Representation Of People Act, 1951(लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और महुआ मोइत्रा विवाद)

Representation Of People Act, 1951(लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और महुआ मोइत्रा विवाद)

( यू पी .एस .सी मुख्य परीक्षा सामान्य अध्ययन पेपर – 2. शासन एवं राजव्यवस्था )

चर्चा में क्यों ?

हाल ही में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने लोकसभा में ध्वनिमत से “ कैश फॉर क्वैरी “ के लिए टी. एम. सी. सांसद महुआ मोइत्रा को “ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951” के प्रावधानों के तहत अयोग्य करार करते हुए उनकी संसद सदस्यता समाप्त कर दिया है | महुआ पर अपने दोस्त हीरानंदानी को संसद की अपनी  लाग इन आईडी और पासवर्ड शेयर करने का भी आरोप लगा था | लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह कहकर कि – “ यह सदन एथिक्स कमिटी के निष्कर्ष को स्वीकार करता है कि महुआ मोइत्रा का आचरण एक सांसद के रूप में अनैतिक और अशोभनीय था | इसलिए उनका सांसद बने रहना उचित नहीं है | अतः जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के प्रावधानों के तहत उनकी संसद सदस्यता समाप्त की जाती है |” हालाँकि  भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327 ही भारत में जन प्रतिनिधियों को भारतीय संसद में सांसद के अयोग्य ठहराने के निर्णय के विरुद्ध  में उच्चत्तम न्यायालय में पुनर्विचार और सुनवाई करने का अधिकार भी प्रदान करता है | 

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951: (Representation Of People Act 1951) एवं उसके प्रावधान : – 

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार – “ संसद समय-समय पर कानून द्वारा संसद के किसी भी सदन या विधानमंडल के सदन या सदन के चुनाव से संबंधित या संबंधित सभी मामलों के संबंध में प्रावधान कर सकती है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और ऐसे सदन या सदनों के उचित गठन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अन्य सभी मामले शामिल हैं।” 

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951: ऐतिहासिक पृष्ठभूमि 

Representation Of People Act 1951: Historical Background

  • 1950 के जनप्रतिनिधित्व अधिनियम में केवल सीटों के वितरण और लोक सभा और राज्यों की विधानसभा के लिए निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन के साथ ही साथ चुनावों में मतदाताओं की आवश्यकताओं और मतदाता सूची के निर्माण को शामिल किया गया था। 
  • 1950 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में लोकसभा और राज्य विधान मंडल के चुनावों से संबंधित सभी प्रावधानों को शामिल नहीं किया गया था।
  • 1950 के जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संसद के सदनों और प्रत्येक राज्य के विधानमंडल के सदनों को वास्तव में कैसे चुना जाएगा, इन सदनों में सदस्यता के लिए आवश्यक अहर्ताओं या योग्यताओं और अपवादों, भ्रष्ट प्रथाओं और अन्य चुनाव अपराधों और चुनावी विवादों के समाधान के बारे में विवरण शामिल नहीं थे। 
  • इन आवश्यकताओं को शामिल करने के लिए और समयानुकूल आवश्यकता के कारण बदलाव को ध्यान में रखते हुए 1951 का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम पारित किया गया था।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत प्रावधान (Provision Under Representation Of People Act, 1951)

लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 अधिनियम में चुनावी प्रक्रियाओं या  मामलों से संबंधित निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

  • इस अधिनियम में संसद की सदस्यता के लिए आवश्यक अहर्ताएं अथवा योग्यताएं एवं अयोग्यताएं और राज्य विधानमंडल की सदस्यता के लिए आवश्यक अहर्ताएं अथवा योग्यताएं शामिल है | 
  • इस अधिनियम के तहत आम चुनाव की अधिसूचना जारी करना और संबंधित हितधारकों  के प्रति निष्पक्षता और तटस्थता का भाव स्थापित करना भी शामिल है | 
  • इस अधिनियम में चुनाव के संचालन के लिए प्रशासनिक मशीनरी का आपसी तालमेल के साथ निष्पक्ष रूप से उपयोग और ईमानदारीपूर्वक संचालन करना शामिल है  | 
  • इस अधिनियम  के तहत राजनीतिक दलों का पंजीकरण करना और पंजीकरण के आवश्यक प्रावधानों को लागू करवाना भी शामिल है  | 
  • इस अधिनियम में निष्पक्ष एवं ईमानदारीपूर्वक चुनाव का संचालन करना और चुनाव कार्य निष्पादन करना है  |
  • इस अधिनियम में मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को चुनाव  सामग्री की निःशुल्क आपूर्ति प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है |
  • इस अधिनियम में चुनाव के दौरान  हुए विवाद का निपटान करना या चुनाव की निष्पक्षता बनायें रखने का कार्य निष्पादन करने का कार्य शामिल है |  
  • यह  अधिनियम चुनावी भ्रष्ट आचरण, बूथ लूट ,  वी पैट या बैलेट पेपर की लूट, ई. वी . एम की निष्पक्षता और चुनावी अपराध पर अंकुश लगाने से संबंधित है | 
  • इस अधिनियम में संसद सदस्यों या राज्य विधानमंडल सदस्यों की निरर्हताओं के संबंध में जांच के संबंध में निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ भी शामिल है ।
  • इस अधिनियम में किसी निर्वाचन क्षेत्र में रिक्त पड़े हुए रिक्तियों को भरने के लिए उपचुनाव कराने  और उसके लिए समय सीमा निर्धारित की गई है ।
  • इस अधिनियम में चुनाव से संबंधित विविध प्रावधानों का उल्लेख किया गया है ।
  • इस अधिनियम में सिविल न्यायालयों के क्षेत्राधिकार को छोड़कर अन्य चुनावी मामलों के निपटान या निवारण की व्यवस्था का उल्लेख किया गया है ।

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प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास 

जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए |

  1. जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। 
  2. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार – “ संसद समय-समय पर कानून द्वारा संसद के किसी भी सदन या विधानमंडल के सदन या सदन के चुनाव से संबंधित या संबंधित सभी मामलों के संबंध में प्रावधान कर सकती है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और ऐसे सदन या सदनों के उचित गठन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अन्य सभी मामले शामिल हैं।” 
  3. इस अधिनियम  के तहत राजनीतिक दलों का पंजीकरण करना और पंजीकरण के आवश्यक प्रावधानों को लागू करवाना शामिल नहीं  है  | 
  4. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327 ही भारत में जन प्रतिनिधियों को भारतीय संसद में सांसद के अयोग्य ठहराने के निर्णय के विरुद्ध  में उच्चत्तम न्यायालय में पुनर्विचार और सुनवाई करने का अधिकार भी प्रदान करता है | 

कूट :

  1. केवल कथन 1 सही है |
  2. केवल कथन 1 और कथन 2 सही है | 
  3. केवल कथन 1 और कथन 3 सही है | 
  4. केवल कथन 1, 2 और कथन 4 सही है |

व्याख्या : कथन 1, 2 और कथन 4 सही है, जबकि कथन 3 गलत है | क्योंकि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया था। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 327 के अनुसार – “ संसद समय-समय पर कानून द्वारा संसद के किसी भी सदन या विधानमंडल के सदन या सदन के चुनाव से संबंधित या संबंधित सभी मामलों के संबंध में प्रावधान कर सकती है, जिसमें मतदाता सूची तैयार करना, निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन और ऐसे सदन या सदनों के उचित गठन को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक अन्य सभी मामले शामिल हैं।”  इस अधिनियम  के तहत राजनीतिक दलों का पंजीकरण करना और पंजीकरण के आवश्यक प्रावधानों को लागू करवाना भी शामिल है | इस प्रकार कथन 3 गलत या असत्य है | भारतीय संविधान का अनुच्छेद 327 ही भारत में जन प्रतिनिधियों को भारतीय संसद में सांसद के अयोग्य ठहराने के निर्णय के विरुद्ध  में उच्चत्तम न्यायालय में पुनर्विचार और सुनवाई करने का अधिकार भी प्रदान करता है | 

मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न 

  • जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 क्या है ? इसके प्रमुख प्रावधानों की चर्चा कीजिए साथ ही यह भी व्याख्या कीजिए कि भारत में किसी भी जन प्रतिनिधि को संसद या राज्य विधानमंडल / विधानसभा की सदस्यता से निरर्हित या अयोग्य ठहराने के प्रमुख प्रावधान क्या हैं ?  

 

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