27 Apr CSDS की लोकनीति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024
( यह लेख यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के मुख्य परीक्षा के अंतर्गत सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र – 2 के ‘ भारतीय राजनीति और शासन व्यवस्था, भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव प्रणाली , भारत में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए समितियों की सिफारिशें ’ खंड से और प्रारंभिक परीक्षा के अंतर्गत ‘ भारतीय निर्वाचन आयोग, EVM, सच्चर आयोग रिपोर्ट ’ खंड से संबंधित है। इसमें योजना आईएएस टीम के सुझाव भी शामिल हैं। यह लेख ‘ दैनिक कर्रेंट अफेयर्स ’ के अंतर्गत ‘ CSDS की लोकनीति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 ’ से संबंधित है।)
ख़बरों में क्यों ?
- भारत के लोकसभा चुनाव 2024 में दलीय राजनीति के संदर्भ में ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज़ (CSDS)’ के द्वारा हाल ही में लोकनीति कार्यक्रम द्वारा प्री-पोल स्टडी 2024 का आयोजन किया गया था , जिसमें EVM तथा भारत के चुनाव आयोग पर विश्वास एवं अन्य सामाजिक – धार्मिक मुद्दों जैसे विभिन्न मुद्दों पर जनता की राय के आधार पर सर्वेक्षण किया गया है।
- इस सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 ने भारतीय राजनीति और भारत के समाज में व्याप्त चुनौतियों को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- इस सर्वेक्षण रिपोर्ट ने कई महत्वपूर्ण प्रश्नों पर भारतीय दलीय राजनीति के संदर्भ में भारतीय जनता के विचारों को साझा किया है।
CSDS की लोकनीति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 क्या है ?
- लोकनीति, 1997 में स्थापित सीएसडीएस का एक अनुसंधान कार्यक्रम है। इसमें अनुसंधान पहलों का एक समूह है जो अनुभवजन्य आधार पर लेकिन सैद्धांतिक रूप से उन्मुख अध्ययन शुरू करके लोकतांत्रिक राजनीति पर राष्ट्रीय और वैश्विक बहस में शामिल होना चाहता है। चुनाव, लोकतांत्रिक राजनीति और दलीय राजनीति पर सीएसडीएस की विभिन्न परियोजनाओं को एक कार्यक्रम के तहत एक साथ लाकर, लोकनीति लोकतंत्र पर वैश्विक बहस में शामिल होना चाहती है। हालाँकि यह केंद्र में स्थित है, लेकिन इसे देश भर के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अन्य अनुसंधान संस्थानों में स्थित विद्वानों के राष्ट्रव्यापी नेटवर्क से ताकत मिलती है। लोकनीति द्वारा किए गए सभी प्रमुख अध्ययनों की संकल्पना, संचालन और कार्यान्वयन इस नेटवर्क के सदस्यों द्वारा किया जाता है। इसने भारतीय विद्वानों और शोधकर्ताओं के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान की परंपरा को मजबूत करने में योगदान दिया है।
भारत की राजनीति में CSDS की लोकनीति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 के प्रमुख अध्ययन और उसका महत्व :
- लोकतांत्रिक संस्थाओं और लोकतंत्र की प्रक्रियाओं में भारत के मतदाताओं का विश्वास का कम होना : भारतीय चुनाव आयोग पर जनता का विश्वास कम हो गया है, और EVM में हेरफेर की संभावना को लेकर भी चिंता बढ़ी है।
- भारतीय नागरिकों को धार्मिक बहुलतावाद के लिए समर्थन करना : भारत के ज्यादातर लोग यह समझते हैं कि भारत सभी धर्मों का देश है, जिससे धार्मिक सहिष्णुता और समरसता की प्रेरणा मिलती है।
- अनुसूचित जाति वर्ग में मुस्लिमों को आरक्षण : भारत की आम जनता का विचार है कि अनुसूचित जाति वर्ग में हिंदू और मुस्लिम दलितों को नौकरियों में आरक्षण प्रदान किया जाना चाहिए।
- सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरूपयोग में राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप : केंद्रीय एजेंसियों पर राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप लगाए गए हैं, जिससे लोगों में आगे बढ़ते संविधानिक सिद्धांतों के प्रति चिंता बढ़ी है।
- भारतीय अर्थव्यवस्था में रोजगार, मुद्रास्फीति और अन्य मुद्दे : भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से रोजगार की न बढ़ने के बावजूद, मुद्रास्फीति और बढ़ती खाद्य कीमतें आम जनता को प्रभावित कर रही हैं।
- अस्मिता की राजनीति : धर्म राजनीति में एक महत्वपूर्ण कारक है, जो सामाजिक तनाव को बढ़ा सकता है। राजनीतिक दल धार्मिक आधार पर मतदाताओं को लामबंद करते हैं, जिससे धार्मिक हिंसा और असहिष्णुता जैसी समस्याओं को बढ़ावा मिल सकता है।
- इस रिपोर्ट से सामाजिक, धार्मिक और राजनीतिक मुद्दों की महत्ता को बढ़ाया गया है, जिससे समाज में गहरे विचारों का संचार हो रहा है।
- यह भारत में सामाजिक न्याय की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए सच्चर आयोग रिपोर्ट, 2006 और रंगनाथ मिश्रा आयोग रिपोर्ट, 2007 द्वारा की गई सिफारिशों की भी पुष्टि करता है, जो दृढ़ता से दावा करता है कि संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 को स्थापित संवैधानिक सिद्धांतों के संबंध में फिर से पढ़ने की ज़रूरत है। इन निष्कर्षों से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय राजनीति और समाज में विभिन्न मुद्दों पर गहरा विचार और कार्रवाई की आवश्यकता है। इसके अलावा, चुनाव मशीनरी की सुरक्षा, सार्वजनिक संस्थानों के निष्पक्षता और आर्थिक स्थिति पर सामाजिक और आर्थिक न्याय के प्रति विश्वास को बढ़ावा देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
CSDS लोकनीति सर्वेक्षण रिपोर्ट 2024 के निष्कर्षों के आधार पर आगे की राह :
- चुनाव सुधार आयोग : यह आयोग स्वतंत्र विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, नागरिक समाज संगठनों और चुनाव अधिकारियों से बना हो सकता है। इसका काम चुनावी कानूनों, प्रक्रियाओं और संस्थानों में बदलावों की समीक्षा और सिफारिश करना होता है।
- केंद्रीय जाँच एजेंसियों की कार्यप्रणाली : इन केंद्रीय निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति, स्थानांतरण और निष्कासन को विनियमित करने के लिए सभी जाँच एजेंसियों को एक ही वैधानिक निकाय के तहत लाया जाना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित नहीं, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश की जाँच के अधीन होना चाहिए और कार्यकाल को निश्चित करना चाहिए।
- समावेशी नीतियाँ बनाना : भारत में सरकार को ऐसी नीतियाँ विकसित करनी चाहिए जो हाशिये पर और कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों की जरूरतों और हितों को प्राथमिकता देती हैं। इसमें सामाजिक-आर्थिक असमानताओं को दूर करने, सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने, अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने और सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता को आगे बढ़ाने की पहल भी शामिल है।
- मुद्रास्फीति और बेरोजगारी को लक्षित करके कम करना : सरकार द्वारा भारत में नीति – निर्माण के संदर्भ में व्यापक आर्थिक नीतियों, संरचनात्मक सुधारों, और लक्षित हस्तक्षेपों के संयोजन की आवश्यकता होगी। अतः सरकार को ब्याज दरों का समायोजन, कर निर्धारण, और शासकीय व्यय जैसे राजकोषीय नीति उपायों के माध्यम से कुल मांग और मुद्रास्फीति को प्रभावित करने वाले कारकों को संतुलित करने की जरूरत है।
- रोजगार के अवसर उत्पन्न करने और बेरोजगारी कम करने के लिए निरंतर एवं समावेशी उपाय खोजना : भारत की अर्थव्यवस्था को निरंतर और समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है। भारत में बेरोजगारी के मुद्दे को कम करने के लिए नौकरियों के अवसर बनाने की दिशा में कदम उठाना अत्यंत जरूरी है। अतः भारत में रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने और बेरोज़गारी को कम करने के लिए निरंतर एवं समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है।
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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न.1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए। ( UPSC – 2017)
- भारत का निर्वाचन आयोग पाँच सदस्यीय निकाय है।
- निर्वाचन आयोग मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के विभाजन/विलय से संबंधित विवाद निपटाता है।
- संघ का गृह मंत्रालय, आम चुनाव और उप-चुनावों दोनों के लिए चुनाव कार्यक्रम तय करता है।
- भारत में सच्चर आयोग रिपोर्ट, 2006 भारत में सामाजिक न्याय की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए की गई सिफारिशों से संबंधित है।
उपर्युक्त कथन / कथनों में से कौन सा कथन सही है ?
A. केवल 1 और 2
B. केवल 1 और 3
C. केवल 2 और 3
D. केवल 2 और 4
उत्तर – D
मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न.1. भारत के निर्वाचन आयोग की भूमिका का विवेचन करते हुए यह चर्चा कीजिए कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के चुनावों में उपयोगों के संबंध में चुनावों की विश्वसनीयता, पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं ? तर्कसंगत मत प्रस्तुत कीजिए। ( शब्द सीमा – 250 अंक – 15 )
Qualified Preliminary and Main Examination ( Written ) and Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) three times Of UPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION in the year of 2017, 2018 and 2020. Shortlisted for Personality Test (INTERVIEW) of 64th and 67th BPSC CIVIL SERVICES EXAMINATION.
M. A M. Phil and Ph. D From (SLL & CS) JAWAHARLAL NEHRU UNIVERSITY, NEW DELHI.
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