02 Jan भारत – दक्षिण कोरिया रक्षा – सहयोग संबंधों की लौ को पुनर्जीवित करना
( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू’ ,‘ वर्ल्ड फोकस ’ और ‘ पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, भारत- दक्षिण कोरिया रक्षा – सहयोग’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ भारत – दक्षिण कोरिया रक्षा – सहयोग संबंधों की लौ को पुनर्जीवित करना ’ से संबंधित है। )
सामान्य अध्ययन: अंतर्राष्ट्रीय संबंध , भारतीय राजनीति एवं शासन व्यवस्था, भारत- दक्षिण कोरिया रक्षा – सहयोग।
चर्चा में क्यों ?
भारत ने वर्ष 2023 की G20 अध्यक्षता के दौरान सात दशक पूर्व हुए कोरियाई युद्ध में अपनी राजनयिक भूमिका के योगदान को पुनः स्मरण किया। भारत और दक्षिण कोरिया ने विगत कई वर्षों में द्विपक्षीय संधियों और समझौतों के माध्यम से अपने आपसी संबंधों को नई ऊँचाई प्रदान की है। वैश्विक महामारी COVID-19 के दौरान दोनों देशों के मध्य स्वास्थ्य क्षेत्र में भी बेहतर आपसी समन्वय देखने को मिला। कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए दक्षिण कोरिया ने परीक्षण की तेज़ गति, कठोर क्वारंटीन नीति तथा कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग जैसी रणनीतियों पर गंभीरता से कार्य किया, जो भारत के लिए पथ – प्रदर्शक साबित हुए। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच मज़बूत व्यापारिक और आर्थिक संबंध के अलावा गतिशील रक्षा संबंधों को भी समान महत्त्व दिया जा रहा है। वर्ष 2019 में भारत और दक्षिण कोरिया (India and South Korea) ने विशेष रणनीतिक साझेदारी (Special Strategic Partnership) के तहत एक समझौता किया है जिसके अंतर्गत दोनों देश एक-दूसरे के नौसैनिक अड्डों का उपयोग रसद के आदान-प्रदान के लिए कर करेंगे। हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उनके दक्षिण कोरियाई समकक्ष शु वुक (Suh Wook) के बीच दोनों देशों ने रक्षा औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान, रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन और इनके संयुक्त निर्यात पर जोर देने का फैसला लिया। इस बैठक में रक्षा औद्योगिक सहयोग पर व्यापक चर्चा की गई। दक्षिण कोरिया एक मजबूत सहयोगी के तौर पर भारत को हथियारों एवं सैन्य उपकरणों का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। साल 2019 में भारत और दक्षिण कोरिया ने विभिन्न नौसेना प्रणालियों के संयुक्त उत्पादन में सहयोग को लेकर एक रोडमैप को अंतिम रूप दिया था।
- कोरियाई युद्ध में भारत की भूमिका आंशिक रूप से सफल रही, फिर भी भारत की गणना उन देशों में की जाती है, जिन्होंने युद्ध को समाप्त करने में योगदान दिया।
कोरियाई युद्ध का घटनाक्रम:
पृष्ठभूमि:
- इस युद्ध घटनाक्रम का संबंध वर्ष 1910-1945 के मध्य कोरिया पर जापानी नियंत्रण में संघर्ष की जड़ निहित है।
- द्वितीय विश्व युद्ध में जब जापान की पराजय हुई, तो मित्र देशों की सेना याल्टा सम्मेलन (1945) में “कोरिया पर फोर पॉवर ट्रस्टीशिप” स्थापित करने के लिए सहमत हुए।
- एक ओर जब यूनियन ऑफ सोवियत सोशलिस्ट रिपब्लिक (USSR) ने कोरिया पर आक्रमण किया और उत्तरी क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया, वहीं दक्षिण कोरिया अपने बाकी सहयोगियों के साथ मुख्य रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका के अधीन रहा।
- कोरिया को दो भागों में विभाजित करने वाली आधिकारिक सीमा 38वीं समानांतर उत्तरी और दक्षिणी कोरिया के रूप में दोनों क्षेत्रों का विभाजन कर दिया गया था, जो अभी भी कोरिया को दो भागों में विभाजित करने वाली आधिकारिक सीमा बनी हुई है।
- कोरिया गणराज्य (दक्षिण कोरिया) एवं डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (उत्तर कोरिया) की स्थापना वर्ष 1948 में की गई थी।
- क्षेत्रीय एवं वैचारिक रूप से अपनी पहुँच बढ़ाने की कोशिश दोनों ही देशों ने अपने – अपने स्तर पर की, जिससे दोनों देशों के मध्य कोरियाई संघर्ष उभर कर सामने आया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- दक्षिण कोरिया और भारत के संबंध आज से नहीं बल्कि लगभग 2000 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं।
- ऐसी अनेकों दंतकथाएं और अनुश्रुतियां है और ऐसा माना जाता है कि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना ने कोरिया के राजा किम-सुरो से विवाह किया था। अतः दोनों देशों के बीच हुए इस वैवाहिक संबंधों के मद्देनज़र एक संयुक्त डाक टिकट भी जारी किया जा चुका है।
- बौद्ध धर्म की उत्पत्ति मुख्यतः भारत में हुई लेकिन इसका प्रसार चीन, जापान और कोरिया तक हुआ, इस प्रकार धर्म के प्रसार से हुए सांस्कृतिक संबंध दोनों देशों को एक-दूसरे को करीब लाते हैं।
- बौद्ध धर्म के प्रसार के लिए भारत के कई शासकों ने अपने दूतों को इस क्षेत्र में भेजा था साथ – ही – यहाँ के छात्र भी भारत के बौद्ध – शिक्षा केंद्रों में शिक्षा प्राप्त करने के लिए आते थे।
भारत – दक्षिण कोरिया सहयोग के विभिन्न क्षेत्र:
राजनीतिक क्षेत्र:
- सन 1945 ई. में दक्षिण कोरिया की आज़ादी के बाद से ही भारत और दक्षिण कोरिया के राजनीतिक संबंधों की शुरुआत हुई। भारत ने हमेशा से ही दक्षिण कोरिया के मामलों में महत्त्वपूर्ण और सकारात्मक भूमिका निभाई है।
- कोरिया में चुनाव करवाने के लिए वर्ष 1947 में गठित 9 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र आयोग के अध्यक्ष के रूप में भारत के श्री के.पी.एस. मेनन ही नियुक्त किए गए थे।
- कोरिया युद्ध (वर्ष 1950-53) के दौरान, युद्ध के दोनों पक्षों ने भारत द्वारा प्रायोजित एक संकल्प को स्वीकार कर लिया और 27 जुलाई 1953 को युद्ध विराम की घोषणा हुई, जो भारत की एक बड़ी उपलब्धि थी।
- भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा वर्ष 2006 में की गई कोरिया गणराज्य की राजकीय यात्रा ने भारत-कोरिया गणराज्य संबंधों के एक नए दौर की शुरूआत की थी। इस यात्रा के दौरान द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement-CEPA) पर निर्णय लेने के लिए एक कार्य – बल का गठन किया गया। जनवरी, 2010 को इस व्यापक आर्थिक – साझेदारी करार को प्रभावी किया गया।
- भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वर्ष 2019 में की गई दक्षिण कोरियाई यात्रा अत्यंत महत्वपूर्ण रही जब उन्हें सियोल शांति पुरस्कार (Seoul Peace Prize) से सम्मानित किया गया। इस तरह भारत और दक्षिण कोरिया दोनों देशों के बीच राजनीतिक संबंध काफी मज़बूत रहें हैं।
व्यापारिक एवं आर्थिक क्षेत्र:
- कोरिया, भारत का 15वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत – कोरिया गणराज्य आपसी व्यापार में पोत निर्माण, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल, खाद्य – प्रसंस्करण तथा विनिर्माण आदि क्षेत्र प्रमुख हैं।
- कोरिया गणराज्य में भारतीय तकनीकी कंपनियों का निवेश लगभग 2 बिलियन है। वहीँ कोरिया गणराज्य की सैमसंग, हुंडई मोटर्स और एलजी जैसी बड़ी कंपनियों ने भारत में लगभग 3 बिलियन डॉलर से अधिक निवेश किया है।
- कोरिया की छोटी-बड़ी 603 फर्में भारत में आधिकारिक रूप से कार्यरत हैं। बहुराष्ट्रीय कोरियन कंपनी सैमसंग ने विश्व का अपना सबसे बड़ा उद्यम नोएडा में लगाकर अपनी मंशा साफ कर दी है कि यदि भारत निवेश के अनुकूल वातावरण बनाए, तो कोरिया निवेश में पीछे नहीं रहेगा।
- इसके अलावा कोरिया ने घोषणा की है कि वह भारत में एक स्टार्टअप सेंटर की स्थापना करेगा। दोनों देशों के बीच वर्ष 2019-2020 में द्विपक्षीय व्यापार 22.52 बिलियन डॉलर हो गया।
सांस्कृतिक क्षेत्र:
- भारत तथा कोरिया गणराज्य के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने के लिए अप्रैल 2011 में सियोल में तथा दिसंबर 2013 में बूसान में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र का गठन किया गया।
- भारत के दिल्ली में स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और दिल्ली विश्वविद्यालय, क्रमशः कोरिया अध्ययन एवं कोरियन भाषा पाठ्यक्रमों में स्नातक – स्तर से लेकर पीएचडी पाठ्यक्रम तक का शोध कार्यक्रम संचलित कर रहे हैं।
- वर्ष 2013 में कोरिया अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संघ द्वारा ‘भारतीय अध्ययन संस्थान कोरिया’ की स्थापना की गई। ‘भारतीय अध्ययन संस्थान कोरिया’ एक ऐसा मंच है जो बड़ी संख्या में कोरियाई व भारतीय शिक्षाविदों, अर्थशास्त्रियों और व्यावसायिक-प्रतिनिधियों को एकजुट कर एक मंच प्रदान करता है।
- भारत और कोरिया गणराज्य के बीच युवा प्रतिनिधिमण्डलों का आदान-प्रदान वार्षिक आधार पर कई वर्षों से हो रहा है।
दक्षिण कोरिया में रह रहे प्रवासी भारतीय :
- कोरिया गणराज्य में रह रहे भारतीय नागरिकों की कुल संख्या लगभग 11,000 के आस-पास है। कोरिया गणराज्य में लगभग 1000 से अधिक भारतीय शोधार्थी स्नातकोत्तर एवं पीएचडी – पाठ्यक्रमों में अध्ययन और शोध कर रहे हैं।
- सूचना प्रौद्योगिकी, जहाज़रानी एवं ऑटोमोबाइल जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों के अनेक पेशेवरों ने पिछले कुछ वर्षों में मुख्य रूप से भारत से कोरिया गणराज्य में प्रवास किया है और वहां की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में वे महत्वपूर्ण योगदान दे रहें हैं।
भारत – दक्षिण कोरिया द्विपक्षीय संबंधों का वर्तमान – परिप्रेक्ष्य :
- दक्षिण कोरिया जहाँ नई दक्षिणी रणनीति (New Southern Policy) के माध्यम से भारत के साथ बेहतर संबंध स्थापित करना चाहता है, वहीं भारत अपनी लुक ईस्ट पॉलिसी (Look East Policy) के माध्यम से अपने संबंधों को बढ़ावा दे रहा है।
- दक्षिण कोरिया ने भारत को अपना विशेष रणनीतिक साझेदार घोषित किया है, दक्षिण कोरिया ने इस प्रकार का समझौता केवल अपने पारंपरिक सहयोगियों जैसे जापान और अमेरिका के साथ ही किया है।
- वैश्विक महामारी Covid-19 के दौर में दोनों देशों के द्वारा स्वास्थ्य से संबंधित उपकरणों जैसे- टेस्टिंग किट, मास्क तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने वाली दवाओं का परस्पर आदान-प्रदान सुनिश्चित किया गया है।
- दक्षिण कोरिया और भारत दोनों देशों के बीच मंत्री स्तर की संयुक्त बैठक के साथ ही सचिव स्तर पर 2+2 डायलाॅग (2 + 2 Dialogue) जैसी वार्ता चल रही है, जिससे भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही देश अपने सामरिक संबंधों को लगातार मज़बूती प्रदान कर रहे हैं ,का पता चलता है।
- व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता जो भारत और दक्षिण कोरिया को आपस में महत्त्वपूर्ण धातुओं और उससे बनी वस्तुओं के नि:शुल्क आयात की अनुमति देता है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच आपस में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता (Comprehensive Economic Partnership Agreement) भी है।
- भारत के साथ त्रिपक्षीय आधार पर एक परियोजना का निर्माण दक्षिण कोरिया, अफगानिस्तान में कर रहा है। इसके साथ – ही – साथ वह भारत की अफगानिस्तान नीति का सदैव समर्थन करता रहा है।
- नई दिल्ली स्थित ‘ राष्ट्रीय लघु उद्यम निगम ’ के परिसर में भारत-दक्षिण कोरिया प्रौद्योगिकी विनिमय – केंद्र (Technology Exchange – Centre) की स्थापना की गई है। इसके माध्यम से दोनों देश लघु और मध्यम उद्योगों के क्षेत्र में एक-दूसरे की सहायता कर रहे हैं।
- कोरिया प्लस (Korea Plus) का संचालन जून 2016 से दोनों देशों के बीच किया जा रहा है जिसमें दक्षिण कोरिया उद्योग, व्यापार तथा ऊर्जा मंत्रालय, कोरिया व्यापार निवेश एवं संवर्द्धन एजेंसी (Korea Trade Investment and Promotion Agency- KOTRA) और इन्वेस्ट इंडिया के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- कोरियाई ब्रॉडकास्टिंग सिस्टम और प्रसार भारती ने दक्षिण कोरिया में दूरदर्शन इंडिया चैनल तथा भारत में कोरियाई ब्रॉडकास्टिंग चैनल के प्रसारण की सुविधा देने के साथ ही भारत – दक्षिण कोरिया के बीच के आपसी सांस्कृतिक स्तर पर संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भी आपस में सहमति जताई है।
भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों में चुनौतियाँ:
- दक्षिण कोरिया का भारत की अपेक्षा चीन से आपस में व्यापार लगभग 10 गुना अधिक है। अतः हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि भले ही भारत, दक्षिण कोरिया के साथ समझौता करके सामरिक और व्यापारिक दृष्टि से चीन को दरकिनार करना चाहता है लेकिन एक निर्विवाद सत्य यह भी है कि मुक्त व्यापार समझौते को लेकर दोनों देशों के बीच असमंजस की स्थिति बरकरार है, इसलिये भारत और दक्षिण कोरिया के बीच व्यापार अपेक्षित गति नहीं प्राप्त कर पा रहा है।
- विगत कुछ वर्षों में दक्षिण कोरिया और उत्तर कोरिया के आपसी संबंध सामान्य हुए हैं और अप्रत्यक्ष तौर पर यह माना जाता है कि उत्तर कोरिया तथा पाकिस्तान के बीच परमाणु कार्यक्रमों को लेकर साझेदारी है जो भारत के लिहाज़ से चिंता का विषय है।
- भारत और दक्षिण कोरिया दोनों देशों के मध्य सांस्कृतिक संबंधों पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है, परिणामस्वरूप नस्लीय भेद-भाव पर आधारित घटनाओं में वृद्धि हो रही है।
- भारत और दक्षिण कोरिया के मध्य एक दशक पहले ही सामरिक भागीदारी बढ़ाने पर सहमति बनी तो थी , लेकिन वह सहमति अभी कागजों पर ही सीमित है या ऐसा कहा जा सकता है कि इस संदर्भ में खास प्रगति नहीं हुई है।
- इण्डो-पैसिफिक क्षेत्र का विश्व व्यापार में सबसे ज्यादा योगदान है लेकिन भारत का इन द्विपीय देशों से संबंध उतना मजबूत नहीं है जितना होना चाहिए. जो भविष्य में सामरिक और व्यापारिक दोनों ही क्षेत्रों में भारत के लिए कठिनाई पैदा कर सकता है।
भारत-दक्षिण कोरिया एक-दूसरे के पूरक:
- एक ओर जहाँ भारत अपनी ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को अमली जामा पहनाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, वहीं दूसरी ओर दक्षिण कोरिया भी अपनी ‘नई दक्षिण नीति’ के अनुसार वो उत्तर-पूर्व एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और भारत के साथ अपने सामरिक और व्यापारिक संबंध मज़बूत करेगा।
- भारत की आबादी दक्षिण कोरिया से 24 गुना अधिक है जबकि प्रति-व्यक्ति जीडीपी के मामले में यह दक्षिण कोरिया का महज 16वाँ हिस्सा ही है। इस प्रकार दोनों के रिश्ते एक दूसरे के पूरक हो जाते हैं क्योंकि जहाँ दक्षिण कोरिया के पास उन्नत तकनीक और विशेषज्ञों के साथ पूँजी मौजूद है, वहीं भारत के पास बहुत बड़ा बाजार एवं कच्चे माल की उपलब्धता है जिसका लाभ दोनों देश उठा सकते हैं। जिससे दोनों ही देश आपस में अपनी सामरिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत बना सकते हैं।
- भारत के विपरीत दक्षिण कोरिया अपनी ऊर्जा ज़रूरतों के लिए पूर्णतः समुद्र से होने वाले आयात पर निर्भर है, जबकि भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही प्रायद्वीपीय देश हैं। ऐसे में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के बढ़ते रसूख के बीच समुद्री यातायात की सुरक्षा में दोनों देशों का साझा हित शामिल है। भारत और दक्षिण कोरिया के बीच आपसी हितों का तालमेल तकनीक हस्तांतरण को भी आसान बनाता है।
- हिंद महासागर में भारतीय नौसेना का दबदबा सियोल के लिए कारगर साबित हो सकता हैं। वहीं दक्षिण कोरिया की जहाज निर्माण क्षमताएँ भारत के लिए सहायक साबित हो सकती है। भारत में सैन्य और कारोबारी इस्तेमाल के लिए पोत निर्माण आधुनिकीकरण में दक्षिण कोरिया का सहयोग ‘लाभ का सौदा’ साबित हो सकता है।
- ड्रोन से लेकर एअर डिफेंस गन और सीमा की निगरानी की कारगर प्रणालियों तक साझेदारी के ऐसे कई मोर्चे हैं जिन पर दोनों देश आपस में वार्ता कर रहे हैं। उत्तर कोरिया के साथ लगने वाले डीमिलिट्राइज्ड जोन में दक्षिण कोरिया ने जिस तरह निगरानी के संवेदनशील सिस्टम विकसित किए हैं वो अगर भारत को प्राप्त हो जाएँ तो पाकिस्तान के साथ लगी नियंत्रण रेखा घुसपैठ की चुनौतियों से निपटने में भारत के लिये कारगर साबित हो सकते हैं। भारत और दक्षिण कोरिया मिसाइल एअर-डिफेंस सिस्टम के साझा विकास और उत्पादन को लेकर भी बात कर रहे हैं।
- भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही देश इंडो-पैसिफिक नीति के समर्थन में हैं और तो और, भारत की एक्ट ईस्ट नीति की तरह दक्षिण कोरिया की नई दक्षिण नीति का उद्देश्य भी दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया के देशों के साथ आर्थिक, राजनयिक, और सामरिक संबंधों का सुदृढ़ीकरण करना है।
- अमेरिका-चीन में बढ़ते व्यापार युद्ध को देखते हुए भारत को नये बाजार की आवश्यकता है। ऐसे में भारत दक्षिण कोरिया के साथ आर्थिक संबंधों को नई दिशा दे सकता है।
निष्कर्ष / आगे की राह :
- वैश्विक स्तर पर शांति व सुरक्षा प्रदान करने के संदर्भ में भारत और दक्षिण कोरिया दोनों ही देशों को अपना योगदान देने के लिए वर्तमान में जिस तरह दोनों देशों के बीच के आपसी संबंध प्रगाढ़ हो रहें हैं, वह दोनों ही देशों की आपसी सामरिक, व्यापारिक और सांस्कृतिक संबंधों की आपसी आवश्यकताओं और जरूरतों की ओर वैश्विक जगत का ध्यान अपनी ओर इंगित / आकर्षित कर है लेकिन इसे अभी और आगे ले जाने की ज़रूरत है जिससे विश्व शांति व सुरक्षा में ये दोनों ही देश अपना योगदान दे सकें।
- भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ तथा दक्षिण कोरिया की ‘नई दक्षिण नीति’ को बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता को कम करने के लिए मज़बूत करने की अभी और आवश्यकता है।
- अपनी सामरिक, व्यापारिक, सांस्कृतिक और रक्षा औद्योगिक सहयोग के क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान, रक्षा उपकरणों का संयुक्त उत्पादन और इनके संयुक्त निर्यात पर जोर देने के लिए भारत को दक्षिण कोरिया को अपने अति प्राथमिकता वाले देशों में शामिल करने की जरुरत है क्योंकि दक्षिण कोरिया एक मजबूत सहयोगी के तौर पर भारत को हथियारों एवं सैन्य उपकरणों का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता देश रहा है। अतः भारत और दक्षिण कोरिया को वर्तमान में क्षेत्रीय स्थिरता के लिए कदम से कदम मिलकर चलने की जरूरत है।
Download yojna daily current affairs hindi med 2nd Jan 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1 . दक्षिण कोरिया और भारत दोनों देशों के बीच चलने वाली 2+2 डायलाॅग (2 + 2 Dialogue) क्या है ?
(A) दक्षिण कोरिया और भारत के बीच चलने वाली एक रेल – परियोजना।
(B) दक्षिण कोरिया और भारत के बीच नौसेना प्रणालियों के संयुक्त उत्पादन में सहयोग को लेकर बनी एक रोडमैप।
(C) नई दिल्ली स्थित ‘ राष्ट्रीय लघु उद्यम निगम ’ के परिसर में भारत-दक्षिण कोरिया प्रौद्योगिकी विनिमय – केंद्र (Technology Exchange – Centre) की स्थापना।
(D) दक्षिण कोरिया और भारत दोनों देशों के बीच मंत्री स्तर की संयुक्त बैठक के साथ ही सचिव स्तर पर चलने वाली वार्ता।
उत्तर – ( D )
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
Q.1. भारत और दक्षिण कोरिया के बीच आपस में ‘ व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता ’ क्या है? भारत – दक्षिण कोरिया के बीच के सामरिक , सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों के परिप्रेक्ष्य में यह चर्चा कीजिए कि भारत की ‘ एक्ट ईस्ट नीति ’ तथा दक्षिण कोरिया की ‘ नई दक्षिण नीति ’ बढ़ती क्षेत्रीय अस्थिरता को किस प्रकार प्रभावित कर सकता है?
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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