10 Apr नेपाल की संघीय संसद द्वारा बिम्सटेक चार्टर को अपनाना
( यह लेख ‘ इंडियन एक्सप्रेस ’, ‘ द हिन्दू ’ और ‘पीआईबी ’ के सम्मिलित संपादकीय के संक्षिप्त सारांश से संबंधित है। इसमें योजना IAS टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के विशेषकर ‘ अंतर्राष्ट्रीय संस्थान/ संगठन ’ खंड से संबंधित है। यह लेख ‘ दैनिक करंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ नेपाल की संघीय संसद द्वारा बिम्सटेक चार्टर को अपनाना ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- हाल ही में 2 अप्रैल 2024 को नेपाल की संघीय संसद के निचले सदन में उप प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री नारायण काजी श्रेष्ठ द्वारा बिम्सटेक चार्टर के समर्थन से संबंधित प्रस्ताव को प्रस्तुत किया गया। नेपाल के निचले सदन में बिम्सटेक चार्टर के समर्थन के प्रस्ताव को बहुमत के साथ समर्थन किया।
- नेपाल के संविधान के अनुसार बिम्सटेक चार्टर को संसद द्वारा समर्थन के बाद ही नेपाल में लागू किया जा सकता है।
- नेपाल के अलावा, बिम्सटेक के अन्य छह सदस्य देशों ने अपनी-अपनी संसदों से बिम्सटेक चार्टर का समर्थन प्राप्त कर लिया है।
- नेपाल के संविधान के अनुच्छेद 279 (1) में प्रावधान है कि जिस संधि और समझौते में नेपाल को एक पक्ष बनना है, उसका अनुसमर्थन संघीय कानून के अनुसार किया जाएगा।
- नेपाल संधि अधिनियम 2027 के खंड 4 में प्रावधान है कि सरकार और मंत्रिपरिषद को मंजूरी के लिए चार्टर को संघीय संसद में पेश करना होगा। प्रावधान के मुताबिक, सरकार ने बिम्सटेक चार्टर को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया था और अंततः नेपाल के निचले सदन में बिम्सटेक चार्टर के समर्थन के प्रस्ताव को बहुमत के साथ समर्थन किया गया।
- बिम्सटेक का गठन सन 1997 में आर्थिक समृद्धि, सामाजिक प्रगति, वैज्ञानिक उपलब्धि, शांति, स्थिरता और कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए किया गया था।
- बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंड बिम्सटेक के सदस्य देश हैं।
- नेपाल वर्ष 2004 में बिम्सटेक का सदस्य देश बना है।
- नेपाल की संघीय संसद में बहु-क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल (BIMSTEC), चार्टर की स्वीकृति क्षेत्रीय सहयोग एवं आर्थिक समृद्धि की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम है।
बिम्सटेक क्या है ?
- बिम्सटेक (BIMSTEC) का पूरा नाम – बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी – सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को – ऑपरेशन (Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation) है।
- यह बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती और समीपवर्ती क्षेत्रों में स्थित देशों का एक बहुपक्षीय क्षेत्रीय संगठन है जो दक्षिण एशिया और दक्षिण – पूर्व एशिया के क्षेत्रीय एकता का प्रतीक संगठन हैं।
- इसके 7 सदस्य देशों में से 5 दक्षिण एशिया से हैं, जिनमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और श्रीलंका शामिल हैं तथा दो दक्षिण – पूर्व एशिया के देशों में से म्याँमार और थाईलैंड हैं।
बिम्सटेक (BIMSTEC) में शामिल दक्षिण एशिया के 5 प्रमुख सदस्य देश निम्नलिखित है –
- बांग्लादेश।
- भूटान।
- भारत।
- नेपाल।
- श्रीलंका।
बिम्सटेक (BIMSTEC) में शामिल दक्षिण-पूर्व एशिया के दो देश निम्नलिखित है –
- म्याँमार
- थाईलैंड शामिल हैं।
- बिम्सटेक न सिर्फ दक्षिण और दक्षिण पूर्व-एशिया के बीच संपर्क बनाता है है बल्कि हिमालय तथा बंगाल की खाड़ी की पारिस्थितिकी को भी जोड़ता है।
- इस संगठन का मुख्य उद्देश्य दक्षिण एशिया और दक्षिण पूर्व एशिया में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना, सामाजिक प्रगति में तेज़ी लाना और इस क्षेत्र में समान हितों के मामलों में सहयोग देना और आर्थिक विकास को बढ़ावा देना है।
बिम्सटेक का इतिहास :
- बिम्सटेक वर्ष 1997 में बैंकॉक घोषणा के माध्यम से एक उप – क्षेत्रीय संगठन के रूप में अस्तित्व में आया।
- प्रारंभ में इसका गठन चार सदस्य राष्ट्रों के साथ किया गया था जिनका संक्षिप्त नाम ‘BIST-EC’ (बांग्लादेश, भारत, श्रीलंका और थाईलैंड आर्थिक सहयोग) था।
- वर्ष 1997 में म्याँमार के शामिल होने के बाद इसका नाम बदलकर ‘BIMST-EC’ कर दिया गया।
- वर्ष 2004 में नेपाल और भूटान के इसमें शामिल होने के बाद संगठन का नाम बदलकर बिम्सटेक अर्थात – ‘ बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को – ऑपरेशन ’ कर दिया गया।
बिम्सटेक का मुख्य उद्देश्य :
- दक्षिण एशिया और दक्षिण – पूर्व एशिया के क्षेत्र में तीव्र आर्थिक विकास हेतु वातावरण तैयार करना।
- आपसी सहयोग और एक दूसरे की समानता की भावना को विकसित करना।
- सदस्य राष्ट्रों के साझा हितों के क्षेत्रों में सक्रिय सहयोग और पारस्परिक सहायता को बढ़ावा देना।
- दक्षिण एशिया और दक्षिण – पूर्व एशिया में शिक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी आदि क्षेत्रों में एक – दूसरे का पूर्ण सहयोग करना।
बिम्सटेक के प्रमुख सिद्धांत :
बिम्सटेक का प्रमुख सिद्धांत निम्नलिखित आधारों पर कार्य करता है –
- समान संप्रभुता को मान्यता प्रदान करना।
- क्षेत्रीय अखंडता को आपस में सम्मान देना।
- आपस में राजनीतिक स्वतंत्रता का सम्मान करना
- सदस्य देशों के आंतरिक मामलों में किसी भी प्रकार से हस्तक्षेप न करना।
- सदस्य देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की भावना को विकसित करना ।
- बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच आपस में पारस्परिक लाभ पहुँचाना।
- सदस्य देशों के मध्य अन्य द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय सहयोग को प्रतिस्थापित करने के बजाय अन्य विकल्प प्रदान करना।
बिम्सटेक की क्षमताएँ :
- यह संगठन दक्षिण एशिया एवं दक्षिण – पूर्व एशिया के मध्य एक सेतु की भाँति कार्य करता है तथा इन देशों के बीच एक सुदृढ़ आपसी संबंधों का प्रतिनिधित्व करता है।
- बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में हिंद – प्रशांत में एक व्यापारिक केंद्र बनने की क्षमता है। अतः यह एक ऐसा स्थान है जहाँ पूर्व और दक्षिण एशिया की प्रमुख शक्तियों के रणनीतिक हित आपस में एक – दूसरे से टकराते भी हैं और एक – दूसरे को आपस में जोड़ते भी हैं।
- बिम्सटेक एक संगठन के रूप में सार्क और आसियान संगठनों के सदस्यों के बीच अंतर – क्षेत्रीय सहयोग हेतु एक साझा मंच भी प्रदान करता है।
- इस संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या लगभग 1.5 अरब है जो वैश्विक आबादी का लगभग 22% है और यह 3.8 ट्रिलियन अमरीकी डाॅलर का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), के बराबर है। अतः बिम्सटेक दक्षिण एवं दक्षिण – पूर्व एशिया के मध्य आर्थिक विकास के एक प्रभावशाली आर्थिक शक्ति के रूप में उभरा है।
- दुनिया के कुल व्यापार का एक-चौथाई हिस्सा प्रतिवर्ष बंगाल की खाड़ी से होकर गुज़रता है। अतः बिम्सटेक दक्षिण एवं दक्षिण – पूर्व एशिया के मध्य एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र भी है।
बिम्सटेक की महत्त्वपूर्ण संपर्क परियोजनाएँ :
बिम्सटेक की महत्त्वपूर्ण संपर्क परियोजनाएँ निम्नलिखित है –
- कलादान मल्टीमॉडल परियोजना : यह परियोजना भारत और म्याँमार को जोड़ती है।
- एशियाई त्रिपक्षीय राजमार्ग: म्याँमार से होकर भारत और थाईलैंड को जोड़ता है।
- बांग्लादेश – भूटान – भारत – नेपाल (BBIN) मोटर वाहन समझौता : यह संपर्क समझौता यात्री और माल परिवहन के निर्बाध प्रवाह हेतु किया गया है।
बिम्सटेक भारत के लिए महत्वपूर्ण क्यों है ?
बिम्सटेक भारत को तीन प्रमुख नीतियों के साथ दक्षिण एशिया एवं दक्षिण – पूर्व एशिया में आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करता है –
- नेबरहुड फर्स्ट नीति : भारत की नेबरहुड फर्स्ट नीति के तहत यह भारत के पड़ोस में होने वाले देशों की सीमा के नज़दीकी क्षेत्रों को प्रधानता देकर व्यापारिक, सामरिक और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाता है।
- एक्ट ईस्ट नीति : भारत की एक्ट ईस्ट नीति का उद्देश्य आर्थिक सहयोग, सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और बहुपक्षीय स्तरों पर निरंतर जुड़ाव के माध्यम से एशिया – प्रशांत क्षेत्र के देशों के साथ रणनीतिक संबंध विकसित करना है, जिससे उत्तर पूर्वी राज्यों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके।
- भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास नीति : यह भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को बांग्लादेश और म्याँमार के माध्यम से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र से जोड़ना और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों का आर्थिक विकास नीति के तहत भारत के पड़ोस के अन्य देशों के साथ अरुणाचल प्रदेश सहित क्षेत्र को भारत को दक्षिण-पूर्व एशिया से जोड़ना है ।
- बंगाल की खाड़ी के आसपास के देशों में चीन के बेल्ट एवं रोड इनिशिएटिव के विस्तारवादी प्रभावों से भारत को मुकाबला करने का अवसर प्रदान करता है।
- भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेदों के कारण दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क-SAARC) महत्त्वहीन हो जाने के कारण भारत को अपने पड़ोसी देशों के साथ जुड़ने हेतु एक नया मंच प्रदान करता है।
बिम्सटेक के तहत सहयोग के क्षेत्र :
बिम्सटेक के तहत आपस में सहयोग के निम्नलिखित क्षेत्र शामिल है –
- आपसी व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में आपस में सहयोग करना।
- नवीन प्रौद्योगिकी को हस्तांक्षरित करने में आपस में सहयोग करना
- ऊर्जा से संबंधित क्षेत्रों के विकास में आपस में सहयोग करना।
- परिवहन और संचार
- पर्यटन और पर्यटन के विकास से संबंधित क्षेत्रों में आपसी सहयोग प्रदान करना।
- मत्स्य पालन से संबंधित क्षेत्रों में आपस में सहयोग करना।
- कृषि से संबंधित नवीन प्रणालियों को अपनाने में आपस में सहयोग करना।
- आपस में सांस्कृतिक सहयोग को विकसित करना
- पर्यावरण और आपदा प्रबंधन में एक – दूसरे की मदद करना।
- सार्वजनिक स्वास्थ्य में आपस में सहयोग करना।
- लोगों के बीच आपसी संपर्क स्थापित करना।
- गरीबी उन्मूलन में आपस में सहयोग करना।
- आतंकवाद और अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटना।
- जलवायु परिवर्तन से संबंधित क्षेत्रों में आपसी सहयोग करना।
वर्तमान में बिम्सटेक के समक्ष विद्यमान चुनौतियाँ :
- बिम्सटेक ने दक्षिण एशिया एवं दक्षिण – पूर्व एशिया के मध्य द्विपक्षीय तनाव न होने के बावजूद भी ज्यादा प्रगति नहीं की है।
- ऐसा लगता है कि भारत ने बिम्सटेक का उपयोग तभी किया है जब वह क्षेत्रीय सेटिंग में सार्क के माध्यम से काम करने में विफल रहा है और थाईलैंड और म्यांमार जैसे अन्य प्रमुख सदस्य बिम्सटेक की तुलना में आसियान की ओर अधिक ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।
- बिम्सटेक ने हर दो साल में शिखर सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई, हर साल मंत्रिस्तरीय बैठकें आयोजित करने की योजना बनाई, लेकिन 2018 तक 20 वर्षों में केवल चार शिखर सम्मेलन हुए हैं।
- बिम्सटेक का फोकस बहुत व्यापक है, जिसमें कनेक्टिविटी, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि आदि जैसे सहयोग के 14 क्षेत्र शामिल हैं। यह सुझाव दिया गया है कि बिम्सटेक को छोटे फोकस क्षेत्रों के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और उनमें कुशलता से सहयोग करना चाहिए।
- बिम्सटेक के सदस्य देशों के बीच एफटीए के संबंध में सन 2004 में ही बातचीत हुई थी। इस पर बातचीत अभी तक संपन्न नहीं हुई है।
- सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय मुद्दे: बांग्लादेश म्यांमार के रोहिंग्याओं के सबसे खराब शरणार्थी संकट का सामना कर रहा है, जो म्यांमार के राखीन राज्य में अभियोजन से भाग रहे हैं। म्यांमार और थाईलैंड के बीच सीमा विवाद चल रहा है।
निष्कर्ष / आगे की राह :
- भारत BIMSTEC को अपनी ‘एक्ट ईस्ट’ नीति का अभिन्न अंग मानता है, जो हिंद महासागर में व्यापार और सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाते हुए दक्षिण-पूर्व एशिया में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है। यह क्वाड देशों के इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण के साथ भी संरेखित है।
- भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा खाद्यान्न उत्पादक है। क्षेत्रीय मूल्य श्रृंखलाएं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र और कृषि क्षेत्र में मूल्य जोड़ सकती हैं।
- BIMSTEC के सदस्य देश भारत के साथ आपस में डिज़ाइन, इंजीनियरिंग, अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में अधिक सहयोग करें।
- नवीन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, संयुक्त उद्यम और व्यावसायिक साझेदारी के माध्यम से लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के बीच सहयोग को बढ़ावा देकर एक – दूसरे का सहयोग करे ।
- भारत के साथ आर्थिक संबंधों में तेजी से वृद्धि के लिए परिवहन, बैंकिंग, सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं और पर्यावरण सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
- हवाई कनेक्टिविटी, भूमि कनेक्टिविटी और समुद्री सुरक्षा पर अधिक जोर दें क्योंकि विश्व के व्यापार का एक बड़ा हिस्सा इस क्षेत्र से होकर गुजरता है।
- सभ्यता के मोर्चे पर, लोगों के बीच नए संपर्क और कनेक्टिविटी बनाने के लिए बौद्ध और हिंदू संबंधों को बढ़ावा दिया जा सकता है।
- बिम्सटेक को भविष्य में नए क्षेत्रों जैसे कि ब्लू इकॉनमी, डिज़िटल अर्थव्यवस्था, स्टार्ट-अप और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों ( Micro, Small and Medium Enterprises- MSMEs) के बीच आदान-प्रदान एवं सहयोग को बढ़ावा देने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
- दो संगठन-सार्क और बिम्सटेक-भौगोलिक क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। हालाँकि, यह उन्हें समान विकल्प नहीं बनाता है। सार्क एक विशुद्ध क्षेत्रीय संगठन है, जबकि बिम्सटेक अंतर्क्षेत्रीय है और दक्षिण एशिया और आसियान दोनों को जोड़ता है।
- सार्क और बिम्सटेक कार्यों और लक्ष्यों के मामले में एक दूसरे के पूरक हैं। बिम्सटेक सार्क देशों को आसियान से जुड़ने का एक अनूठा अवसर प्रदान करता है। चूंकि सार्क शिखर सम्मेलन केवल स्थगित किया गया है, रद्द नहीं किया गया है, इसलिए पुनरुद्धार की संभावना बनी हुई है। बिम्सटेक की सफलता सार्क को निरर्थक नहीं बनाती; यह दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय सहयोग में एक नया अध्याय जोड़ता है।
स्त्रोत – द हिन्दू एवं इंडियन एक्सप्रेस।
Download yojna daily current affairs hindi med 10th April 2024
प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q. 1. बिम्सटेक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इसकी स्थापना 6 जून 1997 को बैंकाक घोषणा के माध्यम से की गई थी और इसका मुख्यालय काठमांडू, नेपाल में है।
- इसके सदस्य देशों में भारत, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, मालदीव, म्यांमार और श्रीलंका शामिल हैं।
- इसमें दक्षिण-पूर्व एशिया के 5 देश और दक्षिण – एशिया के 2 देश शामिल है।
- कलादान मल्टीमॉडल परियोजना भारत और नेपाल को आपस में जोड़ती है।
उपरोक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन गलत है ?
A. केवल 1, 2 और 3
B. केवल 2, 3 और 4
C. इनमें से कोई नहीं
D. इनमें से सभी।
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
Q.1. बिम्सटेक के मुख्य उद्देश्य को रेखांकित करते हुए यह चर्चा कीजिए कि बिम्सटेक दक्षिण एशिया एवं दक्षिण – पूर्व एशिया के मध्य किस प्रकार व्यापारिक, सामरिक और रणनीतिक दृष्टि से आपस में क्षेत्रीय स्थिरता प्रदान करता है ?
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Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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