20 Dec बायोएथेनॉल पेट्रोल सम्मिश्रण: चुनौतियाँ और समाधान
( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘द हिन्दू ‘ , ‘संसद टीवी के सरोकार कार्यक्रम ’ भारत सरकार के ‘ राष्ट्रीय राजमार्ग आधिकारिक वेबसाइट ‘ , ‘ ऊर्जा और पर्यावरण एक अंतःविषय पत्रिका, जो ऊर्जा नीति विश्लेषकों, प्राकृतिक वैज्ञानिकों और इंजीनियरों, साथ ही वकीलों और अर्थशास्त्रियों को आपसी समझ और सीखने में योगदान देने के लिए आमंत्रित करती है ‘ के और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी और उर्जा के विभिन्न स्त्रोत ’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ‘बायोएथेनॉल पेट्रोल सम्मिश्रण: चुनौतियाँ और समाधान ’ से संबंधित है।)
सामान्य अध्ययन : पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी और उर्जा के विभिन्न स्त्रोत।
चर्चा में क्यों?
सरकार ने ‘इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम’ (Ethanol Blending Programme- EBP) के तहत वर्ष 2022 तक पेट्रोल में 10 प्रतिशत बायो इथेनॉल सम्मिश्रण का लक्ष्य रखा था। जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक बढ़ाकर 20 प्रतिशत तक करना था, किन्तु हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री ने G20 ऊर्जा मंत्रियों की बैठक में घोषणा की कि भारत ने वर्ष 2023 में 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम लॉन्च किया है तथा जिसे वर्ष 2025 तक पूरे देश में पूरा कर लेने का लक्ष्य है।
- भारत में इथेनॉल का उत्पादन गन्ने से निर्मित गुड़ से लेकर चावल, मक्का और अन्य अनाज जैसे विभिन्न फीडस्टॉक द्वारा किया जाता है।
- यह कदम जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने और सतत् ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के लिये भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इथेनॉल और मेथनॉल दोनों ही केवल दो प्रकार के अल्कोहल हैं। इथेनॉल, जिसे एथिल अल्कोहल भी कहा जाता है, दो कार्बन परमाणुओं के साथ रासायनिक संरचना से मिलकर बनता है। जबकि मेथनॉल, जिसे मिथाइल अल्कोहल भी कहा जाता है, केवल एक कार्बन परमाणु से बना होता है। इथेनॉल आमतौर पर एथिल समूह के संयोजन से निर्मित होता है।
प्रमुख बिंदु:
- ‘इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम’ को ‘राष्ट्रीय जैव ईंधन नीति’- 2018 के अनुरूप लॉन्च किया गया था।
- वर्तमान में पेट्रोल में बायो इथेनॉल का सम्मिश्रण लगभग 5% है।
इथेनॉल सम्मिश्रण की आवश्यकता:
- भारत आयातित कच्चे तेल पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता है। यह अनुमान है कि 5% इथेनॉल सम्मिश्रण के परिणामस्वरूप लगभग 1.8 मिलियन बैरल कच्चे तेल का आयात कम हो जाएगा।
- इथेनॉल सामग्री के रूप में चीनी उद्योग के उप-उत्पाद का प्रयोग किया जाता है, जिससे कार्बन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रोकार्बन के उत्सर्जन में शुद्ध कमी (Net Reduction) होने की उम्मीद है।
इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम (Ethanol Blending Programme- EBP):
पृष्ठभूमि:
- 5% इथेनॉल सम्मिश्रित पेट्रोल की आपूर्ति के लिये ‘पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय’ द्वारा ‘इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल’ (Ethanol Blended Petrol- EBP) कार्यक्रम को जनवरी, 2003 में प्रारंभ किया गया था।
- तेल विपणन कंपनियाँ (OMCs), सरकार द्वारा तय की गई पारिश्रमिक कीमतों पर घरेलू स्रोतों से इथेनॉल की खरीद करती हैं।
- वर्तमान में कार्यक्रम का संपूर्ण भारत (अंडमान निकोबार और लक्षद्वीप द्वीपो को छोड़कर) में विस्तार कर दिया गया है।
इथेनॉल:
परिचय:
- इथेनॉल जिसे एथिल अल्कोहल भी कहा जाता है, यह गन्ना, मक्का, चावल, गेहूँ और बायोमास जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पादित जैव ईंधन है।
- इथेनॉल की उत्पादन प्रक्रिया में खमीर द्वारा या एथिलीन हाइड्रेशन जैसी पेट्रोकेमिकल प्रक्रियाओं के माध्यम से शर्करा का किण्वन किया जाता है।
- इथेनॉल 99.9% शुद्ध अल्कोहल है जिसे स्वच्छ ईंधन विकल्प बनाने के लिये पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है।
- ईंधन योज्य होने के अतिरिक्त इथेनॉल उत्पादन से घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज और बॉयलर की भस्मक राख से पोटाश जैसे मूल्यवान उप-उत्पाद प्राप्त होते हैं जिनका विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होता है।
इथेनॉल (Ethanol):
|
इथेनॉल उत्पादन के उपोत्पाद:
- घुलनशील पदार्थों के साथ डिस्टिलरीज़ का सूखा अनाज (DDGS):
- DDGS अनाज आधारित इथेनॉल उत्पादन का एक उपोत्पाद है।
- यह अनाज में स्टार्च के किण्वन और इथेनॉल निकालने के बाद बचा हुआ अवशेष है।
- DDGS उच्च प्रोटीन सामग्री वाला एक मूल्यवान पशु चारा है और इसका उपयोग पशुधन आहार के पूरक के लिये किया जाता है।
बॉयलर की भस्मक राख से पोटाश:
- बॉयलर में इथेनॉल उत्पादन के बाद बची राख में 28% तक पोटाश होता है।
- यह राख पोटाश का एक समृद्ध स्रोत है और इसका उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
ईंधन के रूप में इथेनॉल के अनुप्रयोग:
- इथेनॉल का उपयोग परिवहन क्षेत्र में गैसोलीन के नवीकरणीय और स्थायी जैव ईंधन विकल्प के रूप में किया जाता है।
- इसे विभिन्न अनुपातों में पेट्रोल के साथ मिश्रित किया जा सकता है, जैसे- E10 (10% इथेनॉल, 90% पेट्रोल) और E20 (20% इथेनॉल, 80% पेट्रोल)।
- भारत सरकार ने नवीकरणीय ईंधन के रूप में इथेनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिये ‘ इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम ‘ शुरू किया है।
- इस कार्यक्रम का उद्देश्य आयातित कच्चे तेल पर देश की निर्भरता को कम करने, कार्बन उत्सर्जन में कटौती और किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिये पेट्रोल के साथ इथेनॉल का मिश्रण करना है।
- इथेनॉल मिश्रण ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन और वायु प्रदूषकों को कम करने, स्वच्छ हवा में योगदान देने तथा जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करता है।
भारत के फीडस्टॉक्स का विविधीकरण:
गुड़ के विभिन्न प्रकार :
- A गुड़ (प्रारंभिक गुड़): प्रारंभिक चीनी क्रिस्टल निष्कर्षण से प्राप्त एक मध्यवर्ती उप-उत्पाद, जिसमें 80-85% शुष्क पदार्थ (DM) होता है। यदि भंडारण किया जाए तो क्रिस्टलीकरण को रोकने के लिये इसे आर्द्र किया जाना चाहिए ।
- B गुड़ (द्वितीयक गुड़): इस गुड़ में A गुड़ ( प्रारंभिक गुड़ ) के समान शुष्क पदार्थ (DM) सामग्री तो होता है लेकिन कम चीनी और कोई सहज क्रिस्टलीकरण प्रक्रिया नहीं होती है।
- C गुड़ (अंतिम गुड़, ब्लैकस्ट्रैप गुड़, ट्रेकल): यह चीनी प्रसंस्करण का सबसे अंतिम उप-उत्पाद है , जिसमें पर्याप्त मात्रा में सुक्रोज़ (लगभग 32 से 42%) होता है। यह क्रिस्टलीकृत नहीं होता है और इसका उपयोग तरल या सूखे रूप में वाणिज्यिक फीड घटक के रूप में किया जाता है।
- भारत में इथेनॉल का उत्पादन मुख्य रूप से ‘C-गुड़’ पर आधारित था, जिसमें 40-45% चीनी सामग्री होती थी, जिससे प्रति टन 220-225 लीटर इथेनॉल प्राप्त होता था।
- भारत ने इथेनॉल उत्पादन, उपज और दक्षता बढ़ाने के लिये सीधे गन्ने के रस की खोज की।
- देश ने चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का, ज्वार, बाजरा और कदन्न को शामिल करके अपने फीडस्टॉक में विविधता प्रदर्शित करते हुए इथेनॉल उत्पादन को बढाया है।
- अनाज से इथेनॉल की पैदावार गुड़ की तुलना में अधिक होती है, चावल से 450-480 लीटर और अन्य अनाज से 380-460 लीटर प्रति टन का उत्पादन होता है।
- चीनी मिलों ने चावल, क्षतिग्रस्त अनाज, मक्का और कदन्न को फीडस्टॉक के रूप में उपयोग कर इसमें विविधता ला दी है।
- अग्रणी चीनी कंपनियों ने डिस्टिलरीज़ स्थापित की हैं जो पूरे वर्ष कई फीडस्टॉक पर कार्य कर सकती हैं।
- सरकार की विभेदक मूल्य निर्धारण नीति ने वैकल्पिक फीडस्टॉक के उपयोग को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुछ फीडस्टॉक से उत्पादित इथेनॉल के लिये उच्च कीमतें तय करके मिलों को कम चीनी उत्पादन के लिये मुआवज़ा दिया गया।
- वर्ष 2018-19 से भारत सरकार ने B-भारी गुड़ और साबुत गन्ने के रस/सिरप से उत्पादित इथेनॉल के लिये उच्च कीमतें तय करना शुरू कर दिया।
लाभ:
- फीडस्टॉक के विविधीकरण से किसी एक फसल के कारण आपूर्ति में उतार-चढ़ाव के साथ कीमत में अस्थिरता कम हो जाएगी।
- इथेनॉल उत्पादन के लिये नए फीडस्टॉक को शामिल करने से नई अनाज मांग उत्पन्न हो सकती है।
इथेनॉल और मेथनॉल के बीच अंतर | |
इथेनॉल एक प्रकार का अल्कोहल है जिसके कार्बन कंकाल में एथिल समूह होता है। | मेथनॉल इसके कार्बन बांड मिथाइल समूह में शामिल है। |
अम्लता की दृष्टि से इथेनॉल पानी की तुलना में खराब अम्ल है। | मेथनॉल पानी की तुलना में अधिक अम्लीय होता है |
इथेनॉल में भारी, जलती हुई गंध होती है और चमकदार नीली लौ निकलती है। | मेथनॉल अप्रत्याशित है और इसमें एक विशिष्ट गंध होती है। जलाने पर इससे हल्की सफेद लौ निकलती है। |
इथेनॉल आमतौर पर कारखानों से खाद्य फसलों के किण्वन द्वारा तैयार किया जाता है। | मेथनॉल का निर्माण मुख्य रूप से सिंथेटिक प्रक्रियाओं द्वारा किया जाता है। |
इथेनॉल मादक पेय पदार्थों का प्राथमिक घटक है। | चूंकि मेथनॉल अत्यधिक जहरीला होता है इसलिए इसका उपयोग बिल्कुल भी उचित नहीं है। आमतौर पर फॉर्मेल्डिहाइड आदि जैसे उत्पादों के निर्माण में उपयोग किया जाता है। |
चुनौतियाँ:
- अनाज से अधिक इथेनॉल निकलता है लेकिन उसमें लंबे समय तक प्रसंस्करण की आवश्यकता होती है। अनाज में खमीर (Saccharomyces Cerevisiae) का उपयोग करके इथेनॉल में उनके किण्वन से पहले ही स्टार्च को सुक्रोज़ और सरल शर्करा (ग्लूकोज़ एवं फ्रुक्टोज़) में परिवर्तित किया जाता है। गुड़ में पहले से ही सुक्रोज़, ग्लूकोज़ और फ्रुक्टोज़ होता है।
- फीडस्टॉक की गुणवत्ता एवं परिवर्तनशीलता उत्पादन को प्रभावित कर रही है।
- गैर-पारंपरिकऔर फीडस्टॉक्स से संबंधित पर्यावरणीय चिंताएँ भी जाहिर की जा रही है, क्योंकि भारत वैश्विक भूखमरी सूचकांक में भी बुरी स्थिति में है। ऐसी स्थिति में भारत को खाद्य – सुरक्षा अधिनियम के मानकों को भी सुनिश्चित करना होगा तथा साथ – ही साथ अपनी विशाल जनसंख्या/ नागरिकों को खाद्य – सुरक्षा गारंटी भी सुनिश्चित करनी होगी।
इथेनॉल सम्मिश्रण में चुनौतियाँ:
आपूर्ति का अभाव:
- वर्तमान में भारतीय तेल विपणन कंपनियों (OMCs) का घरेलू बायो-इथेनॉल उत्पादन पेट्रोल में सम्मिश्रण के लिये मांग की पूर्ति के लिये पर्याप्त नहीं है।
- चीनी मिलें, जो OMCs को जैव-इथेनॉल के उत्पादन में कच्ची सामग्री के प्रमुख आपूर्तिकर्त्ता हैं, कुल मांग का केवल 57.6% आपूर्ति करने में सक्षम हैं।
1G और 2G जैव ईंधन संयंत्र:
- 1G बायो-इथेनॉल संयंत्र मे चीनी के उत्पादन से उत्पन्न उप-उत्पादों यथा- गन्ने के रस और गुड़ का उपयोग किया जाता है, जबकि 2G संयंत्र बायोएथेनॉल का उत्पादन करने के लिये अधिशेष बायोमास और कृषि अपशिष्ट का उपयोग करते हैं।
- वर्तमान में तीन OMCs; इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड, 2G बायो-इथेनॉल संयंत्र स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं।
कीमत निर्धारण:
- 2G संयंत्रों में जैव-इथेनॉल के उत्पादन के लिये आवश्यक कृषि अपशिष्ट प्राप्त करने की कीमत वर्तमान में देश में निजी निवेशकों के लिये बहुत अधिक है।
- केंद्र सरकार द्वारा गन्ना और बायो-इथेनॉल दोनों की कीमतें निर्धारित की जाती हैं अत: भविष्य में बायोइथेनॉल की कीमत की अनिश्चितता को लेकर निवेशक चिंतित हैं।
वाटर फुटप्रिंट (Water Footprint):
- वाटर फुटप्रिंट, एक लीटर इथेनॉल का उत्पादन करने के लिये आवश्यक जल की मात्रा होती है।
- इथेनॉल के उत्पादन के लिये आवश्यक जल की आपूर्ति वर्षा जल के माध्यम से नहीं हो पाती है।
भारत में इथेनॉल मिश्रण को बढ़ावा देने के लिये सरकार की पहल:
- जैव ईंधन पर राष्ट्रीय नीति 2018
- E100 पायलट प्रोजेक्ट
- प्रधानमंत्री जी-वन योजना 2019
- खाना पकाने में प्रयुक्त होने वाले तेल का पुन: उपयोग (RUCO)
आगे की राह:
- बायोइथेनॉल की कीमतों के निर्धारण में अधिक पारदर्शिता प्रदान की जानी चाहिए , इसके लिए एक कीमत निर्धारण प्रक्रिया की घोषणा की जानी चाहिए कि जिसके आधार पर ही बायोइथेनॉल की कीमत तय की जाएगी।
- 1G, 2G, 3G तथा 4G बायोएथेनॉल संयंत्र में प्रत्येक के लिये इथेनॉल उत्पादन के लिए निश्चित लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए इससे निवेश को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
- किसान से कृषि अपशिष्ट को एकत्रित करने लिए राज्य सरकारों को डिपो (अपशिष्ट संग्रहण केंद्र) स्थापित करने की आवश्यकता है। जिससे किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा से बचाया जा सके और बिचौलियों द्वारा सरकार द्वारा तय की गई कीमत से कम भुगतान नहीं हो , ऐसी परिस्थिति सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
- बायोएथेनॉल न केवल ऊर्जा का एक स्वच्छ स्रोत है, बल्कि 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने तथा कृषि अपशिष्ट के व्यावसायीकरण द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा।
Download yojna daily current affairs hindi med 20th DEC 2023
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- 1. खबरों में रहे ‘इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इथेनॉल जिसे एथिल अल्कोहल भी कहा जाता है, यह गन्ना, मक्का, चावल, गेहूँ और बायोमास जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पादित जैव ईंधन है।
- बॉयलर में इथेनॉल उत्पादन के बाद बची राख जिसमें 28% तक पोटाश होता है, का उपयोग उर्वरक के रूप में किया जा सकता है।
- भारत ने वर्ष 2023 में 20% इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल कार्यक्रम लॉन्च किया है तथा जिसे वर्ष 2025 तक पूरे देश में पूरा कर लेने का लक्ष्य है।
- बायोएथेनॉल ऊर्जा का एक परंपरागत, अस्वच्छ और महंगा स्रोत है, जिससे 2022 किसानों की आय दोगुनी तथा वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा सत्य है ?
(a). केवल 1, 2 और 4.
(b). केवल 1,2 और 3.
(c). इनमें से कोई नहीं।
(d). इनमें से सभी ।
उत्तर – (b).
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1. भारत में जीवाश्म और परंपरागत ईंधन पर निर्भरता को कम करने एवं स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के लिए ‘ इथेनॉल सम्मिश्रण पेट्रोल कार्यक्रम ’ के लाभों और उसकी राह में उत्पन्न होने वाली चुनौतियों पर तर्कसंगत व्याख्या कीजिए।
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
No Comments