हैं, इस वजह से बाजार में 2000 रुपये के नोटों का सर्कुलेशन कम हुआ है।
स्वच्छ नोट नीति:
- भारतीय रिजर्व बैंक की ‘स्वच्छ नोट नीति’ के तहत 2000 रुपये मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस लेने का निर्णय लिया गया है।
- इस नीति का उद्देश्य प्रचलन में मुद्रा की गुणवत्ता को बनाए रखना और बैंकिंग प्रणाली में दक्षता को बढ़ावा देना है
- क्लीन नोट पॉलिसी का उद्देश्य जनता को बेहतर सुरक्षा विशेषताओं के साथ अच्छी गुणवत्ता वाले करेंसी नोट और सिक्के देने का प्रयास करती है।
- नोटों के मुद्दे को हल करने के लिए1999 में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा “क्लीन नोट पॉलिसी” पेश की गई थी।
- बैंकों को निर्देश दिया जाता है कि वे कटे-फटे, और गंदे नोट ग्राहकों को न दें और इसके बजाय उन्हें आरबीआई के पास जमा करें।
- आरबीआई के 2009 के नोट रिफंड नियमों के तहत गंदे और कटे-फटे करेंसी नोटों को टेलर काउंटर पर आसानी से बदला जा सकता है।
जमाखोरी की चिंता:
- 2,000 रुपए के बैंक नोटों को वापस लेने से काले धन पर ‘काफी हद तक’ अंकुश लगाने में मदद मिलेगी क्योंकि लोग उच्च मूल्य के नोटों की जमाखोरी कर रहे हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) :
- स्थापना -1 अप्रैल 1935, कोलकाता
- मुख्यालय – मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
- आरबीआई की स्थापना 1935 में आरबीआई अधिनियम 1934 द्वारा की गई थी।
- आरबीआई बैंकों का बैंक, भारत सरकार के बैंकर और ऋण नियंत्रक के रूप में कार्य करता है।
- आरबीआई भारतीय अर्थव्यवस्था में नोटों की छपाई और पैसों की आपूर्ति का प्रबंधन करने के लिए भी जिम्मेदार होता है।
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